किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है शिक्षा. तमाम सरकारी वादों के बाद भी विंध्य में इसकी जमीनी हकीकत हैरान करने वाली है. यहां का हाल ऐसा है, जैसे बुनियाद को मजबूत किए बगैर ही इमारत की ऊपरी मंजिलों को चुना जा रहा है. सरकार प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था ही नहीं कर पा रही है. विंध्य के सरकारी स्कूल जर्जर इमारतों में बिना शिक्षकों या फिर कहीं एक या दो शिक्षकों के भरो चल रहे हैं.
मध्य प्रदेश राज्य शिक्षा पोर्टल 2.0 में मौजूद डाटा के हिसाब से प्रदेश के 2621 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है और प्रदेश के 47 जिलों में 7793 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे हैं. प्रदेश के दूसरे हिस्सो के मुकाबले विंध्य बहुत पीछे है.
विंध्य के 554 स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं
प्रदेश के चंबल अंचल के 1246 स्कूलों में 1 शिक्षक हैं और 558 स्कूलों में 1 भी शिक्षक नहीं हैं. महाकौशल के 710 स्कूल में एक शिक्षक हैं और 140 स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं हैं. मध्य भारत के 1147 स्कूलों में एक शिक्षक हैं और 363 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. मालवा निमाड़ के 1512 स्कूलों में एक शिक्षक हैं और 471 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. बुंदेलखंड के 1431 स्कूलों में एक शिक्षक हैं और 537 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. विंध्य का हाल सबसे बुरा है, यहां 1747 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे हैं, वहीं 554 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं.
शिक्षा की बदहाली में सिंगरौली नंबर 1
भारत की उर्जाधानी कहे जाने वाले सिंगरौली की पढ़ाई भगवान भरोसे है. प्रदेश भर में सिंगरौली 0 और 1 टीचर वाले स्कूलों में नंबर 1 पर है. यहां 1 टीचर वाले 552 स्कूल हैं और 244 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है. रीवा जिले में एक टीचर वाले 379 स्कूल हैं और शून्य टीचर वाले 97 स्कूल हैं. सीधी जिले में एक टीचर वाले 285 स्कूल हैं और शून्य टीचर वाले 98 स्कूल हैं. सतना जिले में 381 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी टीचर नहीं हैं.
25 सालों से एक टीचर के भरोसे चल रहा है ये स्कूल
विंध्य की शिक्षा व्यवस्था देखने के लिए विंध्य फर्स्ट की टीम रीवा जिले के गुढ़ तहसील के शासकीय प्राथमिक स्कूल जल्दर पहुंची. यहां केवल एक टीचर मौजूद थी जिनका नाम राधा कोल है, कुछ देर बाद एक और टीचर आए जिनका नाम जीतेंद्र पांडे है. जीतेंद्र पांडे ने बताया कि 1997 से स्कूल संचालित है और 25 सालों से यहां पर शिक्षक हैं. उन्होंने ये भी बताया कि पहली से लेकर पांचवी तक केवल 24 बच्चों के नाम दर्ज हैं और सालों से सभी बच्चे एक ही क्लास में साथ बैठकर पढ़ते हैं. स्कूल की इमारत एकदम जर्जर और शौचालय के नाम पर केवल कचरा देखने को मिला.
जल्दर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर रीवा-सीधी सीमा के नजदीक पोखर प्राथमिक स्कूल भी ऐसी ही हालत में मिला. यहां पहली से पांचवी तक में 26 बच्चों का नाम दर्ज हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक नियुक्त हैं लेकिन विंध्य फर्स्ट की टीम को स्कूल में केवल एक ही टीचर उपस्थित मिले.