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सरकारी बंगले पर सियासत

मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया

विधानसभा चुनाव के नतीजे जितने रोचक नहीं रहे उससे ज्यादा चर्चा में रहा मुख्यमंत्री का चेहरा.कई बड़े चेहरों को पीछे छोड़कर मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया.मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव का नाम एक बार फिर चर्चा में आ गया है.साथ ही में उनकी भतीजी और शहडोल के शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में तैनात सहायक प्रोफेसर डा. प्रज्ञा यादव भी चर्चा में आ गई हैं.

दरअसल यह पूरा मामला एक सरकारी बंगले से जुड़ा हुआ है. सीएम मोहन यादव की भतीजी प्रज्ञा को जो सरकारी बंगला मिला था वह पूरी तरीके से जर्जर था.मोहन यादव के पदभार संभालने के बाद अधिकारियों ने बंगले की मरम्मत और उसे चमकाने के निर्देश दे दिए हैं और इसपर काम भी शुरू हो गया है. अधिकारियों ने इतनी जल्दबाजी दिखाई कि सुधार काम शुरू करने के पहले एस्टीमेट बनाने तक का इंतजार भी नहीं किया गया.

आनन- फानन में इसकी मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया. हालांकि, प्रोफेसर प्रज्ञा यादव को यह बंगला जुलाई में आवंटित कर दिया गया था, जिसे अब जर्जर घोषित कर हाउसिंग बोर्ड से मरम्मत कराई जा रही है. आवश्यक तोड़-फोड़ और रंगरोगन का काम शुरू हो चुका है. प्रयास यह है कि जितनी जल्दी हो सके, इस मकान को चकाचक कर दिया जाए.

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में डा. प्रज्ञा यादव की नियुक्ति डा. मोहन यादव के उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुई थी. मुख्यमंत्री बनते ही प्रोफेसर भतीजी के भवन की मरम्मत शुरू होने पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं.

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हाउसिंग बोर्ड के सहायक यंत्री आरपी वर्मा का कहना है कि जर्जर भवन के मरम्मत कराने का निर्देश अधिकरियों ने दिया था हालांकि मीडिया में शोर मचनें के बाद अधिकारियों ने काम बंद करने का निर्देश दिया है.

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