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बघेली लोकगीत: बघेलखंड के मशहूर लोकगीत नचन हाई और गईल हाई

बघेली लोकगीत

मध्यप्रदेश को लोक कलाओं का गढ़ कहा जाता है. यहां के युवाओं में लोक संस्कृति कूट-कूट कर भरी हुई है. म.प्र. की लोक कलाएं विश्व प्रसिध्द हैं. फिर चाहे गायन में हो या नृत्य की हो. विंध्य क्षेत्र में ऐसे कई उभरते कलाकार हैं जिनके कलाकारी की चारों तरफ चर्चाएं होती है. खासकर बघेलखंड के बघेली लोकगीत जो यहां की कलाओं में चार चांद लगा देते हैं. बघेलखंड के कुछ ऐसे लोकगीत हैं जिनके बोल के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं. इन गानों का वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल में है. जिसमें दो गीत गाए गए हैं पहले वाले को नचनहाई और दूसरे को गईलहाई नाम से जाना जाता है.

नचनहाई गीत

नचनहाई गीत के शुरुआती बोल कुछ इस तरह के हैं ‘मोरी लालि चुनरिया के कोर कारी पिया पनियां न जाबै नजर लागि’. इस पंक्तियों के माध्यम से बहू अपने ससुराल वालों से कहती है की मेरी लाल चुनरी के कोर काले है. जब मैं इसे ओढ़कर पानी भरने जाऊंगी तो लोग मेरे नजर लगा देंगे. फिर चाहे मेरे ससुर जाएं, देवर जाएं या पति जाएं. लेकिन मैं पानी भरने नहीं जाऊंगी. नचनहाई लोकगीत मुख्यत: शादी समारोह में गाया जाता है.

गईलहाई गीत

वहीं जो दूसरा गीत गाया गया है उसको गईलहाई के नाम से जाना जाता है. जिसके बोल हैं ‘ कंगना के जोड़ा दोहरिया हो, नदी नारे बिसरि गए’. इन पंक्तियों के माध्यम से एक बहू अपने परिवार वालों से कहती है कि मेरे दोनों हाथों के कंगन नदी के घाट में चोरी हो गए हैं. इसलिए मैं घर नहीं जाऊंगी नहीं तो मेरे परिवार वाले मेरे ऊपर गुस्सा करेंगें. मुख्यत: इस लोकगीत को तब गाया जाता है. जब शादी होने के बाद लोग चौथी छुड़ाने जाते हैं तब यह गीत गाया जाता है.

दोनों लोकगीत सुनने के लिए देखिए पूरा वीडियो ||