सैनिक स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाना हर पैरेंट्स का सपना होता है. देश में फिलहाल सैनिक स्कूलों की संख्या 33 है. ऐसे में ये सपना बहुत कम स्टूडेंट्स का ही पूरा हो पाता है. लेकिन अब सैनिक स्कूल में पढ़ने का सपना हकीकत में बदलने जा रहा है. दरअसल, देश में 100 से अधिक सैनिक स्कूलों को खोलने का फैसला मोदी सरकार ने लिया था.
अभी हाल ही में देश में नए सैनिक स्कूलों की कमान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS या भाजपा से जुड़े लोगों को सौंप दी है. इस बात का खुलासा ‘रिपोर्टर्स क्लेक्टिव’ में छपी रिपोर्ट से हुआ है. हालांकि रक्षा मंत्रालय ने इसको गलत बताया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि, किसी भी संस्थान को नए सैनिक स्कूल का आवंटन करने में एक सख्त प्रक्रिया का पालन किया जाता है. इसके बाद ही आवंटन प्रक्रिया में सफल होने वाले स्कूलों को सैनिक स्कूल संचालित करने की मान्यता दी गई है.
रिपोर्टर्स क्लेक्टिव ने किया खुलासा
‘रिपोर्टर्स क्लेक्टिव’ ने 3 अप्रैल को एक रिपोर्ट में दावा किया था कि 62% नए सैनिक स्कूलों को चलाने की जिम्मेदारी संघ और भाजपा नेताओं से जुड़े लोगों को दी गई है. रिपोर्ट जारी होने के अगले ही दिन रक्षा मंत्रालय ने अपनी सफाई जारी कर दी और रिपोर्टर्स क्लेक्टिव के दावों को बेबुनियादी बताया.
रक्षा मंत्रालय ने जारी किया बयान
“ऐसी रिपोर्ट्स छपी है, जिसमें दावा है कि नए सैनिक स्कूलों को उनकी राजनीतिक या वैचारिक लगाव के आधार पर संस्थानों को आवंटित किया गया है. ऐसे आरोपों का कोई आधार नहीं है.”
500 से अधिक मिले थे आवेदन
सैनिक स्कूल खोलने के लिए 500 से अधिक आवेदन मिले थे. इसमें से सिर्फ 45 स्कूलों को ही मंजूरी दी गई है. इनमें पहले से चल रहे स्कूल और नए बनने वाले स्कूल दोनों ही शामिल हैं. खास बात यह है कि इन स्कूलों को दी गई मंजूरी भी अस्थायी है. स्कूलों के संचालन की मंजूरी बने रहे इसके लिए हर साल स्कूल निरीक्षण समिति की रिपोर्ट लेनी अनिवार्य होगी.