आज के समय में पानी की समस्या आम सी हो गयी है. देश में ऐसे कई इलाके हैं जो की पानी की समस्याओं से जूझ रहे है. भारत देश में ही एक ऐसा भी समय था जब लोगों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ता था. उस समय कुओं, बावड़ियों और तालाबों के जरिए लोगों को पानी मुहैया करवाया जाता था. ये बावड़ियां न सिर्फ पानी मुहैया कराने के काम आती थी बल्कि यह नगर की शान भी हुआ करती थी. ऐसी ही एक बावड़ी का निर्माण राजाओं के द्वारा सतना के कोठी बस स्टैंड सहित वार्ड नंबर1 पतेरिया में कराया गया था. जो की लोगों को पानी उपलब्ध कराती थी. लेकिन अब देखरेख एवं रखरखाव के अभाव में ये बावड़ी अपना अस्तित्व खोते जा रही है.
सतना की 300 साल पुरानी बावड़ी “कोठी बावड़ी”
सतना के जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दुरी पर 300 साल पुरानी एक ऐतिहासिक बावड़ी है, जिसका नाम “कोठी बावड़ी” है जो की नगर परिषद कोठी के अंतर्गत वार्ड नंबर 01 पतेरिया में स्थित है. इस बावड़ी का निर्माण तत्कालीन कोठी राजवंश के राजाओं ने करवाया था. 300 साल के इतिहास में इस बावड़ी ने सभी की प्यास बुझाई है लेकिन आज ये बावड़ी अपने ही अस्तित्व के लिए लड़ रही है.
बावड़ी की वर्तमान स्थिति
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव नमामि गंगे जल संवर्धन अभियान चला रहे है. इस अभियान के तहत सभी पुरानी बावड़ियां और तालाबों की साफ सफाई कर इन्हें नया रूप दिया जा रहा है. लेकिन प्रदेश सरकार कि नजर सतना की इस पुरानी बावड़ी की ओर नहीं जा रहा है. बावड़ी के बचाव को लेकर कई बार शिकायतें भी की गई. लेकिन आज भी इस बावड़ी की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. इस बावड़ी की वर्तमान स्थिति काफी खराब हो गई है. स्थानीय लोगों ने इस बावड़ी को कूड़ादान बना दिया है, तो वहीं नगर पालिका इस बावड़ी को तोड़ कर रोड बनवा दी है.
इस मामले पर स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बावड़ी पलहे काफी सुन्दर हुआ करती थी लेकिन आज के समय में लोग यहां सिर्फ कूड़ा फेंकते है. पानी तो दूर की बात यहां अब नालियां बहती है.
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