रीवा जिले से 65 किलोमीटर दूर जवा जनपद के डागडैया परोहन टोला में उस समय अफरा-तफरी मच गई. जब नहर का पानी लोगों के घरों में घुस गया. क्योंकि जिले में अभी तक ठीक से मानसून ने दस्तक तक नहीं दी है. लेकिन उसके बाद भी लोगों के घर और खेत पानी से लबालब हो गए हैं. स्थिति ऐसी निर्मित हो गई है कि गांव में जहां देखो वहीं केवल पानी दिखाई दे रहा है. तबाही के इस मंजर को देख गांव के लोगों में काफी आक्रोश भर आया.
ग्रमीणों का साफ कहना है कि ये कोई पहली बार नहर का बांध नहीं टूटा है इसके पहले भी कई बार बांध टूट चुके हैं. लोकिन इसके बावजूद प्रशासन कभी झांकने तक नहीं आता है. तराई अंचल जवा जनपद में मिनी बाणसागर त्योंथर परियोजना के तहत लगभग 400 करोड़ की लागत से नहर बनाई जा रही है. इस नहर का निर्माण कार्य अभी चल ही रहा है, जिसमें ट्रायल के तौर पर पानी छोड़ा गया था. लेकिन उन्हे क्या पता था कि पानी छोड़ते के साथ ही विकास के सभी पोल खुल जाएंगे.
पानी का बहाव इतना तेज था कि गांव के कच्चे मकान गिरने के कगार पर पहुंच गए हैं. एकाएक घरों में पानी घुसता देख लोग घबरा गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ये पानी आ कहां से रहा है अभी बारिश भी नहीं हुई, आसपास नदी-नाले भी नहीं है, फिर अचानक पानी कहां से सबके घरों में घुस आया. जब लोग इसकी जानकारी जुटाने निकले तो पता चला कि ये पानी कहीं और का नहीं बल्कि नहर का ही है.
इस घटना कि जानकारी गांव वालों ने तुरंत नहर बना रही कंपनी मैनटेना इंफ्रा को दी, लेकिन कंपनी के कर्मचारी समय पर नहीं पहुंचे. इसके बाद प्रशासन को सूचना दी गई, तब पुलिस मौके पर पहुंची, औऱ नहर बना रही कंपनी के कर्मचारियों को बुलाई. हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी और गांव वालों का काफी नुकसान भी हो चुका था.
हर बार प्रशासन की ही गलती नहीं होती है कई बार सरकारी की योजनाओं का लाभ ले रहे लोग भी अपनी तबाही के जिम्मेदार होते हैं. जवा के इस तबाही का जिम्मेदार कहीं न कहीं ये किसान खुद ही हैं, किसानों की बढ़ती लालच उन्हें खुद पर ही भारी पड़ गई है. किसान अपने-अपने खेतों में पानी छोड़ने के चक्कर में नहर के बांध को ज्यादा खोल दिए हैं जिसके कारण पानी सीधा इनके घरों और खेतों में भर आया और पूरे गांव पानी में डूब गया.