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रीवा में 3000 फुटबॉल के मैदान बराबर एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट, इसी से दौड़ती है दिल्ली मैट्रो

मध्यप्रदेश के रीवा जिले में एशिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट (Solar Power Plant) स्थित है. गुढ़ तहसील अंतर्गत बदवार के पहाड़ी इलाके में 1590 हेक्टेयर में यह सोलर पॉवर प्लांट फैला है. यहां पर तीन कंपनियां मिलकर कुल 37 लाख यूनिट बिजली (Light) तैयार करती हैं. इससे एक ओर जहां मध्यप्रदेश सहित पूरा विंध्य रोशन होता है वहीं दिल्ली मैट्रो (Delhi Metro) को भी काफी सस्ती दर में बिजली उपलब्ध करवाई जाती है.

बता दें कि रीवा जिले के इस सोलर पॉवर प्लांट में तीन कंपनियां मिलकर 250-250 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती हैं. इसमें महिंद्रा रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड, एक्मे जयपुर सोलर पॉवर प्राइवेट लिमिटेड और आरिनसन क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. कुल 750 मेगावाट क्षमता वाले इस सोलर पॉवर प्लांट में तैयार होने वाली बिजली का 76% मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को सप्लाई किया जाता है. बाकि 24% बिजली दिल्ली मैट्रो को दी जाती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था उद्घाटन
बदवार सोलर प्लांट का उद्घाटन जुलाई 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया था. हालांकि यहां पर बिजली उत्पादन की शुरुआत जनवरी 2020 में ही हो चुकी थी. इस परियोजना के लिए लगभग 1260 हेक्टेयर राजस्व भूमि और 330 हेक्टेयर के लगभग प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की निजी भूमि को अधिग्रहित किया गया था.

तैयार हो सकते हैं तीन हजार फुटबॉल के मैदान
रीवा का यह सोलर प्लांट इतना बड़ा है, कि इसमें लगभग तीन हजार फुटबॉल मैदान बनाए जा सकते हैं. खास बात यह है कि रीवा का ये सोलर प्लांट भारत का पहला और अब तक का एकमात्र सोलर प्रोजेक्ट है. जिसे क्लीन टेक्नोलॉजी फंड (CTF) के तहत 40 साल के लिए 0.25% की दर पर फंडिंग की गई है. इस सौर परियोजना से हर साल लगभग 15.4 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद मिलती है, जो कि 2.6 करोड़ पेड़ों की क्षमता के बराबर है. रीवा की इस सोलर परियोजना को विश्व बैंक समूह के प्रेसीडेंट अवॉर्ड से भी नवाजा गया है. 

सोलर पैनल से कैसे बनती है बिजली
जब सूर्य का प्रकाश सोलर पैनल पर पड़ता है तो सिलिकॉन में मौजूद इलेक्ट्रॉन एक्टिव हो जाते हैं, और उनमें प्रवाह होने लगता है. जिससे एक इलेक्ट्रिक फील्ड बनता है.  इसके बाद सोलर पैनल, डायरेक्ट करेंट उत्पन्न करते है. जिसे एक इन्वर्टर की मदद से ऑल्टरनेटिंग करेंट में कन्वर्ट किया जाता है. करेंट कन्वर्ट करने के बाद इसे राष्ट्रीय ग्रिडो में भेजा जाता है. इस पूरी प्रोसेस के तहत सोलर प्लांट से बिजली तैयार की जाती है. बता दें कि सोलर पैनल फोटोवोल्टिक सेल्स से बने होते हैं जो सूर्य के प्रकाश को बिजली में बदलते हैं. फोटोवोल्टिक सेल्स को सिलिकॉन जैसे सेमी-कंडक्टिंग मटेरियल से बनाया जाता है. इस प्रकार सोलर पैनल की सबसे बड़ी खाससियत यह है कि इससे बिजली बनाने में कोई भी प्रदूषण नहीं होता है.

मध्यप्रदेश में बढ़ता सोलर का ग्राफ
मध्यप्रदेश में पहले मुख्य रूप से बिजली का उत्पादन थर्मल पॉवर प्लांट और जल विद्युत परियोजनाओं से होता था. लेकिन अब सौर ऊर्जा तीसरे विकल्प के रूप में तेजी से सामने आया है. प्रदेश में बिजली का कुल उत्पादन लगभग 25975 मेगावाट है. जिसमें थर्मल पॉवर प्लांट से 16245 मेगावाट बिजली बनती है जो मप्र. में कुल बिजली उत्पादन का लगभग 62% है. वहीं जल विद्युत परियोजनाओं से 3500 मेगावाट यानि लगभग 13% बिजली बनती है. सौर ऊर्जा से 3022 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है. यह प्रदेश की कुल बिजली उत्पादन का लगभग 11% है.

विंध्य की सबसे बड़ी परियोजना
विंध्य क्षेत्र की तीन बड़ी परियोजनाओं कि अगर तुलना करें तो NTPC थर्मल पॉवर प्लांट से 2000 मेगावाट वहीं बाणसागर जल विद्युत परियोजना से 425 मेगावाट बिजली बनती है. जबकि रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना से 750 मेगावाट बिजली बनती है. खास बात यह है कि  मध्यप्रदेश के बीचों बीच से कर्क रेखा गुजरती है. जिसके चलते यहां साल के लगभग 300 दिन सूर्य का प्रकाश बना रहता है. इस कारण प्रदेश में सोलर प्लांट सफल हो रहे हैं.

रीवा में बने एशिया के सबसे बड़े सोलर पॉवर प्लांट की पूरी जानकारी के लिए देखिए यह वीडियो.