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चुनावी मौसम में राम रहीम को जेल से आजादी! समझिए पैरोल और फरलो का पूरा खेल

राम रहीम को साल 2017 में दो साध्वियों से रेप में 20 साल और एक पत्रकार के मर्डर के केस में उम्र कैद की सजा हुई थी. हालांकि राम रहीम अब तक अपनी सजा में से 254 दिन यानी की लगभग 8 महीने जेल के बाहर रह चुका है. आसान शब्दों में समझिए तो जेल प्रशासन और सरकार की ओर से राम रहीम को 10 बार पैरोल और फरलो की मंजूरी दी जा चुकी है.

हरियाणा और जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2024) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इसके साथ ही चुनावी समीकरण बैठाने की जद्दोजहद भी शुरू हो गई है. हरियाणा में चुनाव से ठीक पहले गुरूमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet ram rahim singh) को 21 दिन की फरलो मिल गयी है. खास बात यह है कि साल 2017 में जेल होने के बाद से अब तक राम रहीम को 10 बार पैरोल (Parole) या फिर फरलो (Furlough) दी गई है. ऐसे में हमें यह जानना जरूरी है कि किसी भी अपराधी को पैरोल या फरलो क्यों दी जाती है. हमेशा चुनाव से पहले राम रहीम को फरलो कैसे मिल जाती है. इतना ही नहीं पैरोल और फरलों में अंतर क्या होता है?

इन सभी सवालों का जवाब जानने के पहले हरियाणा के इतिहास में दर्ज कुछ पुराने पन्नों को पलट लेते हैं. इन पन्नों में गुरमीत राम रहीम का नाम दर्ज है. राम रहीम को साल 2017 में दो साध्वियों से रेप में 20 साल और एक पत्रकार के मर्डर के केस में उम्र कैद की सजा हुई थी. हालांकि राम रहीम अब तक अपनी सजा में से 254 दिन यानी की लगभग 8 महीने जेल के बाहर रह चुका है. आसान शब्दों में समझिए तो जेल प्रशासन और सरकार की ओर से राम रहीम को 10 बार पैरोल और फरलो की मंजूरी दी जा चुकी है.

चुनाव और राम रहीम को जेल से आजादी
यह पहली बार नहीं है. जब राम रहीम को चुनाव से पहले फरलो या फिर पैरोल दी गयी हो. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो राम रहीम को जब-जब हरियाणा में या फिर उसके आस पास के राज्यों में चुनाव थे, तब-तब उसे फरलो दी गई. इस बार तो 13 अगस्त को ऐसे मौके पर राम रहीम को फरलो मिली जब 15 अगस्त को उसका जन्मदिन था और अब अगले महीने 5 सितंबर को हरियाणा में चुनाव हैं. पिछले ही साल जब हरियाणा में पंचायत चुनाव शुरू होने वाले थे तो उससे कुछ ही दिन पहले 20 जुलाई को राम रहीम को 30 दिन की फरलो दी गयी थी. इतना ही नहीं 15 अक्टूबर 2022 में भी पंचायत चुनाव और आदमपुर उपचुनाव से पहले उसे 40 दिन की फरलो दी गयी थी. साथ ही 17 जून 2022 को हरियाणा में नगरपालिका निकाय चुनाव होने से पहले उसे 30 दिन की फरलो दी गयी थी. 7 फरवरी 2022 को भी हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले राम रहीम को 21 दिन की फरलो दी गयी थी.

क्या राम रहीम की वजह से मिलती है चुनाव में जीत
बता दें कि राम रहीम सामाजिक समूह डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख हैं. शुरू से ही डेरा में चुनाव के समय कई नेताओं का आवागमन रहता था. वर्तमान की अगर बात करें तो राम रहीम और डेरा दोनों ही शुरू से बीजेपी का समर्थक रहा है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी डेरा प्रमुख राम रहीम ने बीजेपी के समर्थन का ऐलान किया था. इतना ही नहीं पहले भी उसने बीजेपी के समर्थन में अपनी 15 लोगों की टीम भी चुनाव में उतारी थी. खास बात यह है कि राम रहीम का शुरू से ही पॉलिटिकल कनेक्शन रहा है. यही वजह है की हर चुनाव से पहले किसी न किसी बहाने राम रहीम को जेल से रिहाई मिल ही जाती है.

दूसरे राज्यों में भी है राम रहीम का प्रभाव
राम रहीम मूल रूप से राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया गांव का रहने वाला है. राम रहीम का राजस्थान के आस पास के कुछ राज्यों के हिस्सों में शुरू से प्रभाव रहा है. इतना ही नहीं जेल जाने से पहले राम रहीम का राजस्थान के कई शीर्ष नेताओं के साथ कनेक्शन भी था. हरियाणा से सटे सिरसा, कुरुक्षेत्र और कैथल को डेरा का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है.

पैरोल और फरलों में क्या अंतर है
फरलो हो या पैरोल, दोनों ही जेल से कुछ दिनों की रिहाई के लिए होती हैं. हालांकि ये दोनों ही एक दूसरे से अलग होते है. पैरोल किसी भी कैदी को 1 साल की सजा कटाने के बाद मिलती है. जबकि एक कैदी को कम से कम तीन साल जेल में बिताने के बाद फरलो दी जा सकती है, जबकि बहुत जरूरी हो तो कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए पैरोल दी जाती है. पैरोल की अवधि कम होती है. पैरोल किसी भी कैदी को अस्थायी रूप से अपने परिवार और समाज से जुड़े रहने के लिए दिया जाता है. पैरोल को कैदी की सजा की अवधि में नहीं जोड़ा जाता है. वहीं बात करें फरलों की तो यह कैदी को उसके अच्छे आचरण को देखते हुए दी जाती है. साथ ही कैदी की फरलो में बिताए गए समय को सजा की अवधि में जोड़ा जाता है.

कब – कब जेल के बाहर रहे राम रहीम
24 अक्टूबर 2020 – राम रहीम को पहली बार अपनी मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल मिली.
21 मई 2021 – राम रहीम को मां से मिलने के लिए दूसरी बार 12 घंटे की पैरोल दी गई.
7 फरवरी 2022 – पहली बार परिवार से मिलने के लिए 21 दिन की फरलो मिली.
जून 2022 – 30 दिन की पैरोल, यूपी के बागपत आश्रम जाने के लिए दी गई.
14 अक्टूबर 2022 – 40 दिन की पैरोल मिली.
21 जनवरी 2023 – शाह सतनाम सिंह की जयंती में शामिल होने के लिए 40 दिन की पैरोल मिली.
20 जुलाई 2023 – 30 दिन की पैरोल मिली.
21 नवंबर 2023 – 21 दिन की फरलो लेकर बागपत आश्रम गया.
19 जनवरी 2024 – लोकसभा चुनाव के पहले 50 दिनों के लिए पैरोल पर जेल से बाहर आया.
13 अगस्त 2024 – हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले 21 दिन की फरलो मिली है.