अपना घर, खेत और गांव कौन छोड़ना चाहता है. जिस जगह पर आप पले बढ़े हों या फिर उस जगह ने आपको रोजगार (Employment) दिया हो तो उससे लगाव हो जाना स्वाभाविक है. विस्थापन (Displacement) का दर्द वैसे तो कोई नहीं झेलना चाहता लेकिन मजबूर हाथों के पास कोई और विकल्प भी तो नहीं होता. साल 1980-90 में नर्मदा घाटी परियोजना (Narmada Valley Project) की रूपरेखा बनकर तैयार की जाती है. इसी दरमियान भारत के तीन राज्यों हरियाणा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नर्मदा नदी के साथ ही उसकी 41 सहायक नदियों पर दो विशाल बांध गुजरात में सरदार सरोवर बांध तथा मध्य प्रदेश में नर्मदा सागर बांध बनकर तैयार होता है. इसमें 28 मध्यम बांध और 3000 जल परियोजनाओं का निर्माण भी शामिल था. हालांकि इस परियोजना के निर्माण से गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की लगभग 37000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाती है. जिसमें 13000 हेक्टेयर वन भूमि भी शामिल थी. जमीन के जलमग्न होने के कारण इन तीन राज्यों के लाखों लोगों को अपना घर और गांव छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ता है. यह देश का सबसे बड़ा और पहला विस्थापन माना जाता है.
इस परियोजना को रोकने के लिए देश भर में विरोध होता है लेकिन परियोजना नहीं रुकी. साल 1989 आते – आते यह विरोध जन आंदोलन का रूप ले लेता है. परिणामस्वरूप इसका उद्देश्य बांध के कारण विस्थापित लोगों को सरकार द्वारा होने वाले राहत कार्यों की देख-रेख तथा उनके अधिकारों के लिए न्यायालय में जाना बन गया. वर्तमान में विस्थापन और पुनर्वास (Rehabilitation) भारत के लिए एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण मुद्दा है. देश में अधिकतर विकास परियोजनाओं, जैसे कि बांध, सड़क और औद्योगिक परियोजनाओं के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर विस्थापित किया जाता है. ऐसे में लोगों को अपना घर, ज़मीन और रोजगार तक छोड़ना पड़ता है. इतना ही नहीं विस्थापित लोगों को सही पुनर्वास की सुविधा न मिलने से उन्हें आवास की कमी, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा न्याय और सामाजिक न्याय जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
रोजगार और शिक्षा के लिए विस्थापन
इसके अलावा देश में लोग रोजगार और अच्छी शिक्षा, सुख-सुविधाओं की तलाश में भी एक राज्य से दूसरे राज्य, एक शहर से दूसरे शहर में विस्थापित होते हैं. भारत के कई राज्य जैसे झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से कई लोग दूसरे राज्य जैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, आंध्र प्रदेश आदि में अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए विस्थापित होते रहते हैं. ऐसे में आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि विस्थापन और पुनर्वास क्या होता है? साथ ही देश में पुनर्वास और विस्थापन के लिए क्या नियम कायदे हैं.
विस्थापन और पुनर्वास क्या होता है
विस्थापन एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति या समुदाय को उनके निजी स्थान से बाहर कर दिया जाता है. हालांकि इसके मुआवजे के तौर पर उन्हें कही दूसरे स्थान पर बसने के लिए जगह उपलब्ध करवाई जाती है. वहीं जब इस व्यक्ति या समुदाय को एक स्थान से हटा कर दूसरे स्थान पर बसाते हैं तब वह पुनर्वास कहलाता है. आसान भाषा में कहे तो विस्थापन में किसी व्यक्ति या समुदाय को अपने निजी स्थान से दूर कर दिया जाता है जबकि पुनर्वास में उसी व्यक्ति या समुदाय को दूसरे स्थान पर बसाया जाता है. हालांकि भारत के संविधान में विस्थापन और पुनर्वास के लिए कई नियम कायदे हैं. पुनर्वासित होने वाले लोगों के लिए कई तरह की सुविधाएं भी सरकार की ओर से मुहैया कराई जाती हैं.
पुनर्वास या विस्थापन के नियम कायदे
- अनुच्छेद 19(1)(ई) – इस अनुच्छेद के तहत नागरिकों को अपने देश के किसी भी हिस्से में बसने और व्यापार करने का अधिकार है.
- अनुच्छेद 21 – इस अनुच्छेद के तहत नागरिकों को जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार है.
- अनुच्छेद 38(2) – राज्य को सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का अवसर सभी नागरिकों के लिए प्रदान करने का निर्देश है.
- अनुच्छेद 39(बी) – राज्य को नागरिकों को जीविका के लिए योग्य अवसर प्रदान करने की बात करता है.
- अनुच्छेद 41 – इस अनुच्छेद में राज्य को नागरिकों को कानून के तहत सुरक्षा और न्याय प्रदान करने की बात है.
भारतीय संविधान का विस्थापन और पुनर्वास अधिनियम
- विस्थापन अधिनियम 1984 – यह विस्थापन से संबंधित मुद्दों पर विचार करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है.
- पुनर्वास अधिनियम, 2003 – यह अधिनियम पुनर्वास से संबंधित मुद्दों पर विचार करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है.
- पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996, वन अधिकार अधिनियम, 2006 और भूमि अधिग्रहण, विस्थापन और पुनर्वास अधिनियम, 2013 भी पुनर्वासित जनों के मुद्दों पर विचार करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है. वहीं जब लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में विस्थापन किया जाता है, तो सरकार कुछ मूलभूत सुविधाएं लोगों को उपलब्ध करवाती हैं.
- आवास योजना – सरकार विस्थापित लोगों को नए स्थान पर आवास प्रदान करती है, जैसे कि मकान या भवन.
- आर्थिक सहायता – सरकार विस्थापित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, जैसे कि बेरोजगारी भत्ता या कर्ज
- रोजगार की सुविधा – सरकार विस्थापित लोगों को रोजगार की सुविधा प्रदान करती है, जैसे कि नौकरी या स्वरोजगार के अवसर.
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा – सरकार विस्थापित लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करती है, जैसे कि स्कूल या अस्पताल.
- न्यायालय और कानूनी सहायता – सरकार विस्थापित लोगों को न्यायालय और कानूनी सहायता प्रदान करती है, जैसे कि वैधानिक सहायता या न्यायालय के खर्चे.
- भाषा और सांस्कृतिक सुविधा – सरकार विस्थापित लोगों को भाषा और सांस्कृतिक सुविधा प्रदान करती है, जैसे कि भाषा शिक्षा या सांस्कृतिक कार्यक्रम.
- सामाजिक सुरक्षा – सरकार विस्थापित लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है, जैसे कि सामाजिक पेंशन या सामाजिक बीमा शामिल होता है.
देश में आंतरिक विस्थापन या पुनर्वास कब-कब हुआ
- नर्मदा बचाओ आंदोलन (1980-1990) – कई गांव के लोगों को अपनी निजी जगह से दूर होकर दूसरे स्थान पर बसना पड़ा.
- टिहरी डैम (1990-2000) – टिहरी बांध के निर्माण के लिए कई गांवों को खाली कराया गया.
- सिंगूर आंदोलन (2000) – सिंगूर में कई किसानों को अपनी जमीन से दूर कर दिया गया.
- पॉस्को आंदोलन (2000) – ओडिशा में पॉस्को स्टील प्लांट के लिए ग्रामीणों को दूसरे स्थान पर बसना पड़ा.