बैगाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के लिए सरकार (Government) ने प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसका नाम बैगा प्रोजेक्ट (Baiga Tribes) है. वैसे तो बैगा जनजाति की संस्कृति, सभ्यता और उनके रहन-सहन के बारे में चर्चा होती रहती है. इतना ही नहीं राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार भी इनके उत्थान और विकास के लिए लगातार काम करती रहती है. लेकिन सवाल यह है कि बैगा जनजाति का असल में कितना उत्थान हुआ है.
बता दें कि भारत की कुल आबादी लगभग 141.72 करोड़ है. इसमें 8.6% यानि की लगभग 10.42 करोड़ जनसंख्या पिछड़ी जनजातियों की है. मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक 1.53 करोड़ से भी ज्यादा जनजातीय लोग रहते हैं. मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में भी कई जनजातियां निवास करती हैं. खास बात यह है कि जहां देश के सभी किसान जमीन पर हल जोत कर खेती करते हैं. वहीं एक ऐसी भी जनजाति है जो धरती पर हल जोतने को पाप मानती है. इतना ही नहीं इन जनजातियों में शादी समारोह में तो ठीक किसी के मातम में भी शराब पीना जरूरी माना जाता है.
इन जिलों में है बैगा जनजाति
बैगा जनजाति मध्य प्रदेश की आदिम जनजातियों में से एक है. यह मध्य प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी जनजाति मानी जाती है. इस जनजाति की उपजातियों में नरोतिया, भरोतिया, रायमैना, कंठमैना और रेमैना आदि प्रमुख हैं. वर्तमान में बैगा जनजाति मुख्यतः मध्य भारत के राज्यों में देखने को मिलती है. इसमें मध्य प्रदेश के मंडला, डिंडोरी, शहडोल, अनूपपुर जिलों में साथ ही छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर, और बस्तर. उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, मिर्जापुर, और चंदौली. झारखंड के गुमला, सिमडेगा, और पाश्चिमी सिंहभूम के साथ ही ओडिशा के नबरंगपुर, कालाहांडी, और रायगड़ा में सबसे ज्यादा बैगा जनजाति पाई जाती है.
बैगा जनजाति की उत्पत्ति
बैगा जनजाति के लोग बताते हैं की जब सभी तरफ पानी था तो एक काली रंग की चट्टान से बांस का एक पौधा निकलता है. उसी बांस के पौधे से बैगा स्त्री और पुरुष की उत्पत्ति हुई थी. फिर उसी बांस से जंगल का निर्माण हुआ. बैगा शब्द का अर्थ होता है “ओझा या शमन”. शायद इसलिए भी यहां के लोग झाड़-फूंक और अंध विश्वास जैसी चीजों में ज्यादा विश्वास करते हैं. इस जाती के लोग धरती को अपनी माता और शेर को अपना अनुज मानते हैं. इनके प्रमुख देवी-देवता बूढ़ा देव, दूल्हा देव और भवानी माता हैं. इस जनजाति के लोग अपने शरीर के कई हिस्सों में गोदना बनवाते हैं. माथे पर गोदना बनवाना उनकी संस्कृति को प्रदर्शित करता है. गोदना बनवाने की प्रक्रिया काफी दर्दनाक होती है. गोदना बनवाने के लिए सुई और स्याही का इस्तेमाल किया जाता है और ये प्रक्रिया काफी दिनों तक चलती है.
घट रही है बैगा जनजाति की आबादी
बैगा जनजाति के पुरुष सिर पर गमछा और धोती पहनते हैं एवं महिलाएं साड़ी पहनती हैं. बैगा जनजाति के गहने गिलट के तथा नकली चांदी के होते हैं. बैगा जनजाति के लोग बैगानी या बिंझवारी भाषा बोलते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, बैगा जनजाति की जनसंख्या लगभग 1,44,000 थीं. हालांकि वर्तमान में इनकी आबादी घटकर 1,31,425 हो गई है.
बैगा जनजाति की खूबियां
बैगा जनजाति की सबसे बड़ी विशेषता यह है की ये कभी भी हल जोत कर खेती नहीं करते. इनका मानना है कि अगर वे ज़मीन पर हल जोतेंगे, तो इससे धरती मां को दर्द होगा. यह मान्यता उनकी सांस्कृतिक और पारंपरिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह दर्शाती है कि वे धरती के साथ कितना गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं. इस जनजाति के लोग झूम खेती और शिकार करके अपना गुजर-बसर करते हैं. इसके अलावा बैगा जनजाति दीमक, चींटी, चूहा और कंदमूल का सेवन करते हैं. यहां के लोग शादी और मातम दोनों में शराब का सेवन करते हैं. यहां हर त्यौहार में महिलाएं और पुरुष शराब का सेवन करते हैं.
बैगा जनजाति के लोकगीत
करमा, विवाह में बिलमा नाच, लहंगी तथा झटपट आदि प्रमुख बैगा जनजाति के लोकनृत्य हैं. साथ ही छेरता इनकी प्रमुख नृत्य नाटिका है. बैगा जनजाति के प्रमुख लोकगीत करमा गीत, ददरिया, बिहाव गीत, फाग, माता सेवा, सुआगीत आदि है. बैगा जनजाति के प्रमुख वाद्ययंत्र ढोल, मांदर, टिमकी, नगाड़ा, किन्नरी, एवं टिसकी आदि होते हैं.
बैगा जनजाति के लिए सरकारी योजना
छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह (PVTG) बैगा जनजाति को 9 अगस्त 2023 को वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत पर्यावास अधिकार प्रदान किए गए हैं. PVGT, Particularly Vulnerable Tribal Groups यानि की विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह यह अनुसूचित जनजातियों के भीतर एक उप-श्रेणी है, ताकि सबसे कमज़ोर समूहों की पहचान की जा सके. इसके अंतर्गत जनजातियों की साक्षरता, कृषि-पूर्व प्रौद्योगिकी, आर्थिक पिछड़ापन, साथ ही उनकी घटती जनसंख्या को देखते हुए उन्हें PVGT में शामिल किया जाता है. इसके अलावा पीएम-जनमन मिशन भी आदिवासी समुदाय के विकास के लिए एक प्रमुख पहल है. पीएम-जनमन एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाना है. इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 24,104 करोड़ रुपये PVGT के अन्तर्गत आने वाली जनजातियों के विकास कार्य के लिए सुनिश्चित किया गया है. इसमें पीएम-आवास योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुंच, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं.
इसके साथ ही पिछड़ी जनजातियों के लिए कई सरकारी योजनाएं चलायी जाती हैं. जैसे प्रधानमंत्री जन धन योजना जिसके तहत बैगा जनजाति के लोगों को बैंक खातों की सुविधा प्रदान की जाती है. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जो की स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा के लाभ प्रदान करते हैं. शिक्षा के लिए सामान्य छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिसके तहत अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्तियां और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. आदिवासी छात्रावास योजना जिसमें आदिवासी क्षेत्रों के छात्रों के लिए आवासीय सुविधाएं और शिक्षा प्रदान की जाती हैं. इसके अलावा (MGNREGA) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना जो की ग्रामीण क्षेत्रों में काम की गारंटी देता है. आदिवासी विकास योजनाओं के तहत विशेष रूप से आदिवासी समुदायों के लिए आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाते हैं.
स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं में आयुष्मान भारत योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं चलायी जाती हैं. आदिवासी सांस्कृतिक विकास योजनाओं में बैगा जनजाति की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्यक्रम और पहल की जाती हैं. वनाधिकार अधिनियम के तहत समुदायों को जंगलों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है और उन्हें जंगल के संसाधनों का प्रबंधन करने की अनुमति देता है.
बैगा जनजाति की पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।