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One Nation One Election: एक देश एक चुनाव को मंत्रिमंडल की मंजूरी, जानिए पूरी क्रोनोलॉजी

एक देश एक चुनाव (One nation one Election) के प्रस्ताव को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. इस बात की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अब चुनाव 2 चरणों में करवाएं जाएंगे. पहले चरण में लोकसभा (Lok Sabha Election) और विधानसभा के चुनाव होंगे और दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय के चुनाव कराए जाएंगे. ऐसे में इस आर्टिकल के माध्यम से देश में होने वाले चुनावी बदलाव के बारे में जानेंगे. साथ ही यह भी जानेंगे कि इसे लागू करने में सरकार के सामने क्या – क्या चुनौतियां रहने वाली हैं.

एक देश एक चुनाव क्या है
एक देश एक चुनाव यानी कि One nation one Election के तहत देश में अलग-अलग समय पर होने वाले अलग-अलग चुनाव से बचना है. भारत जैसे बड़े देश में कुछ ही महीनों के भीतर अलग-अलग राज्यों में चुनाव होते रहते हैं, जिससे पूरे देश का ध्यान चुनाव की तरफ आकर्षित होता है. चुनाव आयोग हरकत में आता है और राजनीति तेज होती है. तमाम सरकारी इंतजाम भी शुरू हो जाते हैं. इसके साथ ही आचार संहिता लागू होती है और सरकार के विकास कार्यों में रोक लग जाती है. एक देश एक चुनाव की अवधारण इसी समस्या से छुटकारा दिलाता है. इसके तहत देश में होने वाले चुनाव को एक साथ 2 चरणों में करवाने की बात कही गयी है.

आजादी के बाद, एक साथ होते थे सभी चुनाव
1947 में जब देश आजाद हुआ था तो पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ. उस समय भी देश में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा के चुनाव साथ में ही हुए थे. इसके बाद 1957, 1962 और 1967 तक देश में एक साथ ही चुनाव कराए गए. लेकिन 1969 में कुछ विधानसभा के समय से पहले ही भंग हो जाने के चलते चुनाव की समय सीमा में बदलाव हुआ. इतना ही नहीं 1970 में लोकसभा चुनाव के भी समय से पहले भंग होने की वजह से 1971 में फिर से लोकसभा चुनाव करवाना पड़ा. तभी से लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में अंतर आ गया और देश में अलग-अलग समय पर चुनाव होने लगे.

1983 में हुई एक देश एक चुनाव की मांग
एक देश एक चुनाव की मांग साल 1983 से ही चली आ रही है. हालांकि 1967 तक देश में चुनाव एक साथ ही कराए जाते थे. देश में 1967 तक One nation one Election का एक आदर्श नियम भी था. साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तभी से वो One nation one Election का समर्थन करते आ रहे हैं. इसके बाद 2 सितंबर 2023 को, भारत सरकार ने एक साथ चुनाव के मुद्दे के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करने का ऐलान किया और इसी दिन कोविंद कमेटी का गठन हो गया. इस कमेटी में कुल 9 सदस्य शामिल हुए जिसमें राम नाथ कोविंद को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आज़ाद, एन के सिंह, डॉ. सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे, संजय कोठारी, अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. नितेन चंद्रा को भी इस कमेटी में शामिल थे. कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी और 18 सिंतबर को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को पारित कर दिया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब इस बिल को शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.

बिल को पारित कराने में क्या चुनौतियां हैं
केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बिल पास होने के बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा. वहां से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. उसके बाद ही ये बिल कानून का रूप ले पाएगा. इसके अलावा कमेटी के प्रस्तावों के मुताबिक़ भारत में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए सरकार को संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा. सरकार के लिए संविधान संशोधन करना आसान नहीं होगा क्योंकि इसके लिए दो तिहाई बहुमत होना जरूरी है. इस विधेयक को पास कराने के लिए लोक सभा में कम से कम 362 और राज्यसभा में 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी है. इसके अलावा 15 राज्यों के विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा. वर्तमान में लोकसभा में NDA के पास 293 और राज्यसभा में 119 सदस्य हैं. ऐसे में सरकार को विपक्ष को भी भरोसे में लेना जरूरी होगा.

इसके अलवा एक और चुनौती यह है की एक साथ चुनाव करवाने के लिए सरकार को लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव को सिंक करना होगा. 2024 की अगर बात की जाए तो इस साल लोकसभा के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और आंध्रप्रदेश में विधान सभा चुनाव करवाए गए. इसके अलावा इसी साल जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव करवाए जाने हैं. ऐसे में इन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल या तो समय से पहले भंग करवा दिया जाएगा या फिर कुछ समय के लिए बढ़ा दिया जाएगा. इस तरह लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए उन राज्यों की विधानसभा को भी भंग करना होगा, जिनका कार्यकाल पूरा नहीं हुआ होगा.

कोविंद कमेटी की क्या सलाह है
आम चुनाव 2 चरणों में कराया जाए. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा और दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव हो. कमेटी के सभी सदस्य इस पर सहमत हो जाते हैं तो 2029 से इसे शुरू कर सकते हैं. इसके लिए 2026 तक 25 राज्यों में विधान सभा चुनाव करवाने होंगे. इसके अलावा कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाना पड़ेगा ताकि लोकसभा और विधान सभा के चुनाव साथ में कराए जा सकें. साथ ही एकल वोटर लिस्ट और वोटर आईडी भी तैयार करवानी होगी.

बिल के लागू हो जाने से क्या बदलेगा
इस बिल के लागू होने के बाद देश में जो चुनाव अलग-अलग समय पर कराये जाते हैं. उससे छुटकारा मिलेगा. साथ ही जब भी राज्यों में चुनाव शुरू होने वाले होते हैं तो राज्य में आचार संहिता लगायी जाती है. जिसकी वजह से सरकार कोई भी नयी योजना शुरू नहीं कर पाती और उनके काम में रुकावटें आती हैं. लेकिन one nation one election के लागू होने के बाद देश में बार-बार आचार संहिता नहीं लगानी पड़ेगी और सरकार अपना कम ठीक से कर पायेगी और चुनावी खर्च में भी कमी आएगी. बता दें की 2019 के चुनावी खर्च 50 हज़ार करोड़ था जो 2024 में बढ़कर 1 लाख 35 हज़ार करोड़ हो गया. इसके साथ ही चुनाव के समय सरकारी कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों को ड्यूटी पर लगाया जाता है. नए कानून के लागू होने के बाद से देश का संसाधन बचेगा और कर्मचारियों के समय की भी बचत होगी.

एक देश एक चुनाव से जुड़ी सभी बातों को जानने के लिए देखिए ये जानकारीपरक वीडियो।।