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लकड़ी जलाकर पढ़ते हैं यहां बच्चे, अंधेरे में डूबे गांव की पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट

विंध्य के सीधी (Sidhi) ज़िले के कुसुमी तहसील में छड़हुला (Chhadhaula) गांव है. यहां दिन के उजाले में पढ़ने और खेलने वाले बच्चों के कदम शाम होते ही ठिठक जाते हैं. छडहुला गांव में शाम होते ही सभी घर घुप्प अंधेरे में खो जाते हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि स्थानीय लोगों को यह समस्या देश को मिली आजादी के पहले से चली आ रही है. विंध्य के सीधी जिले में कई कद्दावर नेता हुए. कई बार डबल इंजन की सरकार भी बनी. लेकिन छडहुला गांव की तकदीर नहीं बदली. छडहुला गांव के हालात में सुधार हो सके इसके लिए विंध्य फर्स्ट की टीम यहां की प्राथमिक शाला पहुंची और स्कूल (School) में पढ़ने वाले छात्रों (Student) और शिक्षकों (Teacher) से बात की.

एक नियमित और एक अतिथि शिक्षक के भरोसे संचालित इस छडहुला गांव की स्कूल की स्थिति काफी दयनीय है. यहां की प्राथमिक शाला में बिजली नहीं होने से बच्चे गर्मी के अंधेरे में बैठने को मजबूर हैं. स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों को होमवर्क तो मिलता है लेकिन वो इसे पूरा नहीं कर पाते. कई घर ऐसे हैं जहां पर लकड़ी जलाकर बच्चों को पढ़ने का इंतजाम किया जाता है.

कैसा है गांव का स्कूल
छडहुला गांव का स्कूल काफी जर्जर हालात में है. पहली से पांचवीं तक के इस स्कूल में सिर्फ तीन कमरे हैं. इसमें से एक कमरा जरूरी कागजात रखने के लिए आरक्षित है तो अन्य दो कमरों में एक साथ सभी बच्चे पढ़ते हैं. हैरान करने वाली बात यह भी है इन बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ दो ही शिक्षक यहां पर नियुक्त किए गए हैं. इनमें से भी एक नियमित तो दूसरे अतिथि शिक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं. स्कूल की इमारत इतनी जर्जर है कि बारिश होते ही इसे बंद कर दिया जाता है. इस स्कूल भवन में आज तक बिजली नहीं पहुंची है.

बॉर्डर पर है यह गांव
सीधी जिले का छडहुला गांव मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित है. वैसे तो इस गांव की गिनती मध्य प्रदेश में होती है, लेकिन अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय लोग बार्डर पार करके छत्तीसगढ़ जाते हैं. यह गांव आज भी समाज की मुख्य धारा से कटा हुआ है. छडहुआ गांव में गोंड और बैगा आदिवासी हैं जबकि एक घर यादवों का भी है.

छडहुला गांव के बच्चों और बड़ों की समस्या जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।