तिरुपति मंदिर (Tirupati Temple) में मिलने वाले लड्डू (Laddu) प्रसादम की चर्चा इन दिनों हर घर में हो रही है. घी (Ghee) में हुई मिलावट को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने YSR कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया है की उनकी सरकार में तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी वाले घी और फिश ऑयल का इस्तेमाल किया गया था. अपने आरोपों को साबित करने के लिए चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP ने CALF ‘Centre for Analysis and learning in Livestock & Food’ की एक रिपोर्ट का हवाला दिया. रिपोर्ट के मुताबिक तिरुपति के लड्डू ‘प्रसादम’ में लगने वाले घी में फिश ऑयल यानी मछली का तेल और BEEF TALLOW यानी गाय की चर्बी और LARD यानी सूअर की चर्बी के अंश मिले हुए थे. बता दें कि इसी महीने NDA विधायक दल की एक बैठक में यह आरोप लगा. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि शुद्ध घी और चर्बी वाला घी एक दूसरे से कैसे अलग हैं. साथ ही शुद्ध घी और चर्बी वाली घी एक दुसरे से कैसे अलग हैं?
इन सभी सवालों का जवाब जानने के पहले आपको बता दें कि तिरुपति मंदिर में बनने वाले लड्डू के लिए रोज 60 किलो घी की जरुरत होती है. यह पूरा घी राजस्थान के फ़तेहपुर की एक डेरी से आता है. ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि भारत में हर साल 23 हज़ार करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है. जिसमें से सिर्फ 10% यानी की 2300 करोड़ लीटर दूध ही घी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस दूध से लगभग 76 करोड़ किलो शुद्ध घी का निर्माण हर साल देश में होता है. देश की आबादी के मुताबिक यह साफ है कि 145 करोड़ लोगों को साल भर में 1 किलो शुद्ध घी भी नहीं मिल पा रहा है. जबकि देश में हर साल 4-5 किलो घी का औसत सेवन प्रति व्यक्ति करता है. ऐसे में यह साफ है कि देश में सभी के लिए शुद्ध घी उपलब्ध नहीं करवाया जा सकता है. क्योंकि देश में उतना घी है ही नहीं है जितनी देश में घी की खपत है.
घी में मिलावट कैसे होती है
जब आप दुकानों पर घी लेने जाते हैं तो दुकान वाले यह जरूर पूछते हैं की घी खाने के लिए चाहिए या पूजा के लिए? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खाने वाला घी पूजा करने वाले घी से महंगा होता है. शुद्ध घी बनाने के लिए मक्खन को कढ़ाई या किसी बर्तन में डाल कर उसे गर्म किया जाता है. धीरे-धीरे मक्खन का सारा पानी सूखने लगता है और घी बन जाता है. वहीं जब आप बाजार से शुद्ध घी का लेवल लगा डिब्बा लेकर आते हैं लेकिन कई बार इसमें अलग-अलग तरह से वेजिटेबल ऑइल, एनिमल फैट, हाइड्रोजेनेटेड ऑइल का इस्तेमाल किया गया होता है. इतना ही नहीं कई कंपनियां नकली घी भी बनाती हैं. इन मिलावटी घी में शुद्ध घी की खुशबू मिला दी जाती है. जिससे घी शुद्ध है या नहीं इसकी पहचान ही नहीं हो पाती.
घी में मिलावट कैसे होती है
जब आप दुकानों पर घी लेने जाते हैं तो दुकान वाले यह जरूर पूछते हैं की घी खाने के लिए चाहिए या पूजा के लिए? ऐसा इसलिए होता है क्योंकि खाने वाला घी पूजा करने वाले घी से महंगा होता है. शुद्ध घी बनाने के लिए मक्खन को कढ़ाई या किसी बर्तन में डाल कर उसे गर्म किया जाता है. धीरे-धीरे मक्खन का सारा पानी सूखने लगता है और घी बन जाता है. वहीं जब आप बाजार से शुद्ध घी का लेवल लगा डिब्बा लेकर आते हैं लेकिन कई बार इसमें अलग-अलग तरह से वेजिटेबल ऑइल, एनिमल फैट, हाइड्रोजेनेटेड ऑइल का इस्तेमाल किया गया होता है. इतना ही नहीं कई कंपनियां नकली घी भी बनाती हैं. इन मिलावटी घी में शुद्ध घी की खुशबू मिला दी जाती है. जिससे घी शुद्ध है या नहीं इसकी पहचान ही नहीं हो पाती.
एनिमल फैट से घी बनाती हैं कंपनियां
देश में कई ऐसी कंपनियां हैं जो एनिमल फैट से घी बनाने का काम करती हैं. एनिमल फैट से घी बनाने के लिए गाय, भैंस, भेड़, बकरी और हिरण जैसे अन्य जानवरों की चर्बी जिसे बीफ टैलो कहते हैं को उबाला जाता है. विदेशों में इसका इस्तेमाल काफी अधिक किया जाता है. कई लोग ब्रेड में मक्खन के तौर पर बीफ टैलो लगाकर खाना पसंद हैं. इसके अलावा नकली घी बनाने के लिए लोग लार्ड का भी इस्तेमाल करते हैं. लार्ड, सूअर की चर्बी को कहते हैं. यह सूअर की टांगों से निकाला जाता है. इसे सेमी-व्हाइट फैट भी कहते हैं. इसे भी उबालकर घी बनाया जाता है और इसमें एसेंस डाल दिया जाता है ताकि घी से शुद्ध घी की सुगंध आ सके. इसके अलावा फिश ऑयल का इस्तेमाल भी घी बनाने में किया जाता है. कुछ कंपनियां घी में डालडा भी मिला रही हैं. इसके अलावा कई ऐसी कंपनियां हैं जो घी बनाने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल भी कर रही हैं.
आपके घी में एनिमल फैट है या नहीं
यह पहचानना आसान नहीं है कि आपका घी कितना शुद्ध है. मिलावट करने वाली कंपनियां ऐसे-ऐसे तरीके अपनाती हैं कि लैब टेस्ट से भी असली या नकली का पता लगा पाना मुश्किल है. हालांकि बावजूद इसके कुछ तरीकों से आप पता कर सकते हैं की घी में एनिमल फैट है या नहीं. शुद्ध घी सॉफ्ट और क्लियर टेक्सचर का होता है. अगर आपका घी रूम के टेंपरेचर में जम जाता है, तो मतलब इसमें मिलावट हुई थी. ऐसे ही घी को गैस पर गर्म करने पर अगर इससे जलने की बदबू आती है, तो इस घी में एनिमल फैट मिला हुआ है. क्योंकि शुद्ध घी गर्म करने पर पिघलता है लेकिन जलने की बदबू नहीं आती है.
तिरुपति मंदिर में मिलने वाले लड्डू प्रसादम की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।