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RTI के ब्रह्मास्त्र से खुलती हैं भ्रष्टाचार की परतें, जानिए बीके माला ने इसे क्यों बनाया करियर

बीके माला बताते हैं कि आरटीआई ना लगाई जाए. इसके लिए कई लोग साम-दाम-दंड-भेद अपना कर और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक हर प्रकार का दबाव बनाते थे. उन सभी दबावों को दरकिनार करके और भगवान की कृपा रही कि इन सब चीजों से परे होकर हमने काम किया.

विंध्य में रीवा जिले के बरा गांव से ताल्लुक रखने वाले बीके माला ने अपनी एक अलग पहचान RTI एक्टिविस्ट के तौर पर कायम की है. पेशे से वकील 39 साल के बृजेन्द्र कुमार मिश्र को स्थानीय लोग बीके माला (BK MALA) के नाम से जानते हैं. उन्होंने RTI को करियर के तौर पर चुना है. साल 2005 में सूचना का अधिकार कानून लागू होने के साथ ही उन्होंने पहली RTI दाखिल की. आरटीआई एक्ट (Right To Information Act) आम आदमी का ब्रह्मास्त्र माना जाता है. खास बात यह है कि बीके माला अभी तक हज़ार से अधिक RTI लगा चुके हैं. इन आरटीआई से भ्रष्टाचार के कई मामलों के खुलासे हुए. हालांकि कई ऐसी RTI भी थीं जिनका जवाब देने में सरकार के नुमाइंदों को तकलीफ थी उनके उत्तर आज तक बीके माला को नहीं मिले. इस आर्टिकल के माध्यम से हम अपने पाठकों को बताएंगे कि RTI का क्या महत्व है और बीके माला को क्यों लगा कि उन्हें एक RTI एक्टिविस्ट बनना चाहिए.

RTI एक्टिविस्ट बीके माला ने एपीएस यूनिवर्सिटी से बीए स्नातक करने के बाद रीवा लॉ कॉलेज से वकालत की पढ़ाई पूरी की. सूचना का कानून लागू होने के बाद में उन्होंने RTI को अपना ब्रह्मास्त्र बनाया. हालांकि RTI एक्टिविस्ट की जिंदगी कभी भी आसान नहीं होती है. गौर करने वाली बात यह है कि आरटीआई एक्ट में सरकार को कानून का पालन करना होता है, जबकि अन्य सभी कानून आम जनता के लिए बनाए जाते हैं. हालांकि बीके माला इस बारे में कहते हैं कि साल 2005 में ये कानून आ तो गया, लेकिन इसे लेकर सरकारों में कभी भी कड़ाई से लागू करने की मंशा नहीं रही. जबकि भारत एक ऐसा देश है जहां दुनिया में सबसे ज़्यादा लगभग हर साल 60 लाख सूचना के अधिकार का इस्तेमाल होता है.

बीके माला के मुताबिक आरटीआई एक्ट लागू होने के पहले से वह सामाजिक कार्य के क्षेत्रों में काम कर रहे थे. छात्र जीवन से ही समाज में व्यापत कुरीतियों जिसमें शासन भी एक तंत्र था को सुधारने का प्रयास कर रहे थे. उन्होंने साल 2005 में आरटीआई लागू होने के बाद बहुत सारी शासन की गलत नीतियों का खुलासा करके नजीर पेश की. रीवा जिले में एक समय पर शिक्षा के क्षेत्र में नकल माफिया का बोलवाला था. अवैधानिक तरीके से कॉलेजों में नकल होती थी ऐसे में नकल को लेकर RTI लगाने पर बीके माला को जो डिटेल मिली वह चौकाने वाली थी. यह प्रकरण एक नजीर बना. वर्तमान में मध्य प्रदेश का यह ऐतिहासिक फैसला बृजेंद्र कुमार मिश्रा वर्सेस मध्य प्रदेश शासन को पत्र – पत्रिकाओं के माध्यम से लोग पढ़ रहे हैं.

इन विभागों में उजागर हुए मामले
बता दें कि बीके माला की लगाई गई RTI से लोक निर्माण विभाग में एक बड़े भ्रष्टाचार के मामले का खुलासा हुआ. इसी प्रकार रीवा डिवीजन में फर्जी बैंक गारंटी के मामले का भी खुलासा RTI से ही हुआ. एनजीटी ने प्रदूषण फैलाने वालों पर आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी को आधार बनाकर कार्यवाही की. इसी प्रकार बहुत सारी जनहित याचिकाएं भी माननीय उच्च न्यायालय में लगाई गयीं जो अब सुप्रीम कोर्ट में हैं. शिक्षा को लेकर ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय में एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला 150वीं जयंती को लेकर हुआ. उस मामले से जुड़े हुए कई प्राध्यापक जेल गए और आज भी वह मुकदमा चल रहा है. इस मामले में अभी भी कई वरिष्ठ प्राध्यापक जांच के घेरे में हैं.

लोग करते थे रोकने का प्रयास
बीके माला बताते हैं कि आरटीआई ना लगाई जाए. इसके लिए कई लोग साम-दाम-दंड-भेद लगाकर और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक हर प्रकार का दबाव बना कर रोकने का प्रयास करते थे. उन सभी दबावों को दरकिनार करके और भगवान की कृपा रही कि इन सब चीजों से परे होकर हमने काम किया. उम्र कम होने के बाद भी हमने काम किया और एक मैसेज दिया कि आरटीआई का सभी को सदुपयोग करना चाहिए. यह अलग बात है कि कई लोग इसका दुरुपयोग भी करते हैं. किसी व्यक्ति को आरटीआई को लाभ का धंधा नहीं बनाना चाहिए. आरटीआई लगाकर किसी को परेशान नहीं करना चाहिए. आरटीआई आने के बाद लोगों को ऐसा लगता है कि हमें एक ब्रह्मास्त्र मिल गया है.

रीवा से जुड़े थे व्यापम के तार
व्यापम जैसे बड़े घोटाले के तार रीवा से भी जुड़े थे. दरअसल व्यापम के शिकायतकर्ता के रूप में बीके माला का नाम भी दर्ज है. इस घोटाले में शामिल मुख्य आरोपी ओपी शुक्ला अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में रुके थे, इस बात का खुलासा बीके माला के द्वारा ही किया गया था.

RTI को लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं बीके माला
बीके माला जनता को सीधे तौर पर मिले इन राइट्स को बताने के लिए व्यक्तिगत तौर पर कई जगहों पर मास्टर ट्रेनर के रूप में लेक्चर देते हैं. इसके अलावा ग्राम पंचायतों में विभागों में संबंधित जानकारी संकलित करके भी लोगों की मदद करते हैं. इतना ही नहीं सामान्य जनता को आरटीआई कैसे लगाई जाती है, इसका फॉर्मेट कैसा होता है, इस तरह की सभी जानकारी देने का कार्य भी वर्तमान में कर रहे हैं.

बीके माला के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।

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