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Vyapam Scam: सबसे बड़े शिक्षा घोटाले की कहानी, 64 मौत के साथ दांव पर लाखों युवाओं का भविष्य

व्यापम घोटाले (Vyapam Scam) में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और CBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले में 64 लोगों की मौत हुई थी.

मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले (Vyapam Scam) का जिन्न शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. 64 मौत के साथ लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लगाने वाला व्यापम का घोटाला एक बार फिर से खबरों में है. दरअसल, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और CBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यह तब हो रहा है जब पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने व्यापम घोटाले को लेकर कोर्ट में PETITION डाली थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश संजय कुमार ने मध्य प्रदेश शासन और CBI को नोटिस जारी करने का आदेश दिया. ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम अपने पाठकों को बताएंगे कि मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शिक्षा घोटाला कैसे हुआ. साथ ही घोटाले के 11 साल बाद भी इसके आरोपियों की पहचान क्यों नहीं हो पाई है.

बता दें कि व्यापम को मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल के नाम से जानते हैं. इसकी स्थापना साल 1970 में हुई. यह एक स्वायत्त प्रवेश परीक्षा (AUTONOMOUS ENTRANCE EXAM) करवाने वाली संस्था थी. शुरुआत में प्री-मेडिकल टेस्ट की परीक्षाएं कराने के बाद इसमें प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट और कई तरह की प्रोफ़ेशनल परीक्षाएं आयोजित कराई जाने लगीं. स्थापना के 12 साल बाद 1982 में व्यापम ने प्रोफ़ेशनल परीक्षाएं आयोजित करानी शुरू की. 90 के दशक में ही व्यापम को लेकर आवाज उठने लगी थी लेकिन पहला मामला 1995 में सामने आया. हालांकि इस मामले की पहली एफआईआर छतरपुर जिले में साल 2000 में दर्ज़ की गयी. 

व्यापम की परीक्षा में कैसे होती थी धांधली
व्यापम की परीक्षाओं में नकल करने के लिए स्टूडेंट कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. जैसे डमी कैंडिडेट्स के माध्यम से एग्जाम के लिए आवेदन करने वाले कैंडिडेट को बदल दिया जाता है. इसके लिए कैंडिडेट्स से काफी पैसे भी वसूले जाते थे. इसके अलावा इंजन बोगी सिस्टम में डमी उम्मीदवार या एक्सपर्ट उम्मीदवार को इंजन के तौर पर बिठाया जाता था और उसके पीछे चीटिंग करने वाले उम्मीदवार लाइन से बैठ जाते थे. एक और टेकनिक थी जिसमें उम्मीदवार अपनी ANSWER SHEET खाली छोड़ देते थे और बाद में कॉपी चेक करते वक्त उन्हें एक्सपर्ट्स सही ANSWERS से भर देते थे.

2009 में व्यापम की जांच के लिए बनी कमेटी
साल 2009 में व्यापम को लेकर बड़ी गड़बड़ियां सामने आईं जिसमें व्यापम पर एग्जाम कंडक्ट कराने में धांधली करने के आरोप लगे. इन आरोपों की वजह से तात्कालिक भाजपा सरकार में शिवराज सिंह चौहान ने व्यापम में हो रही गड़बड़ियों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया.

कैसे हुआ देश का सबसे बड़ा शिक्षा घोटाला
व्यापम की जांच के लिए गठित कमेटी ने साल 2011 में अपनी रिपोर्ट में बताया की 8 अभ्यर्थी ऐसे थे जो किसी दूसरे कैंडिडेट् की जगह पर एग्जाम दे रहे थे. इसके अलावा 15 ऐसे स्टूडेंट थे जिन्होंने पिछले एग्जाम में टॉप किया था. लेकिन फिर भी वो एग्जाम देने बैठे थे. इसी तरह 100 से ज्यादा ऐसे स्टूडेंट्स थे जो डमी उम्मीदवार के थ्रू पास हुए थे. इस रिपोर्ट के आधार पर साल 2011 में कई स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया गया. लेकिन साल 2013 में कुछ ऐसा हुआ जिसने व्यापम को देश का सबसे बड़ा शिक्षा घोटाला करार दिया. दरअसल 2013 में प्री मेडिकल एग्जाम देते समय 8 स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया गया. अगले ही दिन 20 और लोगों की गिरफ़्तारी हुई. तहकीकात में पता चला की परीक्षा में डमी कैंडिडेट बैठाने के लिए 50 हज़ार से 1 लाख तक की फंडिंग की गयी थी. इस पूरे रैकेट को जगदीश सागर चला रहा था. कई बड़े लोगों के शामिल होने की वजह से इस केस को स्पेशल टास्क फोर्स को दे दिया गया.

मंत्री लक्ष्मी कांत शर्मा की गिरफ्तारी
स्पेशल टास्क फोर्स को शुरुआती जांच में पता चला की सिर्फ प्री मेडिकल एग्जाम ही नहीं बल्कि व्यापम में जितने भी एंट्रेंस एग्जाम करवाए जाते हैं. लगभग उन सभी में धांधलेबाजी हुई थी. 2013 में हुए प्री मेडिकल टेस्ट्स के रिजल्ट को फिर से इन्वेस्टीगेशन के लिए भेजा गया. जिसमें पता चला कि 286 स्टूडेंट्स ने एग्जाम में पास होने के लिए कोई न कोई गलत तरीका अपनाया था. केस इन्वेस्टीगेशन में पता चला है की धांधली में मध्यप्रदेश के फॉर्मर हायर एजुकेशन मिनिस्टर लक्ष्मी कांत शर्मा भी शामिल थे. जिसके बाद लक्ष्मी कांत शर्मा को गिरफ्तार कर लिया जाता है.

स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम की इंट्री
व्यापम के इन सभी मामलों की जांच के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम बनाई गई. हैरान करने वाली बात यह है कि 2014-2015 के बीच इस केस से जुड़े 23 लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई. लोगों की मौत की वजहों में दिल का दौरा और सीने में दर्द, रोड़ एक्सीडेंट और आत्महत्या शामिल थीं. सरकार के अनुसार 2007 से 2015 के बीच व्यापम मामले से जुड़े 32 लोगों की मौत हुई थी लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार व्यापम मामले में 40 से अधिक लोगों की मौत हुई.

CBI ने बंद किए व्यापम के केस
व्यापम से जुड़े संदिग्धों की मौत की जांच के लिए CBI को जिम्मेदारी दी गयी. हालांकि सीबीआई के पास कोई ठोस सबूत नहीं होने की वजह से उन्हें कई केस को बंद करना पड़ा. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को खत्म करते हुए 83 पेज की जजमेंट दी. साल 2008-2012 में व्यापम के थ्रू MBBS की डिग्री हासिल करने वाले 634 डॉक्टरों की डिग्री छीन ली गयी. आज तक इस स्कैम में लगभग 2000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

कैसे हुई पारस सकलेचा की इंट्री
साल 2017 में इस केस को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. लेकिन इसके बाद पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने व्यापम घोटाले को लेकर कोर्ट में पीटीशन (PETITION) दायर करके आरोप लगाया है कि व्यापम में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. 350 पेज के आवेदन के साथ पारस सकलेचा अपने आवेदन में व्यापम घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव, सचिव चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा संचालक, व्यापम के अध्यक्ष आदि से दस्तावेज पेश कर उनसे पूछताछ करने की मांग की. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में सकलेचा की ओर से राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा और ऋतम खरे बहस करते हैं और कोर्ट सीबीआई और मध्यप्रदेश सरकार को जवाब देने के लिए नोटिस जारी करती है. ऐसे में अब व्यापम के समय जितने भी अधिकारी थे उन सब की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

व्यापम की स्थापना का उद्देश्य
व्यापम की शुरुआत मध्यप्रदेश में UNBAISED और FAIR तरीके से एंट्रेंस एग्जाम कराने के लिए हुई थी. लेकिन बाद में इस संस्था पर आरोप लगे कि एग्जाम में टॉप करने के लिए व्यापम, स्टूडेंट्स से काफी ज्यादा पैसे लेता है. परीक्षा में स्टूडेंट्स की जगह किसी दूसरे डमी अभ्यर्थी को बैठा कर एग्जाम लिखवाया जाता था. प्रवेश परीक्षा के बाद अभ्यर्थी इंटरव्यू के लिए पहुंचे तो उनका चेहरा और एडमिट कार्ड पर लगी फोटो दोनों अलग होते थे. बावजूद इसके उन्हें इंटरव्यू में पास कर दिया जाता था.

व्यापम घोटाले की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।