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SC-ST Act: दलितों के खिलाफ हिंसा में यूपी नंबर 1, जानिए अन्य राज्यों का हाल

हाल ही में SC-ST अधिनियम के तहत एक रिपोर्ट जारी की है. ये रिपोर्ट सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गयी. इसमें पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश है.

केंद्र सरकार (central government) ने हाल ही में अनुसूचित जाति और जनजातियों के खिलाफ़ हो रहे अत्याचार को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के लगभग 97.7% मामले 13 राज्यों से दर्ज किए गए हैं. जिनमें पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश (Utter Pradesh) है. इसके बाद राजस्थान (Rajasthan) और मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का स्थान है. इतना ही नहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम यानी SC-ST (Prevention of Atrocities) की रिपोर्ट्स के अनुसार 2022 में ST के खिलाफ़ होने वाले ज्यादातर अत्याचारों में 98.91% मामले भी शीर्ष 13 राज्यों में दर्ज किये गए थे.

बता दें कि देश के संविधान में अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति को लेकर कई प्रावधान बनाये गए थे. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को 11 सितंबर, 1989 को संसद में पारित किया गया था और 30 जनवरी, 1990 को इसे लागू कर दिया था. इस अधिनियम को SC एवं ST के खिलाफ अत्याचारों और जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव और छुआ-छूत जैसी घटनाओं को रोकने के लिए बनाया गया था.

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने जारी की है रिपोर्ट
SC-ST अधिनियम के तहत यह रिपोर्ट सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रकाशित की गयी है. साल 2022 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के लगभग 97.7% मामले 13 राज्यों से दर्ज किए गए. इसमें उत्तर प्रदेश में 12,287 मामले सबसे अधिक दर्ज किए गए. इसके बाद राजस्थान में 8,651 और मध्य प्रदेश में 7,732 मामले दर्ज हुए थे. इसके बाद बिहार में 6,799 मामले, ओडिशा में 3,576 मामले और महाराष्ट्र में 2,706 मामले दर्ज किए गए थे. इन छह राज्यों में कुल मामलों का लगभग 81 प्रतिशत हिस्सा था.

एसटी से अत्याचार में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर
इसके अलावा, एसटी के साथ होने वाले अत्याचार की बात करें तो साल 2022 में 9,735 मामले दर्ज किए गए. इनमें मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 2,979 (30.61 प्रतिशत) मामले, राजस्थान में 2,498 मामले, जबकि ओडिशा में 773 मामले दर्ज किए गये. इसके साथ ही महाराष्ट्र में 691 और आंध्र प्रदेश में 499 मामले दर्ज किए गये.

NCRB की रिपोर्ट
National Crime Records Bureau के साल 2022 के आंकड़ों के अनुसार,अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध करने के कुल 57,582 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में 13.1% अधिक है. इन अपराधों में साधारण चोट और आपराधिक धमकी शामिल है जबकि SC-ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 4,703 मामले दर्ज किए गए. इसी के साथ भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश दलितों पर अत्याचार के मामलों में सबसे आगे है. वर्ष 2022 में देश भर में दर्ज कुल मामलों में से 23.78% मामलों में दलितों पर अत्याचार के 12,287 मामले UP से ही है. रिपोर्ट में अधिनियम के तहत जांच और चार्ज शीट की स्थिति के बारे में भी जानकारी दी गयी है. अनुसूचित जाति से संबंधित 60.38% मामलों में चार्ज शीट दायर की गई, जबकि 14.78% दावों या सबूतों की कमी जैसे कारणों की वजह से अंतिम रिपोर्ट के साथ बंद कर दिए गए. 2022 के अंत तक 17,166 मामलों की जांच पेंडिंग थी. इसके साथ ही reporting period के अंत तक अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार से जुड़े 2,702 मामले अब भी जांच के अधीन थे.

पीड़ितों को न्याय मिलने में होती है देरी
रिपोर्ट के अनुसार, 14 राज्यों के 498 जिलों में से केवल 194 ने ही इन महत्वपूर्ण अदालतों की स्थापना की है, जिससे पीड़ितों को त्वरित न्याय मिलने में बाधा आ रही है. इस तरह यह गिरावट कड़े कानूनों के बावजूद दलितों को जाति आधारित हिंसा से बचाने पर भी सवाल उठाती है. बता दें की POA ACT की धारा 14 के तहत राज्य सरकार को SC-ST के अत्याचार और हिंसा के मामलों से निपटने के लिए एक या एक से अधिक जिलों के लिए विशेष न्यायालय स्थापित करने का अधिकार दिया गया है, ताकि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द सुनवाई हो सके, लेकिन भारत में विशेष न्यायालयों की संख्या पर्याप्त नहीं है. देश भर के 498 कुल जिलों में से केवल 194 में ही विशेष न्यायालय स्थापित किए गए हैं. बता दे की देश में विशेष न्यायालयों की संख्या देश के कुल जिलों की आधी भी नहीं है. जिसकी वजह से SC-STs को न्याय दिलाने में बाधा होती है. हालांकि रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह पर्याप्त संख्या में न्यायालय स्थापित करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि POA ACT के तहत मामलों का जल्द से जल्द दो महीने के अंदर निपटारा किया जा सके.

पांच राज्यों में विशेष पुलिस स्टेशन
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों की शिकायतों के रजिस्ट्रेशन के लिए पांच राज्यों में विशेष पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं. इसमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल और मध्य प्रदेश शामिल हैं. बिहार के 38 जिलों में 40 विशेष पुलिस स्टेशन, छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में 27 विशेष पुलिस स्टेशन, झारखंड के 24 जिलों में 24, केरल के 14 जिलों में 3 और मध्य प्रदेश के 52 जिलों में 51 विशेष पुलिस स्टेशन स्थापित किए गए हैं. हालांकि मध्य प्रदेश में विशेष पुलिस स्टेशनों की लगभग समान स्थापना के बावजूद, दलितों और हाशिए पर पड़े लोगों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में राज्य तीसरे स्थान पर है.

देश में दलित अत्याचार से जुड़ी सभी जानकारियों के लिए देखिए ये वीडियो।।