सिंगरौली (Singrauli) जिले में मोरवा (Morwa) का इलाका कोयले की खदानों के लिए जाना जाता है. पहले यहां पर लोगों की बसाहट हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ कोयले की खनन कंपनियों ने मुआवजा देकर जमीनों का अधिग्रहण (land acquisition) खाली करा दिया. अब यहां पर हर तरफ कोयले के खनन में लगी मशीनें और कोयले के परिवहन में लगे ट्रक ही दिखाई देते हैं. हालांकि यहां पर अभी भी कुछ ऐसे परिवार हैं जिनकी जमीनों का अधिग्रहण तो हुआ लेकिन मुआवजा (compensation) नहीं मिला. अब ये परिवार मुआवजे की उम्मीद लगाए अपनी ही जमीनों में डरे सहमे से रह रहे हैं. ब्लास्टिंग होने के पहले इन घरों में रहने वाले लोगों को खुले मैदान में निकल जाने के लिए सूचना दी जाती है. खदान के बीच में बने इन घरों के गिर जाने का संकट हर वक्त बना रहता है. ऐसे में अगर इन परिवारों को कुछ होता है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा.
मोरवा के वार्ड 10 में रहने वाले परिवारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. यहां के लोगों को पीने के पानी का इंतजाम करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. स्थानीय लोगों को पानी (water crisis) के लिए पहाड़ी पार करके खदान में उतरना पड़ता है. पहाड़ी से खदान जाने वाला रास्ता इतना पतला है कि अगर स्लिप हुए तो सीधे खदान में गिरेंगे. यहां के लोग रास्ते में रस्सी लगा कर नीचे उतरते हैं और फिर इस रास्ते से होते हुए चढ़ाई पार कर के अपने घर पहुंचते हैं. खदान में मिलने वाले पानी से ही स्थानीय लोग अपनी दैनिक दिनचर्या की जरूरतें जैसे बर्तन धोने के लिए, कपड़े साफ करने के लिए और पशुओं को पिलाने के लिए पानी का इंतजाम करते हैं. बता दें कि शुरुआत में कोयला फैक्ट्री लगाने वाली NCL कंपनी की ओर से पानी उपलब्ध करवाया जाता था लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया. ऐसे में मजबूरी में पीने का पानी बाजार से खरीदना पड़ रहा है.
पूरे देश को मिलती है बिजली
सिंगरौली जिले को ऊर्जा राजधानी के नाम से भी जानते हैं. यहां तैयार होने वाली बिजली पूरे देश में सप्लाई होती है. लेकिन सिंगरौली जिले के मोरवा में वार्ड 10 के निवासी खुद अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. कुछ महीने पहले तक यहां बिजली की सप्लाई के लिए ट्रांसफार्मर लगे हुए थे जिन्हें अब हटा दिया गया है. यह इलाका पूरी तरह से अंधेरे में डूब गया है.
घरों में लगे थे पानी के मोटर
स्थानीय लोग बताते हैं कि अधिकांश घरों में मोटर लगे हुए थे. इन मोटरों से ही पानी की जरूरतें पूरी होती थीं. लाइट का कनेक्शन खत्म होने के साथ पानी की सप्लाई भी बंद हो गई. लगातार हो रही ब्लास्टिंग से पानी के जलस्त्रोत भी सूख गए हैं. ऐसे में यहां रहने वाले लोगों की निर्भरता खदान में रिसकर आने वाले पानी पर हो गई है.
मुआवजे के इंतजार में रुके हैं परिवार
यहां रहने वाले स्थानीय परिवार मुआवजे के इंतजार में रुके हुए हैं. लोगों का कहना है कि कुछ हिस्सों का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. मुआवजा मिलने पर ही वह किसी दूसरी जगह पर घर बनाकर रह सकेंगे. बिना पैसे के विस्थापित होने में बहुत समस्याएं होंगी. सरकार भी उनकी मदद नहीं कर रही है.
मोरवा के लोगों की समस्याओं को जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।