भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में बढ़ती महंगाई (inflation) से त्योहारों (festival) की खरीददारी प्रभावित हो रही है. बाजार (Market) में मिलने वाले सामानों की क़ीमतें लगातार बढ़ रही हैं. खाने-पीने की चीजों की कीमतों में भी बेतहासा इज़ाफ़ा हुआ है. लेकिन इसके मुकाबले मज़दूरी (wages) या फिर सैलरी (salary) नहीं बढ़ रही है. कमाई का एक बड़ा हिस्सा सुबह और शाम के भोजन के इंतजाम में खर्च हो रहा है. वहीं फ़ूड मैन्युफ़ैक्चरर की लागत में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी की वजह से रेस्तरां में मिलने वाले खाने की कीमतें बढ़ी हुई हैं. यह हालात तब हैं जब देश में 60 फ़ीसदी लोग सिर्फ 10 से 30 हजार रुपए तक ही हर महीने कमाते हैं.
बता दें कि भारत त्योहारों का देश है. यहां पर त्योहारों के दौरान कमाई का एक बड़ा हिस्सा खाने-पीने पर खर्च होता है. ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम एक रिपोर्ट को बताएंगे जिसमें आपकी कमाई और खाने के ख़र्च का कुछ हिसाब है. दरअसल, खाने के चीजों की बढ़ती कीमतें निम्न आय वर्ग के त्योहार का ज़ायका ख़राब कर रही हैं. खाने-पीने की खरीदारी में अधिक खर्च होने से कम आमदनी वाले लोग वस्तुओं की खरीदारी को टाल देते हैं. पिछले एक साल में ये अंतर और भी बढ़ गया है. जिन घरों में महिलाएं एकमात्र कमाने वाली हैं, वहां ख़ास तौर पर बोझ और ज़्यादा होता है.
एक साल में बढ़ी 52 फीसदी महंगाई
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2024 में औसतन स्वस्थ भोजन की लागत पिछले साल के इसी अक्टूबर महीने की तुलना में 52 फ़ीसदी बढ़ गई है. इसी बीच एवरेज सैलरी और मजदूरी में 9 से 10 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. वैसे तो, ऐसी कंडीशन होने से सभी लोग प्रभावित हुए हैं, लेकिन दिहाड़ी मज़दूरों और कम सैलरी पाने वालों के लिए ये बेहद ही डरावनी तस्वीर है. एक सामान्य भारतीय परिवार अपने रोज के खाने की ज़रूरतों को पूरा करने में तभी काबिल बन पाएगा जब वह रोजाना दो थाली के भोजन के बराबर कमाता हो.
टमाटर की कीमतों में 247% वृद्धि
थाली की क़ीमतों में वृद्धि को सीधे तौर पर अधिकांश सब्जियों की लागत में तेज़ बढ़ोतरी से जोड़ा जा सकता है. इस दौरान टमाटर, आलू और लहसुन की फुटकर क़ीमत में काफ़ी वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2024 के बीच टमाटर की कीमतों में 247%, आलू की कीमतों में 180% और लहसुन की कीमतों में 128% की वृद्धि हुई. औसतन, थाली में इस्तेमाल होने वाली सभी सब्जियों की फुटकर क़ीमत में सामूहिक तौर पर 89% की वृद्धि हुई, जबकि गैर-सब्जी वस्तुओं की क़ीमत में केवल 1.5% की वृद्धि हुई. हालांकि, इसी दौरान तुअर दाल और चावल की क़ीमतों में क्रमशः 2.6% और 0.7% की गिरावट आई. नमक, ऑयल और गेहूं जैसी अन्य वस्तुओं की क़ीमतों में केवल मामूली वृद्धि हुई, जो 3% से 18% के बीच थी.
आमदनी अठन्नी खर्चा और रुपैया
महाराष्ट्र में पुरुषों की एवरेज दैनिक मज़दूरी अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 451 रुपये प्रतिदिन से बढ़कर अक्टूबर-दिसंबर 2024 में 492 रुपये प्रतिदिन हो गयी. महिलाओं के लिए इसी तरह के आंकड़े 293 रुपये प्रतिदिन और 324 रुपये प्रतिदिन थे. महाराष्ट्र में पुरुषों की औसत महीने की सैलरी अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 24,321 रुपये से बढ़कर अक्टूबर-दिसंबर 2024 में 26,509 रुपये हो गया. महिलाओं के लिए इसी तरह के आंकड़े 18,959 रुपये और 20,928 रुपये थे. आसान शब्दों में कहें तो आज के दौर में महंगाई की इतनी मार है कि आम आदमी की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया है.
बढ़ती महंगाई का असर जानने के लिए देखिए ये पूरा वीडियो।।