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No Confidence Motion: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव…

भारत में पहला अविश्वास प्रस्ताव (1963) में जवाहरलाल नेहरू सरकार के खिलाफ लाया गया था. यह प्रस्ताव आचार्य जे.बी. कृपलानी ने किया था. हालांकि नेहरू सरकार बहुमत साबित करने में सफल रही थी. इसके बाद 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. जिसके बाद मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई थी.

भारतीय राजनीती में आपने अविश्वास प्रस्ताव के बारे में जरूर सुना होगा. जब विपक्ष यह मानता है कि सरकार की नीतियां विफल हो रही हैं, तब यह प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया जाता है. अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) एक राजनीतिक प्रक्रिया है. इसमें विपक्षी पार्टी सरकार (Government) के खिलाफ अविश्वास व्यक्त करती है. आसान भाषा में कहें तो जब विपक्ष (Opposition) को यह लगता है कि सरकार ठीक से काम नहीं कर रही, जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा, या फिर वर्तमान सरकार, संसद में बहुमत का समर्थन खो चुकी है, तो वे “अविश्वास प्रस्ताव” लाते हैं. यह सरकार के उत्तरदायित्व को बनाए रखने और निरंतर संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण तरीका है.

अविश्वास प्रस्ताव, लोकसभा (Loksabha) में लाया जाता है और इसका उद्देश्य सरकार को बहुमत साबित करने के लिए मजबूर करना होता है. इसे लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. यह सरकार को जवाबदेह बनाए रखने का एक तरीका है. यह प्रस्ताव तब लाया जाता है जब संसद के सदस्यों का बहुमत अब मौजूदा सरकार या उसके नेताओं पर विश्वास नहीं करता. इस प्रस्ताव के जरिए सरकार की लोकसभा में समर्थन की परीक्षा होती है. यदि सरकार अपना बहुमत साबित कर देती है तो सत्ता कायम रहती है और अगर सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती, तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है.

अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
भारतीय राजनीति में कई बार सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये गए. हाल फ़िलहाल की बात करें तो 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. हालांकि विपक्ष सत्ता पलटने में विफल रही. बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव भारतीय संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में पेश किया जाता है. अविश्वास प्रस्ताव के लिए कुछ नियम कानून बनाये गए है जिनका पालन करना जरूरी है.

1. प्रस्ताव पेश करना – लोकसभा का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है. प्रस्ताव पेश करने के लिए संबंधित सदस्य को लोकसभा के स्पीकर को लिखित सूचना देनी होती है. प्रस्ताव को रखने के लिए कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है. ये सदस्य प्रस्ताव पेश करने वाले सदस्य का समर्थन करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं.

2. स्वीकृति – जब सदस्य यह प्रस्ताव पेश करता है, तो लोकसभा के स्पीकर यह तय करते हैं कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं. अगर 50 सदस्यों का समर्थन मिलता है, तो स्पीकर इसे स्वीकार कर लेते हैं और चर्चा के लिए दिन निर्धारित करते हैं.

3. चर्चा – प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद, इसे चर्चा के लिए लोकसभा के एजेंडे में शामिल किया जाता है. जिसके बाद सरकार और विपक्ष के सदस्य अपने-अपने पक्ष रखते हैं. विपक्ष सरकार की विफलताओं को उजागर करता है. सरकार अपने बचाव में तर्क देती है और अपने कार्यों को सही ठहराने की कोशिश करती है.

4. मतदान – चर्चा के बाद, प्रस्ताव पर मतदान (वोटिंग) करायी जाती है. वोटिंग में यदि सरकार के पक्ष में बहुमत है, तो प्रस्ताव खारिज हो जाता है और सरकार बनी रहती है. यदि सरकार के खिलाफ बहुमत होता है, तो प्रस्ताव पारित हो जाता है. इस स्थिति में प्रधानमंत्री और उनकी पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ता है.

भारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव
भारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का सीधे उल्लेख नहीं किया गया है. यह किसी विशेष अनुसूची के तहत भी नहीं आता है. लेकिन अविश्वास प्रस्ताव का आधार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75(3) में निहित है. इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद को लोकसभा का विश्वास प्राप्त होना चाहिए. जिसका मतलब यह हुआ की प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद को लोकसभा में बहुमत मिलना चाहिए और अगर सरकार लोकसभा में बहुमत खो देती है, तो उसे पद छोड़ना होगा. इस तरह भारतीय संविधान का अनुच्छेद 75(3) अविश्वास प्रस्ताव को संबोधित करता है.

भारत में एकमात्र सफल अविश्वास प्रस्ताव
भारत में पहला अविश्वास प्रस्ताव (1963) में जवाहरलाल नेहरू सरकार के खिलाफ लाया गया था. यह प्रस्ताव आचार्य जे.बी. कृपलानी ने किया था. हालांकि नेहरू सरकार बहुमत साबित करने में सफल रही थी. इसके बाद 1979 में मोरारजी देसाई की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. जिसके बाद मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई थी. यह भारत में एकमात्र सफल अविश्वास प्रस्ताव था. इसके बाद 1980-1984 में इंदिरा गांधी के खिलाफ, 1987 में राजीव गांधी सरकार के खिलाफ, साल 1990 में वी.पी. सिंह सरकार के खिलाफ, 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ, साल 2008 में मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ, और 2018 और 2023 में नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. भारत में अब तक 28 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए, जिसमें से केवल एक ही बार अविश्वास प्रस्ताव सफल रहा.

अविश्वास प्रस्ताव के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।