गीताश्री (Geeta shree) हिंदी साहित्य और पत्रकारिता का एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी के जरिए समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया है. उनकी रचनाएं, उनके विचार, और उनका दृष्टिकोण आज के समय में काफी प्रासंगिक हैं. गीताश्री की रचनाएं मनोरंजन के साथ पाठकों को समाज के जटिल मुद्दों को समझने और बदलाव की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती हैं. गीताश्री के लेखन से यह सिद्ध होता है कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब होता है और इसे समाज सुधार का माध्यम भी बनाया जा सकता है. बता दें कि गीताश्री को रामनाथ गोयनका अवार्ड (Ramnath Goenka Award) से सम्मानित किया जा चुका है. आपको बिहार गौरव सम्मान दिया गया. हाल ही में मध्य प्रदेश के सीधी जिले में विंध्य इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (Vindhya international film festival) का आयोजन किया गया. जिसमें शामिल होने आयीं गीताश्री ने विंध्य फर्स्ट के साथ कई मुद्दों पर बात की.
बता दें कि गीताश्री का नाम हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित और समर्पित चेहरा है. अपने गहन लेखन, विचारशील दृष्टिकोण और नारीवादी विषयों पर अद्भुत पकड़ के लिए प्रसिद्ध, गीताश्री ने अपनी लेखनी से साहित्य और समाज दोनों को गहराई से प्रभावित किया है. गीताश्री का जन्म बिहार में हुआ था. हालांकि उनकी शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई. करियर के शुरुआत पत्रकारिता से करने वाली गीताश्री ने कई प्रमुख समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में लंबे समय तक काम किया. इसके बाद उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में रुख किया. यहां उन्होंने कई कहानी और उपन्यास लिखे. साथ ही स्त्री-विमर्श, समाज और संस्कृति पर गहन लेखन किया. यही कारण है कि उनकी रचनाएं चर्चा का विषय बनी रहती हैं.
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शिक्षित होना जरूरी
मूलरूप से बिहार के परिवेश में पली बढ़ी गीताश्री का कहना है कि महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरूरी है. शिक्षित होने के बाद आप आत्मनिर्भर बनते हैं और अपने फैसले खुद से ले पाते हैं. हालांकि युवा पीढ़ी अब पढ़ने की जगह देखने में भरोसा करने लगी है. समय के साथ परिवेश बदल रहा है. खास बात यह है कि लेखक तो एक उम्र के बाद खत्म हो जाते हैं लेकिन उनकी कृति और उनका लेखन हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं.
महिला सशक्तिकरण
गीताश्री बताती हैं कि वह महिलाओं के लिए लगातार लिख रही हैं. महिला को बराबरी का हक है. अधिकारों की मांग करने पर महिलाओं के ऊपर फैमनिजम का आरोप लगता है. महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल होने के लिए खुद को आगे लाना होगा. अभी के समाज में भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं काफी पीछे हैं.
30 से अधिक किताबों का लेखन और संपादन
गीताश्री ने अभी तक लगभग 16 किताबों का लेखन किया है. इसमें सात की संख्या में कहानियों का संग्रह है. कुछ पुस्तकें आपने नारीबाद के ऊपर लिखी हैं. इसके साथ ही चार उपन्यास का लेखन भी गीताश्री ने किया है. इसके साथ ही लगभग 15 किताबों का संपादन भी किया है. इस प्रकार 30 से अधिक किताबों में गीताश्री का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से योगदान रहा है. गीताश्री कहती हैं कि लेखक सिर्फ किताबों का लिखने का काम करते हैं. इन किताबों से पब्लिशर और दुकानदार पैसा कमाते हैं. लेखकों को रायल्टी के नाम पर झुनझुना पकड़ा दिया जाता है.
गीताश्री की प्रमुख रचनाएं
गीताश्री की रचनाओं में समाज के संघर्ष, नारी की स्वतंत्रता, और समकालीन मुद्दों को प्रमुखता से स्थान मिला है. उनकी लेखनी में सामाजिक जिम्मेदारी का समावेश होता है. यही कारण है कि गीताश्री की लेखनी को कई सम्मानों से नवाजा गया है. उनकी प्रमुख कृतियों में हसीनाबाद, दफ़्न होती बेटियां, स्वप्न, साज़िश और स्त्री शामिल हैं. इन रचनाओं में उन्होंने महिला सशक्तिकरण, समाज में पितृसत्ता के प्रभाव और सामाजिक असमानताओं को बड़े प्रभावी ढंग से उजागर किया है.
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गीताश्री का पत्रकारिता से साहित्य का सफर
गीताश्री ने पत्रकारिता के क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ने के बाद साहित्य की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने कला, साहित्य, सिनेमा, और समाज के विभिन्न पहलुओं पर लंबे समय तक लेखन किया. पत्रकारिता में काम करते हुए उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग की और वंचित तबकों की आवाज़ को प्रमुखता से उठाया. गीताश्री बताती हैं कि आज डिजिटल मीडिया आने के बाद प्रिंट मीडिया की स्थिति कमजोर हुई है. इसमें एआई का भी काफी योगदान है.
लेखक और पत्रकार गीताश्री का यहां सुनिए पूरा इंटरव्यू।।
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