ऑक्सफैम (Oxfam) ने आर्थिक असमानता (Economic Inequality) पर एक रिपोर्ट ‘टेकर्स, नॉट मेकर्स’ जारी की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में अरबपतियों की संपत्ति 2024 में 2 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 15 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी. यह पिछले वर्ष की तुलना में तीन गुना अधिक है. खास बात यह है कि दुनिया में आर्थिक असमानता की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. इससे गरीब और अमीर लोगों के बीच की खाई बढ़ती जा रही है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2024 में एशिया में अरबपतियों की संपत्ति में 299 अरब डॉलर की वृद्धि होगी. बता दें कि 20 जनवरी 2025 को दुनिया के सबसे अमीर लोग स्विट्ज़रलैंड के दावोस शहर में अपने वार्षिक जम्बोरी के लिए इकट्ठा हुए थे. इस रिपोर्ट में कई अध्ययनों और शोध पत्रों का हवाला दिया गया है.
ऑक्सफैम के अनुमान के मुताबिक अब से एक दशक के अन्दर कम से कम पांच खरबपति होंगे. साल 2024 में 204 नए अरबपति बने यानी की हर सप्ताह लगभग चार नए अरबपति बने. वहीं एशिया में अकेले 41 नए अरबपति बने. रिपोर्ट के मुताबिक 1990 के बाद से अरबपतियों की संपत्ति में भारी उछाल देखा गया है. जबकि गरीबों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है.
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विरासत में मिली संपत्ति से बने अरबपति
रिपोर्ट के मुताबिक अरबपतियों को 60 प्रतिशत संपत्ति विरासत और एकाधिकार से मिली है. मतलब अरबपतियों की संपत्ति का अधिकांश हिस्सा उनकी अपनी मेहनत या प्रतिभा के कारण नहीं है. यही कारण है कि अधिकार समूह ने दुनिया भर की सरकारों से आर्थिक असमानता को कम करने, ज्यादा धन को समाप्त करने और नए अभिजात वर्ग को खत्म करने के लिए सबसे अमीर लोगों पर टैक्स लगाने का आग्रह किया है. ऑक्सफैम ने गणना की है कि अरबपतियों की 36 प्रतिशत संपत्ति अकेले विरासत में मिली है. इसमें कहा गया है कि फोर्ब्स द्वारा किए गए शोध के मुताबिक 30 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक अरबपति को उनकी संपत्ति विरासत में मिली है. जबकि यूबीएस ने अनुमान लगाया है कि आज के 1,000 से अधिक अरबपति अगले दो से तीन दशकों में अपने उत्तराधिकारियों को 5.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति सौंपेंगे.
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अंग्रेजों ने 200 साल तक किया राज
रिपोर्ट में भारत पर ब्रिटेन के उपनिवेशवाद (colonialism) का भी जिक्र किया है. दरअसल, ब्रिटेन ने भारत पर लगभग 200 सालों तक 1765 से 1947 तक राज किया. इस दौरान अंग्रेजों ने करीब 64.82 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई भारत से की. इसमें 33.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर देश के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों के पास गई. यह इतनी बड़ी रकम थी कि ब्रिटिश पाउंड के 50 के नोटों से लंदन को लगभग चार बार ढंका जा सकता था. इस रिपोर्ट में उपनिवेशवाद को आर्थिक असमानता का जिम्मेदार ठहराया है. ऑक्सफैम ने कहा कि ऐतिहासिक उपनिवेशवाद के समय में शुरू हुई असमानता और लूट की विकृतियां, आधुनिक जीवन को आकार दे रही हैं. इसने एक असमान दुनिया बनाई है, जहां दक्षिण से धन निकाल कर उत्तर के सबसे अमीर लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है.
ब्रिटेन के अमीर लोगों के पास भारत की संपत्ति
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन में आज सबसे अमीर लोगों की एक बड़ी संख्या अपने परिवार की संपत्ति का श्रेय गुलामी और उपनिवेशवाद को देती हैं. जो यह बताता है कि कैसे उपनिवेशवाद और गुलामी के दौरान जमा की गई संपत्ति आज भी ब्रिटेन के अमीर लोगों की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा है. भारत में उपनिवेशवाद की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी. जिसने देश से काफी सारा पैसा लूटा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आधुनिक समय में बहुराष्ट्रीय कंपनियां दक्षिण में श्रमिकों का शोषण करती हैं, विशेषकर महिला श्रमिकों का. ऑक्सफैम ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि उच्च आय वाले देशों में प्रवासी श्रमिक अपने नागरिकों की तुलना में औसतन 12.6 प्रतिशत कम कमाते हैं.
दुनिया की अर्थव्यवस्था पर खास लोगों का कब्जा
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है कि चंद लोगों की बेहिसाब दौलत आम लोगों को कुचल रही है. अगर इस दौलत का इस्तेमाल सही जगह किया जाए, तो लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा सकता है. ऑक्सफैम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अमिताभ बेहर ने कहा कि दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कुछ खास लोगों का कब्जा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. जो की पूरी मानवता के लिए एक चेतावनी है. अमिताभ बेहर ने आगे कहा कि अरबपतियों की दौलत बढ़ने की रफ्तार तीन गुना तेज हुई है. दौलत के साथ उनकी ताकत भी उतनी ही तेजी से बढ़ी है. यह एक गंभीर समस्या है जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
ऑक्सफैम की पूरी रिपोर्ट जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।
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