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केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना: शाहपुर के किसानों की ज़मीन का अधिग्रहण और मुआवजे की उम्मीदें

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के शाहपुर गांव के किसान इन दिनों एक गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं. यहां के किसानों की ज़मीन केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत अधिग्रहित कर ली गई है.  लेकिन इस अधिग्रहण के बाद उनके सामने मुआवजे की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. किसानों का कहना है कि उनकी ज़मीन तो सरकार ने ले ली, लेकिन हमारे घरों को लेने से इंकार कर रही है. जिसके चलते किसानों के भविष्य और आजीविका पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

50 वर्षीय वृन्दावन यादव, जो शाहपुर गांव के एक किसान हैं, इन्होंने अपनी ज़मीन खो दी है, लेकिन अब वह अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंता में हैं. उनका कहना है, हम पूरे गांव वाले अपनी ज़मीन पर मेहनत करके परिवार का पालन-पोषण करते थे. लेकिन  अब तो हमारे पास ज़मीन भी नहीं रही आखिर करें तो करें क्या? सरकार कहती है कि आप लोगों का खेत बांध के नक्शे में फस रहा, लेकिन घर नहीं फस रहा. 

किसानों का भविष्य खतरे में 

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड के कई हिस्सों में पानी की कमी को दूर करना है. लेकिन इसके तहत होने वाले ज़मीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के लिए यह परियोजना अभिशाप लग रही है. खासतौर पर उन गांवों के लिए जहां किसानों की दहलीज डूब क्षेत्र में है, लेकिन घर डूब क्षेत्र से बाहर बताया जा रहा है. किसानों का साफ तौर पर कहना है कि ज़मीन के अधिग्रहण के बाद हमारे खेतों में पानी भर जाएगा, जिससे हमारी आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा. इससे पहले जो फसलें हमारे खेतों में उगती थीं, अब उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा.

मांग नहीं पूरी होने पर किसान करेगें उग्र आदोलन

वृंदावन जैसे हजारों किसान उग्र आदोंलन करने पर विवश हो रहे हैं. सभी किसानों का कहना है कि अगर सरकार हमारी मांगें नहीं पूरी करती तो हम लोग चक्का जाम करेंगे. इसी क्रम में वृन्दावन कहते हैं सरकार हम सभी को डॉरेक्ट न मारकर इनडॉरेक्ट रूप से मारना चाह रही है. इसलिए हम खुद ही सकड़ पर जाकर मरेंगे. यह मामला केवल शाहपुर गांव के किसानों का नहीं, बल्कि कई गांव के किसानों का है, जो सरकार से अपनी जमीन और घरों के उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं.