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बघेली गीत: पारंपरिक और आधुनिकता के बीच बघेली संस्कृति का संघर्ष

“गामन मा फैशन देखाय लागे, बोलय मा बघेली लजाय लागे” इस बघेली गीत के माध्यम से गायक ये कहना चाह रहा है कि, आज के दौर में गांव के लड़कों में भी शान-फौशन दिखने लगा है. लेकिन अपनी मातृ भाषा बोलने में इन्ही लड़कों को शर्म आती है. यह बघेली गीत बघेलखंड की सांस्कृतिक पहचान और आधुनिकता के बीच के संघर्ष को बेहद खूबसूरती से दिखा रहा है. यह गीत न केवल बघेली भाषा के प्रति बढ़ती संकोच को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे गांवों में बाहरी प्रभावों और फैशन के बढ़ते प्रभाव से पारंपरिक संस्कृतियां और बोलचाल की सहजता पर सवाल खड़े होने लगे हैं. गीत के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि आधुनिकता के साथ अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना अब एक चुनौती बन चुकी है.

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बघेली संस्कृति की पहचान और आधुनिकता का दबाव

जैसे-जैसे गांवों में बाहरी फैशन और आधुनिकता का प्रभाव बढ़ रहा है, वैसे ही बघेली भाषा और संस्कृति की पहचान की ओर बढ़ता संकोच भी स्पष्ट हो रहा है. लोग अब अपनी पारंपरिक बोलचाल और संस्कृति से शर्म महसूस करने लगे हैं, जबकि यह वही सांस्कृतिक धारा है, जो उनकी जड़ों से जुड़ी हुई है. इस गीत के माध्यम से यह बताया जा रहा है कि आज के समाज में पारंपरिक और आधुनिक विचारों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना मुश्किल हो गया है. हालांकि, यह गीत यह भी स्पष्ट करता है कि बघेली संस्कृति को बनाए रखना और इसे सहेजना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह हमारी पहचान और गर्व का हिस्सा है.

यह गीत बघेलखंड की सांस्कृतिक धारा को बनाए रखने के महत्व को भी रेखांकित करता है. इस गीत के संदेश को समझते हुए हमें अपनी संस्कृति के प्रति आत्मगौरव और प्रेम की भावना को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस अनमोल धरोहर से जुड़ा रखा जा सके.