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YouTube के छिपे हुए राज़: क्या Google हमें सच में सब दिखाता है?

YouTube, जो दुनिया का दूसरा सबसे अधिक विज़िट किया जाने वाला प्लेटफ़ॉर्म है, जल्द ही 20 साल का होने वाला है. यह प्लेटफ़ॉर्म जहां हम मनोरंजन, म्यूजिक वीडियो और बड़े क्रिएटर्स के कंटेंट से लेकर बहुत कुछ देखते हैं, वहीं इसके पीछे की असल दुनिया के बारे में बहुत कुछ ऐसा है जो हम नहीं जानते। YouTube पर कितने वीडियो हैं, और हम हर महीने कितना कंटेंट देखते हैं, इस बारे में Google हमेशा चुप्पी साधे रखता है.

हालांकि, एक अनोखी रिसर्च तकनीक ने इन रहस्यों से पर्दा उठाया है. अब यह साफ़ हो चुका है कि YouTube पर कुल कितने वीडियो हैं, और इसके एल्गोरिदम की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं. Google, जो YouTube का मालिक है, इन आंकड़ों को छुपाने में लगा रहता है, लेकिन अब इन रहस्यों का खुलासा हो चुका है.

YouTube कितना बड़ा है?
YouTube अब सिर्फ एक वीडियो प्लेटफ़ॉर्म नहीं रहा—यह दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा विज़िट किया जाने वाला डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है, पहले नंबर पर Google.com है. अनुमान है कि हर महीने 2.5 अरब लोग YouTube का इस्तेमाल करते हैं, जो दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी है. यानी हर तीन में से एक व्यक्ति इस प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करता है.

लेकिन सवाल यह है कि हम YouTube पर कितना कंटेंट देखते हैं? Google के मुताबिक, केवल टीवी पर YouTube देखने वाले लोग रोज़ाना 1 अरब घंटे का कंटेंट देखते हैं। लेकिन पूरे प्लेटफ़ॉर्म पर कुल कितने घंटे देखे जाते हैं? यह अभी भी एक रहस्य है.
कुछ गणनाओं के अनुसार, यह अनुमान लगाया गया है कि पूरी दुनिया हर महीने YouTube पर लगभग 8.3 मिलियन सालों के बराबर वीडियो देखती है! और एक साल में? यह आंकड़ा 100 मिलियन सालों से भी अधिक हो जाता है.

इस आंकड़े को गणित से समझते हैं:
एक औसत YouTube उपयोगकर्ता हर महीने लगभग 29 घंटे वीडियो देखता है.
अगर इसे सभी 2.5 अरब यूज़र्स पर लागू करें, तो:
2.5 अरब यूज़र × 29 घंटे प्रति माह = 8.3 मिलियन साल का कंटेंट प्रति माह
और इसे 12 महीनों से गुणा करें तो यह संख्या 100 मिलियन सालों से भी अधिक हो जाती है! यह आंकड़ा यह बताता है कि YouTube कितना विशाल और प्रभावशाली बन चुका है.

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YouTube पर कुल कितने वीडियो हैं?
Google ने 2006 में YouTube को खरीदने के बाद कुछ सालों तक इस आंकड़े को साझा किया, लेकिन अब यह डेटा छुपा लिया जाता है. हाल ही में, अमेरिका की University of Massachusetts Amherst के शोधकर्ताओं ने इसका जवाब ढूंढने का तरीका निकाला. उन्होंने एक स्क्रैपर कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित किया जिसे “ड्रंक डायलिंग” सिस्टम कहा जा सकता है. इस सिस्टम ने YouTube के अरबों वीडियो URL को रैंडमली जनरेट किया और देखा कि क्या वे किसी असली वीडियो से मेल खाते हैं.

इस प्रोग्राम ने 18 ट्रिलियन (18 लाख करोड़) संभावित URL चेक किए, जिनमें से केवल कुछ ही वास्तविक वीडियो थे. 2022 में इस पद्धति का इस्तेमाल करके ज़करमैन और उनकी टीम ने यह पाया कि YouTube पर 9 अरब से अधिक वीडियो थे। 2024 तक यह संख्या 14.8 अरब हो गई—यानि सिर्फ दो सालों में 60% की बढ़ोतरी!

YouTube पर किस तरह का कंटेंट है?
रिसर्च से पता चला कि YouTube पर सिर्फ बड़े क्रिएटर्स का कंटेंट हावी नहीं है, बल्कि बहुत सारे छोटे क्रिएटर्स और अनदेखे वीडियो भी हैं. इस शोध के अनुसार:

  • सिर्फ 0.21% वीडियो पर मोनेटाइजेशन था (यानि जिन पर विज्ञापन, स्पॉन्सरशिप या प्रमोशन था).
  • 4% वीडियो में “लाइक, शेयर, सब्सक्राइब” जैसी कॉल-टू-एक्शन थीं.
  • केवल 38% वीडियो एडिट किए गए थे.
  • आधे से ज्यादा वीडियो “शेकी कैमरा” से शूट किए गए थे.
  • औसत YouTube वीडियो की लंबाई केवल 64 सेकंड थी.
  • 4% वीडियो ऐसे थे जिन्हें अब तक एक बार भी नहीं देखा गया था.
  • 74% वीडियो पर कोई कमेंट नहीं था, और 89% वीडियो को कोई लाइक नहीं मिला.

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YouTube: टीवी या डिजिटल लाइब्रेरी?
यह आंकड़ा यह बताता है कि YouTube पर बड़े क्रिएटर्स और वायरल वीडियो तो सिर्फ एक छोटा हिस्सा हैं. असल में, YouTube पर लाखों छोटे क्रिएटर्स और अज्ञात सामग्री मौजूद है.
Google अब YouTube को एक “प्रोफेशनल कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म” के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है. लेकिन हकीकत में, यह सिर्फ मनोरंजन का मंच नहीं, बल्कि एक डिजिटल लाइब्रेरी बन चुका है. सरकारी मीटिंग्स से लेकर पुराने होम वीडियो तक – YouTube पर हर प्रकार का कंटेंट मौजूद है. यह अब सिर्फ एक वीडियो प्लेटफ़ॉर्म नहीं बल्कि इंटरनेट का इंफ्रास्ट्रक्चर बन चुका है.

YouTube ने पहले “Broadcast Yourself” के रूप में खुद को प्रस्तुत किया था, यानी जहां हर कोई अपनी आवाज़ दुनिया तक पहुंचा सकता था. लेकिन अब कंपनी का फोकस पूरी तरह बदल चुका है. 2025 की शुरुआत में YouTube के CEO, नील मोहन ने कहा कि YouTube अब “नया टीवी” बन रहा है, और YouTubers अब “हॉलीवुड के स्टार्टअप्स” बन रहे हैं.

YouTube का एल्गोरिदम और पारदर्शिता की आवश्यकता
YouTube का एल्गोरिदम यह तय करता है कि कौन सा वीडियो वायरल होगा और कौन सा दबा दिया जाएगा. लेकिन यह एल्गोरिदम किस सिद्धांत पर काम करता है, यह पूरी तरह से अज्ञात है. विशेषज्ञों का मानना है कि इतने बड़े प्लेटफ़ॉर्म को पारदर्शी होना चाहिए, ताकि यह समझा जा सके कि इसका एल्गोरिदम कैसे काम करता है.