भारत में वसंत ऋतु को फरवरी के अंत से लेकर अप्रैल की शुरुआत तक माना जाता है. यह वो समय होता था जब सर्द हवाएं धीरे-धीरे विदा लेती थीं और पेड़-पौधे, खेत-खलिहान जीवन से भर उठते थे. लेकिन अब ये मौसम उतनी देर टिक नहीं रहा. फरवरी में ही तापमान अप्रैल जैसा महसूस होता है. जहां पहले सर्दी से गर्मी तक का सफर धीमी रफ्तार से तय होता था, अब वह एक झटके में गर्म हो जाता है. एक दिन ठंडी हवा, और अगले ही दिन तेज़ धूप इस तरह से मौसम बदल रहा है.
तापमान में रिकॉर्ड तोड़ उछाल
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 30 वर्षों में फरवरी के औसत तापमान में 1°C की बढ़ोतरी हो चुकी है. इस साल की जनवरी 1901 के बाद दूसरी सबसे गर्म जनवरी रही, और फरवरी ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए. मार्च में तो कई जगहों पर पारा 40°C से भी ऊपर चला गया—जो पहले मई-जून में देखने को मिलता था.
- 27 फरवरी को हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गोवा और केरल के कई हिस्सों में सामान्य से 5°C ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया गया.
- 13 मार्च को गुजरात के राजकोट में तापमान 42.1°C, और
- 18 मार्च को ओडिशा के बौध में 43.6°C तक पहुंच गया.
- दिल्ली ने मार्च के आखिरी हफ्ते में 40.1°C दर्ज किया, जो सामान्य से 6°C ज्यादा था.
आम के बिना फूल, गेहूं के बिना दाना
इस मौसम परिवर्तन का सबसे सीधा असर फसलों पर पड़ रहा है. रत्नागिरी के आम किसान प्रफुल काम्बले बताते हैं कि इस बार फूल तो आए लेकिन फल नहीं बने. पहले एक फूल से 5-6 आम बनने की उम्मीद होती थी, इस बार एक भी नहीं. कारण? नवंबर से फरवरी तक मौसम में ज्यादा नमी, कम ठंड और फरवरी में ही पड़ी तेज़ गर्मी.
गेहूं, सरसों, आलू और चने जैसी रबी फसलें धीरे-धीरे बढ़ते तापमान की आदी होती हैं, लेकिन अब मौसम अचानक गर्म हो जाता है जिससे फूल झड़ जाते हैं और दाना ठीक से नहीं भरता.
- इस साल रबी की बुआई 661 लाख हेक्टेयर में हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 651 लाख हेक्टेयर था.
- रकबा तो बढ़ा, लेकिन उत्पादन गिरने की आशंका जताई जा रही है.
- तेज़ गर्मी की वजह से कीट और रोगों का खतरा भी बढ़ गया है, जिससे किसानों की लागत बढ़ती है लेकिन मुनाफा घट जाता है.
स्वास्थ्य पर दिखने लगा असर
मुंबई में फरवरी में ही तापमान 36°C पार कर गया और इसके तुरंत बाद फ्लू और वायरल बुखार के मामलों में उछाल देखा गया. डॉक्टर बताते हैं कि जब मौसम अचानक बदलता है, तो शरीर को ढलने का समय नहीं मिलता.
लंबे समय तक बनी रहने वाली गर्मी किडनी की बीमारी, गर्भवती महिलाओं की सेहत, नवजात शिशुओं और कुपोषण जैसी समस्याओं को भी बढ़ावा देती है.
- 2024 में देशभर में 40,000 से अधिक लोगों में हीट स्ट्रोक के लक्षण पाए गए और 100 से अधिक मौतें सिर्फ गर्मी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण दर्ज हुईं.
सिर्फ वसंत नहीं, सर्दी और पतझड़ भी गर्म हो रहे हैं
एक हालिया रिसर्च के मुताबिक जम्मू-कश्मीर जैसे ठंडे राज्य में भी फरवरी में औसत तापमान 3.1°C तक बढ़ गया है. राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड जैसे राज्यों में जनवरी और फरवरी के बीच 2°C से ज्यादा का अंतर देखा गया—यानी सर्दी से सीधे गर्मी में छलांग. भारत के 12 राज्यों में सर्दी सबसे तेज़ गर्म हो रही है, और 13 राज्यों में पतझड़. यानी अब मौसमों का चक्र ही बिगड़ चुका है—एक के बाद दूसरा मौसम आता नहीं, बल्कि सीधे छलांग लगती है.
संस्थाएं मौन, सवाल ज़िंदा
भारत मौसम विज्ञान विभाग, कृषि मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से इस पर सवाल किए गए हैं कि क्या वे मौसम के इन बदलावों को ध्यान में रखकर अपने “नॉर्मल्स” को अपडेट करेंगे? क्या किसानों और आम नागरिकों को इसकी जानकारी और तैयारी के लिए कोई ठोस योजना है?
आने वाली पीढ़ियों के लिए बस किताबों में बचेगा वसंत?
वसंत ऋतु सिर्फ एक मौसम नहीं है, यह हमारी कहानियों, कविताओं, त्योहारों और यादों में बसता रहा है. लेकिन अब वह तेजी से गायब हो रहा है। अगर अब भी हम सचेत नहीं हुए—नीतियों में बदलाव, खेती में नई तकनीक, और आम जनता में जागरूकता नहीं बढ़ाई—तो आने वाली पीढ़ियों के लिए वसंत सिर्फ एक “अतीत की बात” बन जाएगा.