Vindhya First

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने घेरा APSU परीक्षा नियंत्रक कार्यालय, छात्राओं के भविष्य से हो रहा खिलवाड़!

रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU) में इन दिनों छात्रों का आक्रोश उबाल पर है. रोज़ाना परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के सामने सैकड़ों छात्र-छात्राएं खराब परीक्षा परिणाम और नंबरों की गड़बड़ी को लेकर जमा हो रहे हैं. इस बार मामला और गंभीर तब हो गया जब शासकीय कन्या महाविद्यालय, रीवा की लगभग सैकड़ों छात्राएं अपने प्रैक्टिकल अंकों में भारी त्रुटियों को लेकर विश्वविद्यालय पहुंचीं, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने से रोक दिया.

छात्राओं की पीड़ा तब और मुखर हो गई जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) रीवा विश्वविद्यालय इकाई को इस अन्याय की जानकारी मिली. तत्काल ABVP के प्रतिनिधि मंडल ने छात्राओं के साथ मिलकर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक कार्यालय का घेराव कर दिया. छात्राओं ने आरोप लगाया कि परीक्षा फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है, और इस बीच विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारी उनसे परीक्षा सुधार के नाम पर अवैध रूप से पैसे की मांग कर रहे हैं.

इतना ही नहीं, छात्राओं ने शासकीय कन्या महाविद्यालय, रीवा की प्राचार्या पर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि प्राचार्या द्वारा उन्हें सीधे विश्वविद्यालय जाकर परिणाम सुधार कराने के लिए कहा जाता है, जबकि गर्मी की भीषण परिस्थितियों में छात्राएं बार-बार विश्वविद्यालय का चक्कर काटने को मजबूर हैं. स्थिति तब और विस्फोटक बन गई जब सामने आया कि छात्राओं के पास खुद अपने प्रैक्टिकल अंकों की गोपनीय जानकारी थी, जो कॉलेज प्रशासन की बड़ी लापरवाही को उजागर करती है.

अभाविप विश्वविद्यालय इकाई मंत्री लव कुमार पाण्डेय ने इस पूरे घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन मूकदर्शक बना बैठा है और शासकीय कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही हैं. “छात्राओं का भविष्य दांव पर लगाया जा रहा है और हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे,” उन्होंने कहा.

प्रदर्शन के दौरान प्रमुख रूप से रीवा भाग संयोजक पवन द्विवेदी, आयुष पाण्डेय, आयुष साकेत, आशीष साकेत, अभिषेक सिंह बघेल समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे.

छात्राओं की मांग है कि परीक्षा परिणामों की गलतियों को तुरंत सुधारा जाए, भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और शासकीय कन्या महाविद्यालय, रीवा की प्राचार्या की भूमिका की भी उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए.

इस पूरे घटनाक्रम ने रीवा के शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है. अब देखने वाली बात होगी कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन इस आंदोलन के दबाव में आकर कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर छात्रों का संघर्ष और लंबा खिंचेगा.