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शहडोल: जनपद पंचायत में दलालों का खेल, अध्यक्ष का करारा प्रहार!

शहडोल: जनपद पंचायत में दलालों का खेल, अध्यक्ष का करारा प्रहार!

शहडोल: मध्यप्रदेश सरकार लगातार भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी शासन का दावा करती रही है. लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर इन दावों की पोल खोल देती है. ताज़ा मामला शहडोल जिले के ब्यौहारी जनपद पंचायत से सामने आया है, जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली और दलाल तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

शहडोल जिले के ब्यौहारी जनपद पंचायत में दलाल भोले-भाले ग्रामीणों से योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर पैसों की मांग कर रहे थे. जनपद पंचायत अध्यक्ष ने बड़ा बोर्ड लगाकर दलालों को चेतावनी दी. सवाल यही है—क्या इस कदम से ठगी का खेल रुक पाएगा?

ग्रामीणों से ठगी का नया तरीका

जनपद पंचायत के बाहर सक्रिय दलाल ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देते और बदले में पैसों की मांग करते.
निरक्षर और भोले-भाले ग्रामीणों को यह विश्वास दिलाया जाता था कि बिना पैसे दिए उन्हें समग्र आईडी, पेंशन आईडी, सबल कार्ड या कर्मकार पंजीयन जैसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकता.

ग्रामीणों के साथ हो रही यह ठगी जब सामने आई, तो इसका असर सीधा पंचायत प्रशासन तक पहुंचा.

अध्यक्ष का बड़ा निर्णय

जनपद पंचायत अध्यक्ष आकांक्षी सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल कदम उठाया.
कार्यालय के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगाया गया, जिस पर साफ लिखा गया है—

“जनपद पंचायत में समस्त योजनाओं के कार्य जैसे समग्र आईडी, पेंशन आईडी, सबल कार्ड, कर्मकार पंजीयन निःशुल्क किए जाते हैं. यदि कोई भी व्यक्ति पैसों की मांग करता है तो तत्काल अध्यक्ष या सीईओ से शिकायत करें.”

इस पहल का सीधा असर ग्रामीणों पर पड़ा और उन्हें यह संदेश गया कि योजनाओं का लाभ लेने के लिए अब किसी भी दलाल को पैसा देना ज़रूरी नहीं है.

गोरखधंधे पर चोट, लेकिन…

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कदम दलालों के गोरखधंधे पर करारा प्रहार है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या सिर्फ बोर्ड लगाने से यह ठगी रुक जाएगी? या फिर दलाल इस व्यवस्था से बचने के लिए कोई नया रास्ता निकाल लेंगे?

ग्रामीणों को राहत, लेकिन निगरानी ज़रूरी

फिलहाल इतना तय है कि इस सख्ती से ग्रामीणों को राहत जरूर मिली है. अब वे सीधे पंचायत कार्यालय में जाकर योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ बोर्ड लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. लगातार निगरानी और प्रशासनिक सतर्कता भी ज़रूरी है.

ब्यौहारी जनपद पंचायत में उठाया गया यह कदम ग्रामीणों के लिए उम्मीद की किरण है. लेकिन प्रशासन और जनता दोनों को सतर्क रहना होगा. वरना दलाल तंत्र किसी नए रूप में फिर से उभर सकता है.

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