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Toggleअनूपपुर: नौ साल बाद भी टूटा वादा, किसान ने दिया आत्मदाह का अल्टीमेटम
अनूपपुर: कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल के हसदेव क्षेत्र स्थित कुरजा कालरी प्रबंधन द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के बदले रोजगार देने का वादा नौ साल बाद भी पूरा नहीं हुआ है. इस लापरवाही से आहत एक आदिवासी किसान ने 26 सितंबर को आत्मदाह करने की धमकी दी है. इस घटना ने जिला प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला अनूपपुर जिले के बिजुरी थाना क्षेत्र के नकटीटोला नंदगांव ग्राम पंचायत रेउन्दा का है. आदिवासी किसान रामू पुत्र अहिबरन पाव और मीरा बाई पुत्री बहादुर पाव की खसरा नंबर 3 की 4.253 हेक्टेयर जमीन को कुरजा कालरी प्रबंधन ने सीबीए एक्ट की धारा 9(1) के तहत 11 फरवरी, 2013 को अधिग्रहित कर लिया था. इस जमीन का इस्तेमाल अब कोयला उत्पादन के लिए किया जा रहा है. जमीन का मुआवजा तो 2014 में ही स्वामियों को दिया जा चुका है, लेकिन रोजगार देने का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ.

सैकड़ों बार चक्कर लगाने के बाद भी नहीं मिला न्याय
पीड़ित किसान रामू के मुताबिक, रोजगार पाने के लिए उन्होंने कुरजा कालरी प्रशासन के दफ्तर का सैकड़ों बार चक्कर लगाया. हर बार प्रशासन ने उन्हें टाल-मटोल के बहानों से लौटा दिया. इसके बाद किसान ने राज्य शासन के जिम्मेदार अधिकारियों को भी पत्र लिखकर अपनी स्थिति से अवगत कराया, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली.
निराशा और हताशा में डूबे इस किसान ने अब आखिरी रास्ता चुनते हुए जिला कलेक्टर को सूचित किया है कि यदि 26 सितंबर तक उन्हें रोजगार नहीं दिया गया, तो वह बिजुरी उपतहसील कार्यालय के सामने आत्मदाह कर लेंगे. रामू ने कहा, “अब मेरा मरना तय है. चाहे मैं तहसीलदार के कार्यालय के सामने मरूं, सब एरिया मैनेजर के दफ्तर में मरूं या अपने घर में मरूं.”

प्रशासन की बैठक भी रही नाकाम
किसान की इस चेतावनी के बाद जिला कलेक्टर हर्षल पंचोली के निर्देश पर इस मामले में एक बैठक भी हुई. इस बैठक में बिजुरी थाना प्रभारी, नायब तहसीलदार और कालरी प्रबंधन के अधिकारी शामिल हुए. हालांकि, बैठक के बाद भी कालरी प्रशासन की ओर से सकारात्मक कार्रवाई का कोई संकेत नहीं मिला है. अब सवाल यह है कि आखिरकार इस आदिवासी किसान को उसका हक मिलेगा या फिर प्रशासन की लापरवाही एक मासूम जान ले लेगी.
रिपोर्ट: सुनील गुप्ता (अनूपपुर)
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