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Toggleछिंदवाड़ा सिरप कांड: 15 मासूमों की मौत पर एनएसयूआई का विरोध तेज
छिंदवाड़ा सिरप कांड ने पूरे मध्य प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है. जहरीली दवा पीने से अब तक 15 से ज्यादा मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 से अधिक बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं.
रीवा में एनएसयूआई ने इस दुखद घटना के विरोध में स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ ज्ञापन सौंपा और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.

तमिलनाडु की प्रतिबंधित सिरप कैसे पहुंची छिंदवाड़ा?
जांच में सामने आया है कि बच्चों की मौत जिस कोल्डड्रिप कफ सिरप से हुई, वह तमिलनाडु की एक निजी कंपनी में तैयार की गई थी.
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि वही सिरप तमिलनाडु में पहले से प्रतिबंधित थी. इसके बावजूद, वह दवा मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में इलाज के नाम पर बच्चों को दी गई.
कंपनी के खिलाफ पहले भी गुणवत्ता को लेकर शिकायतें दर्ज थीं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
यह सवाल अब सिर्फ दवा कंपनियों से नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम से है — जो लोगों की जान को व्यापार बना चुका है.
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रीवा एनएसयूआई का ज्ञापन और आरोप
6 अक्टूबर 2025 को एनएसयूआई जिला अध्यक्ष पंकज उपाध्याय के नेतृत्व में छात्रों ने रीवा कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.
ज्ञापन में मांग की गई कि —
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प्रतिबंधित सिरप को प्रदेश में अनुमति देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए.
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जांच में देरी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाए.
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डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल की लापरवाही को देखते हुए उनके इस्तीफे की मांग की गई.

7 दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो होगा घेराव
एनएसयूआई ने चेतावनी दी कि अगर 7 दिनों में यह नहीं बताया गया कि ज़हरीली सिरप मध्य प्रदेश में कैसे आई, तो रीवा एनएसयूआई स्वास्थ्य मंत्री के निवास का घेराव करेगी.
उन्होंने कहा कि मासूमों की जान लेने वालों को सजा मिलनी ही चाहिए.
ज्ञापन में शामिल प्रमुख छात्र नेता
इस दौरान प्रदेश सह सचिव निकिता शर्मा, जिला उपाध्यक्ष सत्यम मिश्रा, संगठन मंत्री शशिमोल तिवारी, टीआरएस अध्यक्ष नित्कर्ष मिश्रा, सचिव मोहित शुक्ला, अभिषेक तिवारी, बलराम तिवारी, पुष्पेंद्र पटेल, समीर पांडे, सौरभ द्विवेदी, ऋतिक तिवारी, अंशु शुक्ला, प्रिंस तिवारी, और कई छात्र नेता मौजूद रहे.
छिंदवाड़ा सिरप कांड क्या है?
यह एक दवा से जुड़ा मामला है जिसमें तमिलनाडु में प्रतिबंधित एक कफ सिरप के सेवन से छिंदवाड़ा में 15 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई.
दवा कंपनी पर क्या कार्रवाई हुई है?
अभी तक जांच जारी है. एनएसयूआई और स्थानीय संगठनों ने तत्काल कार्रवाई की मांग की है.
एनएसयूआई ने क्या कदम उठाया है?
रीवा में एनएसयूआई ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और चेतावनी दी है कि कार्रवाई न होने पर स्वास्थ्य मंत्री का घेराव किया जाएगा.
छिंदवाड़ा सिरप कांड ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि बच्चों की दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी कौन करेगा.
सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है कि दोषियों को सज़ा मिले और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
मासूमों की जान की कीमत पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती.