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पॉडकास्ट में नरभक्षी की डरावनी कबूली: “मैं मुर्दाघर में काम करता था और वहां लाश खाता था”

पॉडकास्ट में नरभक्षी की डरावनी कबूली: "मैं मुर्दाघर में काम करता था और वहां लाश खाता था"

पॉडकास्ट में नरभक्षी की डरावनी कबूली: “मैं मुर्दाघर में काम करता था और वहां लाश खाता था”

पॉडकास्ट में नरभक्षी की डरावनी कबूली: एक पॉडकास्ट में सामने आई एक नरभक्षी की कहानी ने सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर दिए. उसने अपने जुबानी बताया कि कैसे उसने एक मुर्दाघर में काम किया और वहां रखी लाशों के अंगों को खाया. यह किसी डरावनी फिल्म की पटकथा नहीं बल्कि एक असली इंसान की सुनाई गई दर्दनाक दास्तान है.

पॉडकास्ट में नरभक्षी की डरावनी कबूली: "मैं मुर्दाघर में काम करता था और वहां लाश खाता था"
पॉडकास्ट में नरभक्षी की डरावनी कबूली: “मैं मुर्दाघर में काम करता था और वहां लाश खाता था”

मुर्दाघर में शुरू हुआ एक डरावना सफर

इस व्यक्ति ने अपनी कहानी में बताया कि उसकी नौकरी मुर्दाघर में थी. रोज मौत का सामना करना उसके लिए सामान्य बात हो गई थी. धीरे-धीरे उसके मन में एक अजीब और डरावनी इच्छा ने जन्म लिया. उसने बताया कि एक दिन उसने वहां रखी एक लाश के एक हिस्से को खाने की कोशिश की. इसके बाद यह उसकी आदत में शामिल हो गया.

कैसे पकड़ में आया यह नरभक्षी?

हालांकि उसने सोचा था कि उसका यह भयानक रहस्य कभी किसी को पता नहीं चलेगा. लेकिन एक छोटी सी गलती से उसका यह काम सामने आ गया. मुर्दाघर के कर्मचारियों को कुछ शवों में अजीबोगरीब कट्स नजर आए. जब इसकी जांच शुरू हुई तो सुराग इसी व्यक्ति तक पहुंचे. इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

पॉडकास्ट के जरिए दुनिया के सामने लाई कहानी

इस मामले की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस व्यक्ति ने यह कहानी स्वेच्छा से एक पॉडकास्ट में सुनाई. उसने बिना किसी डर या शर्म के अपने अपराधों को विस्तार से बयान किया. उसने बताया कि कैसे उसने अपनी इस आदत पर काबू पाने की कोशिश की लेकिन वह असफल रहा. उसने अपनी मानसिक स्थिति और उस डर के बारे में भी बातचीत की जो उसे हमेशा सताता था.

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार नरभक्षण यानी कैनिबलिज्म एक गंभीर मनोरोग है. यह अक्सर गहरे मानसिक आघात, गंभीर विकार या सामाजिक अलगाव का परिणाम हो सकता है. ऐसे व्यक्ति वास्तविकता और समाज के मानदंडों से कट जाते हैं. उनके लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि उनका यह行动 समाज के लिए कितना भयानक और अस्वीकार्य है.

निष्कर्ष

यह घटना न केवल अपराध बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के महत्व की ओर भी इशारा करती है. ऐसे मामले समाज के सामने एक गंभीर सवाल खड़ा करते हैं. क्या ऐसे लोगों को सिर्फ सजा देना ही काफी है या फिर उन्हें मनोवैज्ञानिक इलाज की भी जरूरत है. इसके साथ ही यह कहानी उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं.

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