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ToggleNDA का पलटा सियासी पटल — बिहार में फिर से नीतीश सरकार के करीब!
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने शुरू से ही बढ़त ली है. 243 सीटों में से 157 से अधिक सीटों पर अग्रणी — क्या नीतीश कुमार की अगुवाई में फिर से सरकार बनेगी? जानें लाइव ट्रेंड्स, कारण और आगे की राह.
इधर सुबह-सवेरे से ही बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना ने राजनीतिक हवा पलट दी है. जैसे-जैसे मतगणना के दौर आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए का ग्राफ ऊपर जा रहा है. प्रारंभिक रुझान बताते हैं कि एनडीए ने 157 से अधिक सीटों पर बढ़त बना ली है, और इस तरह से सरकार बनाने की दिशा में एक स्पष्ट संकेत मिल रहा है.
शुरुआत से बढ़त
गणना की प्रक्रिया सुबह 8 बजे शुरू हुई, जब पहले पोस्टल बैलेट और उसके बाद EVM व वीवीपैट की गिनती चालू हु

ई. प्रारंभ में जब परिणाम आने लगे, तो एनडीए का मोर्चा महीनों के विपक्षी दावों को पीछे छोड़ता दिखा। शुरुआती दौर में एनडीए ने 120-150 से बड़े आंकड़े पार कर लिए.
विशेष रूप से, एनडीए के घटक दलों में जनता दल (यू) (जद-यू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मिलकर बड़ी हिस्सेदारी हासिल की है. जद-यू की स्थानीय पैठ और बीजेपी-की शहरी ताकत ने मिलकर गठबंधन को लाभ दिया.
बढ़ती जा रही है संख्या
उदाहरण के तौर पर समाचार बताते हैं कि कुछ घंटों के अंदर ही एनडीए की बढ़त 190 सीटों के पार जा चुकी थी, जबकि विपक्षी महागठबंधन काफी पीछे रह गया था. चुनाव के इस चरण में, जितना जल्दी बढ़त मिली है, वह दर्शाती है कि मतदाता-वोटरों में एनडीए के प्रति स्थिर झुकाव रहा है.
क्या इसके मायने क्या हैं?
बहुमत का समीकरण: 243-सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। एनडीए ने इस सीमा को पहले से पार कर लिया है, जो उसे सरकार गठन की राह पर मजबूत बनाता है.
नीतीश कुमार-फैक्टर: मुख्यमंत्री पद पर लंबे समय तक रहे नीतीश कुमार की छवि, उनकी जद-यू की जमीन और रणनीति इस बढ़त में अहम रहे हैं.
विपक्ष का झटका: महागठबंधन को इस पहले चरण में ही राहत नहीं मिल रही. शुरुआती रुझान उसके लिए चिंता का विषय बन गए हैं.
किन क्षेत्रों में बढ़त मिली है?
कुछ जिलों में जैसे कि पूर्णिया, छपरा आदि में एनडीए के प्रत्याशियों ने साफ बढ़त दिखाई है. उदाहरण के तौर पर पूर्णिया में बीजेपी प्रत्याशि बड़ी बढ़त लेकर आगे चल रही हैं.
वहीं सरकार गठन के लिए जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, गिनती भी तेज हो रही है — और हर अपडेट के साथ यह स्पष्ट होता जा रहा है कि राजनीतिक समीकरण बदल रहा है.
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suspense बना हुआ है
हालाँकि एनडीए की बढ़त स्पष्ट है, लेकिन अंतिम परिणाम अभी बाकी हैं. कुछ सीटें अब भी अनुमान से बाहर लड़ रही हैं और विपक्षी उम्मीदवारों के पास सुधार का मौका हो सकता है. कई राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि “इतने में ही जीत तय नहीं होती” — यह बात कम महत्वपूर्ण नहीं है.
अब सवाल उठ रहा है कि क्या एनडीए डबल सेंचुरी यानी 200 से अधिक सीटों तक पहुंच पाएगी? या विपक्ष किसी तरह वापसी करेगा? आने वाले घंटों में इस जवाब-का-पहल सामने आएगा.
आगे क्या देखने योग्य है?
गिनती के अगले चरण में कौन-कौन से क्षेत्रीय झटके होंगे?
क्या किसी तीसरे मोर्चे का अस्तित्व उभरकर सामने आएगा?
वोटरों की किस वर्गीय प्रवृत्ति ने एनडीए को बढ़त दी — महिलाओं, युवाओं, OBC/EBC समूहों का असर क्या रहा?
विपक्ष के लिए रणनीति क्या होगी, और क्या वो चुनावी डिबेट को प्रासंगिक बना पाएगा?
आज की सुबह से ही बिहार की राजनीति में तीर-ढेर की हलचल मची हुई है. एनडीए ने जो बढ़त बनाई है, वह स्पष्ट संकेत देती है कि सत्ता पुनः उसके हाथों में जाने की संभावना सुदृढ़ है. लेकिन लोकतंत्र में “गिनती पूरी न होने तक कुछ कहा नहीं जा सकता” का मूल मंत्र फिर से सच साबित हो रहा है.
अगर आप सीट-वार अपडेट्स, पार्टी-वार विश्लेषण या क्षेत्रीय समीकरण जानना चाहें, तो मैं तुरंत जानकारी ला सकता हूँ. अभी के लिए यही कहना सही होगा- राजनीतिक परिदृश्य बदल रहा है, और आज बिहार देख रहा है एक नया अध्याय.