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पुष्पराजगढ़ कॉलेज में घोटाला: छात्रों का उग्र आंदोलन और प्राचार्य की चप्पल कांड

पुष्पराजगढ़ कॉलेज में घोटाला: छात्रों का उग्र आंदोलन और प्राचार्य की चप्पल कांड

पुष्पराजगढ़ कॉलेज में घोटाला: मध्य प्रदेश का एक छोटा सा कस्बा, आजकल सुर्खियों में है। कारण? पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय में जनभागीदारी के पैसों में कथित तौर पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप। इस घोटाले ने न केवल कॉलेज प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि छात्रों के गुस्से को भी भड़का दिया है।

सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब, गलियों में गूंजते नारे — ‘मुर्दाबाद! मुर्दाबाद!’ और ‘घोटाला नहीं चलेगा! नहीं चलेगा!’ — ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। इस आंदोलन की चिंगारी तब और भड़की जब प्रभारी प्राचार्य संगीता मसी ने आंदोलनकारी छात्रों पर चप्पल फेंक दी।

आइए, इस सनसनीखेज खबर की पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं।

घोटाले के आरोप: जनभागीदारी के पैसों में हेराफेरी?

पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय में जनभागीदारी योजना के तहत जमा किए गए फंड्स में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगा है। छात्रों का दावा है कि कॉलेज प्रशासन ने जनभागीदारी के नाम पर जमा किए गए करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया है। यह योजना, जो कॉलेज के बुनियादी ढांचे और शैक्षणिक सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए शुरू की गई थी, अब घोटाले के केंद्र में है।

छात्रों का कहना है कि फंड्स का उपयोग पारदर्शी तरीके से नहीं हुआ। न तो कॉलेज में कोई नई सुविधाएं विकसित की गईं, न ही पुरानी सुविधाओं का रखरखाव हुआ। इसके उलट, कॉलेज के बुनियादी ढांचे की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने फर्जी बिल और दस्तावेज बनाकर धन का गबन किया। इस घोटाले की खबर ने पूरे अनूपपुर जिले में हलचल मचा दी, और छात्रों ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया।

सड़कों पर उतरे छात्र: ‘मुर्दाबाद’ के नारे और आंदोलन की शुरुआत

घोटाले की खबर फैलते ही पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय के छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कॉलेज कैंपस से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक, छात्रों ने रैलियां निकालीं और ‘मुर्दाबाद!’ के नारे लगाए। न केवल कॉलेज प्रशासन, बल्कि प्रभारी मंत्री के खिलाफ भी नारेबाजी की गई। छात्रों की मांग थी कि घोटाले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए।

आंदोलन के दौरान छात्रों ने पुष्पराजगढ़ के एसडीएम, स्थानीय विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को, और सांसद को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में प्राचार्य संगीता मसी के इस्तीफे और वित्तीय अनियमितताओं की गहन जांच की मांग की गई। छात्रों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे चुप नहीं बैठेंगे।

चप्पल कांड: प्राचार्य संगीता मसी ने भड़काया गुस्सा

आंदोलन के बीच एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे मामले को और सनसनीखेज बना दिया। प्रभारी प्राचार्य संगीता मसी ने आंदोलनकारी छात्रों पर चप्पल फेंक दी। इस घटना ने छात्रों के गुस्से को और भड़का दिया। छात्रों ने इसे न केवल अपमानजनक बताया, बल्कि इसे प्रशासन की हताशा और घोटाले के आरोपों को छिपाने की कोशिश करार दिया।

छात्रों ने प्राचार्य के इस व्यवहार को ‘शर्मनाक’ और ‘अनुचित’ बताया। एक छात्र ने कहा, “प्राचार्य का चप्पल उछालना शर्मनाक है! हम मांग करते हैं कि वे तुरंत इस्तीफा दें और घोटाले की जांच हो।” इस घटना ने न केवल स्थानीय मीडिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी तूफान मचा दिया। #पुष्पराजगढ़_घोटाला और #चप्पल_कांड जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।

प्रशासन का जवाब: लिखित आश्वासन और 10 दिन की समयसीमा

हंगामे और बढ़ते दबाव के बीच, पुष्पराजगढ़ के एसडीएम के सामने प्रभारी प्राचार्य संगीता मसी ने छात्रों को एक लिखित आश्वासन सौंपा। इस आश्वासन में वादा किया गया कि 10 दिनों के भीतर जनभागीदारी से जुड़े सभी वित्तीय दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएंगे। साथ ही, प्रशासन ने मामले की जांच शुरू करने का भी आश्वासन दिया।

इस लिखित वादे के बाद छात्रों ने फिलहाल अपने आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 10 दिनों की समयसीमा में वित्तीय दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए गए या जांच में देरी हुई, तो वे फिर से सड़कों पर उतरेंगे। एक छात्र ने कहा, “हमने आंदोलन को अभी रोका है, लेकिन अगर प्रशासन ने वादा तोड़ा, तो सड़कें फिर गूंजेंगी।”

विधायक और प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को ने छात्रों के आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “छात्रों की मांग बिल्कुल जायज है। मैंने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस मामले की जांच जल्द शुरू हो।” विधायक ने यह भी आश्वासन दिया कि वे इस मामले को उच्च स्तर पर उठाएंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

हालांकि, प्राचार्य संगीता मसी की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। चप्पल फेंकने की घटना पर उनकी चुप्पी ने भी कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह उनकी हताशा थी, या फिर घोटाले के आरोपों को दबाने की कोशिश? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।

छात्रों का संकल्प: ‘नहीं चलेगा घोटाला!’

पुष्पराजगढ़ के छात्रों ने साफ कर दिया है कि वे अब चुप नहीं रहेंगे। यह आंदोलन केवल एक कॉलेज तक सीमित नहीं है; यह पूरे अनूपपुर जिले में प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग का प्रतीक बन गया है। छात्रों का कहना है कि जनभागीदारी के फंड्स उनके भविष्य के लिए हैं, और इसका दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर भी इस आंदोलन को व्यापक समर्थन मिल रहा है। लोग न केवल छात्रों की हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं, बल्कि प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग भी कर रहे हैं। कुछ यूजर्स ने प्राचार्य के व्यवहार की निंदा करते हुए इसे ‘लोकतंत्र का अपमान’ तक करार दिया।

भविष्य की राह: जांच और जवाबदेही

पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय का यह घोटाला और आंदोलन कई सवाल खड़े करता है। क्या प्रशासन 10 दिनों की समयसीमा में अपने वादे पूरे करेगा? क्या वित्तीय दस्तावेजों की जांच से घोटाले की सच्चाई सामने आएगी? और सबसे बड़ा सवाल — क्या प्राचार्य संगीता मसी अपने पद पर बनी रहेंगी, या छात्रों की मांग के आगे उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा?

यह मामला न केवल पुष्पराजगढ़, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के लिए एक नजीर बन सकता है। यदि जांच में घोटाले की पुष्टि होती है, तो यह अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक सबक होगा कि पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी जरूरी है।

छात्र शक्ति का उदय

पुष्पराजगढ़ का यह आंदोलन एक बार फिर साबित करता है कि जब अन्याय की बात आती है, तो छात्र शक्ति को कम नहीं आंका जा सकता। सड़कों पर गूंजते नारे, चप्पल कांड, और प्रशासन का आश्वासन — यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। अगले 10 दिन इस मामले में निर्णायक साबित होंगे। क्या सच सामने आएगा, या यह मामला भी प्रशासनिक फाइलों में दबकर रह जाएगा?

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