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Avinash Das Interview: फिल्मों में सेंसर बोर्ड चला रहा कैंची, जानिए बिहार से मुंबई के सफर में कैसे बनी अनारकली

फ़िल्म डायरेक्टर और लेखक अविनाश दास मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. उन्होंने अनारकली ऑफ आरा जैसी फिल्मों का निर्माण किया है. विंध्य फर्स्ट से बात करते हुए उन्होंने फिल्म, राजनीति और समाज पर खुलकर बातचीत की.

फ़िल्म निर्माता और निर्देशक अविनाश दास का जन्म बिहार में हुआ. यहां से निकलकर वो दिल्ली और फिर मुंबई पहुंचे. लंबे समय तक पत्रकार रह चुके अविनाश दास, इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने के लिए विंध्य के सीधी पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने विंध्य फर्स्ट की रिपोर्टर अंजली द्विवेदी से एक्सक्लूसिव बातचीत की. अविनाश ने पत्रकारिता से फ़िल्म बनाने तक के सफर के बारे में खूब बातें कीं. बता दें कि अविनाश दास की कुछ चर्चित कृतियां ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ और ओटीटी पर रिलीज़ हुआ ‘शी’ नामक शो है.

अविनाश दास अपने कैरियर के सफर के बारे में बताते हैं कि पत्रकारिता और सिनेमा दोनों ही जगह कहानियां कहने की हैं. अंतर सिर्फ इतना है कि पत्रकारिता में आप समाज की कहानियां कहते हैं. ऐसे में फिल्म और पत्रकारिता में बस रियलिटी और फिक्शन के बीच का फासला है. इस दौरान उन्होंने फिल्मों के अलावा राजनीति और समाज पर खुलकर बातचीत की.

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अविनाश दास का पत्रकारीय जीवन
फिल्मकार बनने के पहले अविनाश दास लंबे समय तक पत्रकार रहे. अविनाश दास ने हिंदी भाषा के दैनिक समाचार पत्र दैनिक भास्कर में काफी वक्त तक कार्य किया. इसके पहले उन्होंने एनडीटीवी में एक पत्रकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.

अनारकली ऑफ आरा ने दिलाई पहचान
अविनाश दास कहते हैं कि मुझे हमेशा लगा कि कहानी कहने का सबसे प्रभावी माध्यम सिनेमा है. पत्रकारिता में आप लोगों को जागरूक कर सकते हैं, लेकिन फिल्म के जरिए आप दिलों को छू सकते हैं. यही सोच मैं फिल्म निर्देशन की ओर गया. अविनाश दास ने फिल्म निर्देशन की शुरुआत ‘अनारकली ऑफ आरा’ से की. यह फिल्म महिलाओं के अधिकारों और उनकी स्वायत्तता की कहानी थी, जिसने दर्शकों और आलोचकों का ध्यान आकर्षित किया. यह फिल्म समाज में महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिए को बदलने की कोशिश थी.

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फिल्में दिखाती हैं समाज की सच्चाई
अविनाश कहते हैं कि फिल्मों में जो दिखाया जाता है, वह कहीं न कहीं हमारे समाज की सच्चाई होती है. लेकिन अच्छी बात यह है कि आज के युवा सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव के माध्यम के रूप में भी देख रहे हैं. इसके साथ ही अविनाश दास फिल्म निर्माण में चुनौतियों का भी जिक्र करते हैं. इसमें बजट, कलाकारों का चयन, प्रोडक्शन से जुड़े मसले आदि चीजों को देखना पड़ता है.

अविनाश दास का पूरा इंटरव्यू सुनने के लिए देखिए पूरा वीडियो।।

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