भारत की मिट्टी में सिर्फ़ खेती नहीं होती, यहां इतिहास भी उगता है. मध्य प्रदेश के सतना ज़िले में बसा एक छोटा-सा गांव. भरहुत (Bharhut) अपने शांत माहौल और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए आज भी दुनियाभर के इतिहास प्रेमियों और पुरातत्त्ववेत्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
एक नज़र में भरहुत
भरहुत को बौद्ध धर्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है. यहां की सबसे प्रसिद्ध धरोहर है, भरहुत स्तूप. इस स्तूप की रचनाएं और पत्थर की नक्काशी 2वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मानी जाती हैं. ये कलाकृतियां इतनी जीवंत हैं कि मानो वो आज भी बुद्ध की शिक्षाओं को दोहराती हों.
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एक नज़र में भरहुत
भरहुत को बौद्ध धर्म के एक प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है. यहां की सबसे प्रसिद्ध धरोहर है, भरहुत स्तूप। इस स्तूप की रचनाएं और पत्थर की नक्काशी 2वीं शताब्दी ईसा पूर्व की मानी जाती हैं. ये कलाकृतियां इतनी जीवंत हैं कि मानों वो आज भी बुद्ध की शिक्षाओं को दोहराती हों.
भरहुत की विशेषताएं:
-बुद्ध के जीवन से जुड़ी कथाएं-जातक कथाएं और ध्यान मुद्रा में बुद्ध की आकृतियां.
-बारीक शिल्पकारी-पत्थरों पर नक्काशी जो भारतीय मूर्तिकला की उत्कृष्ट मिसाल है.
-प्राचीन लिपियां- ब्राह्मी लिपि में लिखे अभिलेख, जो तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक जीवन को दर्शाते हैं.
भरहुत की विरासत कहां है आज?
आज भरहुत के अधिकांश शिल्प और मूर्तियां भारतीय संग्रहालय, कोलकाता और इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित हैं. लेकिन भरहुत की आत्मा आज भी उसी गाँव में बसी हुई है. हर टूटा हुआ पत्थर, हर पुरानी मूर्ति यही कहती है- “जो खो गया, वो मिटा नहीं… वो आज भी हमारे भीतर ज़िंदा है.”
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क्यों जाएं भरहुत?
अगर आप इतिहास, संस्कृति और कला के प्रेमी हैं, तो भरहुत आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं. यहां आकर आप महसूस कर सकते हैं कि कैसे एक शांत गांव, हजारों साल पुरानी कहानियां अपने अंदर समेटे हुए है.
https://www.youtube.com/watch?v=taQQauRw-Qw