Vindhya First

बेटियों के संघर्ष,सम्मान, स्वतंत्रता और समाज उनके योगदान पर वर्णित है यह कविता

यह कविता बेटियों की अनमोल सुंदरता और उनकी आंतरिक शक्ति को दर्शाती है. बेटियां केवल बाहरी सुंदरता से ही नहीं, बल्कि अपने दिल और आत्मा की गहरी ताकत से दुनिया में बदलाव लाती हैं. उनके सपने, संघर्ष और हौसले की जो खूबसूरती है, वही असली सुंदरता है. कविता की लाइन है- “रोटी बनाती लड़की से पूछों, दुनिया बनाना कितना कठिन है” अर्थात एक रोटी बनाने वाली लड़की से पूछो बाहरी दुनिया कितनी कठिन है.  

समाज में बेटियों का योगदान

बेटियां न केवल घर की खुशियों का स्रोत हैं, बल्कि समाज की ताकत और सम्मान की भी प्रतीक हैं. बेटियों में एक ऐसी शक्ति होती है, जो हर रोज अपने परिवार और समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं. हर बेटी की अपनी एक अद्वितीय पहचान होती है, जो न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है. यह कविता बेटी की यात्रा को, उसके संघर्षों और सपनों को दर्शाती है, जो उसे न केवल अपने आत्म-सम्मान की दिशा में बल्कि समाज में बदलाव लाने की भी ताकत देती है.

बेटियों का संघर्ष

बेटी का जीवन हमेशा संघर्षों से भरा रहा है. हमारा समाज बेटियों के ऊपर एक नहीं कई प्रकार की जिम्मेदारियों का बोझ रख देता है. फिर चाहे वो घर की इज्जत हो या घर संभालना हो, हर बार लड़की को ही आगे रखा जाता है.   

खुद की आजादी के लिए लड़ती बेटियां

बेटियां न केवल अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करती हैं, बल्कि अपने अधिकार और सम्मान के लिए भी लड़ाई लड़ती हैं. समाज में पुरुषों के साथ बराबरी का अधिकार पाना एक बेटी के लिए संघर्ष है. यह कविता हमें याद दिलाती है कि हमारा समाज आज से नहीं बल्कि युगों-युगों से बेटियों को दबाने का काम करता आया है. उसके बावजूद बेटियां हमेशा अपने घर परिवार का नाम उजागर करती आई हैं. उन तमाम बेटियों को अपनी स्वतंत्रता और अधिकार प्राप्त करने का हक है, और यह सिर्फ उसके परिवार या समाज की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सभी का कर्तव्य है कि हम इसे सुनिश्चित करें. बेटी का अस्तित्व, उसकी स्वतंत्रता और उसकी समाज में योगदान का कोई मूल्य नहीं है, वह सिर्फ परंपराओं के द्वारा नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और आत्मनिर्भरता के द्वारा समाज में एक मजबूत स्थान बनाती है.

समाज में परिवर्तन लाने में बेटियों की भूमिका अहम है. वे न केवल घर की जिम्मेदारियों को निभाती हैं, बल्कि अपने सपनों का पीछा करते हुए समाज में भी अपनी पहचान बनाती हैं. यह कविता हमें प्रेरणा देती है कि हम बेटियों को बराबरी और स्वतंत्रता का हक दें, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ समाज में अपना योगदान दे सकें.

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