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MPPSC MAINS 2023: प्री के 3 गलत प्रश्नों पर 7 मार्च को होगी सुनवाई

MPPSC MAINS 2023

मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के प्रीलिम्स 2023 में तीन गलत प्रश्नों पर हाई कोर्ट ने सोमवार यानी 05 मार्च के दिन आयोग को जमकर फटकार लगाई है. साथ ही हाईकोर्ट द्वारा मुख्य परीक्षा के पहले सुनवाई करने पर आयोग ने आनाकानी की जिस पर हाईकोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि, आपके एक्सपर्ट की विशेषज्ञता तो पहले ही प्री के प्रश्नों में दिख गई है. अब आपके दिए तर्क भी उल्टे हैं.

आगे जस्टिस ने आयोग के अधिवक्ता से कहा, आप मैटकॉफ के सवाल को विलियम बैंटिंग से जोड़ रहे हैं और आपने जो किताब पेश की उसमें साफ लिखा है कि, मैटकॉफ ने 1835 में प्रेस का उदारीकरण किया. सवाल में मैटकॉफ को लिखा गया है. अब आप जस्टिफाई कर रहे हैं कि इस सवाल को विलियम बैंटिंग नहीं मैटकॉफ समझ कर जवाब दिया जाए.

हाईकोर्ट ने जिस तरह से आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाए.. उससे प्री के 3 सवालों पर परेशानी बढ़ गई है. इन सवालों से 6 अंक निकलकर आते हैं. यानी प्री 2023 के पूरे रिजल्ट में बड़ा उलटफेर हो सकता है.

11 मार्च से लेकर 16 मार्च तक एमपी पीएससी मुख्य परीक्षा होनी है. वहीं 12 मार्च को प्रिलिम्स के 3 विवादित प्रश्नों पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी. अभ्यर्थियों के लिए परेशानी की बात यह है कि परीक्षा 11 मार्च से ही शुरू होनी है. जिससे वह मुख्य परीक्षा से वंचित हो सकते हैं. ऐसे में याचिकाकर्ता उम्मीदवार हाईकोर्ट में गुहार लगा रहे हैं.

याचिकाकर्ता के वकील अंशुल तिवारी ने जबलपुर हाईकोर्ट में कहा कि जो याचिकाकर्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं उनको ध्यान में रखकर एमपी पीएससी प्री के इन 3 प्रश्नों पर बात होनी चाहिए. अधिवक्ता ने कहा कि 12 मार्च को केस लिस्टेड है, लेकिन मेंस 11 मार्च से है. ऐसे में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने अभ्यर्थियों को राहत देते हुए केस की सुनवाई 7 मार्च को कराने का फैसला किया है. साथ ही कहा है कि मेंस शुरू होने के बाद सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है. अगर हाईकोर्ट ने इन सवालों को खारिच किया तो फिर प्री के रिजल्ट को रिवाइज्ड करने के अलावा आयोग के पास कोई विकल्प नहीं होगा. हालांकि उन अभ्यर्थियों के लिए अच्छी खबर है जिन्होंने आज प्रश्न पत्र पर आपत्ति जताई थी, उन्हें भी मुख्य परीक्षा में बैठने की अनुमति हाईकोर्ट ने दी है. खास बात यह है कि फैसला आने के बाद उन सभी को लाभ होगा जो प्रिलिम्स में शामिल हुए थे. 

बात करें एमपीपीएससी की तो 5 सालों से चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी गई थी. अब एक बार फिर एमपीपीएससी 2023 की परीक्षा कोर्ट में पहुंच चुकी है. लगातार 5 सालों से एमपीपीएससी की लापरवाही के कारण युवाओं का भविष्य तबाह हो रहा है. पहले तो 2019 के वो बच्चे जो 21 वर्ष के थे आज 26 वर्ष के हो गए हैं और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं. साल 2021 की राज्य सेवा परीक्षा में यही हुआ था जिस पर आज तक कोई फैसला नहीं आया. वहीं एक बार फिर से एमपीपीएससी की बड़ी लापरवाही के कारण हजारों छात्रों का एक और साल खराब हो सकता है. 

 

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