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मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप

मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप

मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप

मऊगंज छात्रावास घोटाला: मध्यप्रदेश में घोटालों का जाल इतना गहरा है कि सिस्टम के नीचे से ऊपर तक के लोग इसमें शामिल दिखाई देते हैं. मऊगंज जिले की हकीकत सामने आने के बाद लोग हैरान हैं. यहां अधिकारी और कर्मचारी अब गरीब छात्रों के अधिकारों तक पर डाका डालने लगे हैं.

अधीक्षकों और छात्रों पर अत्याचार

जानकारी के अनुसार मऊगंज जिले में अनुसूचित जाति और जनजाति छात्रावासों के अधीक्षकों व छात्रों को अवैध वसूली और प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है. समस्या इतनी गंभीर हो गई कि छात्रावास अधीक्षकों ने संयुक्त रूप से रीवा कमिश्नर को शिकायती पत्र सौंपकर कार्रवाई की मांग की है.

मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप
मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप

विवाद की शुरुआत कैसे हुई

18 जुलाई 2025 को मऊगंज कलेक्ट्रेट कार्यालय से एक आदेश जारी हुआ. इसमें मनोज कुमार पटेल को मंडल संयोजक, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्य विभाग जिला मऊगंज का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. इसके बाद से ही विवाद तेज हो गया.

महिलाओं ने लगाए अभद्रता और भ्रष्टाचार के आरोप

शिकायत पत्र में महिला अधीक्षकों ने आरोप लगाया कि शासन स्तर पर आदिवासी महिलाओं के सम्मान की बातें की जाती हैं, लेकिन मनोज पटेल द्वारा उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है. आरोप है कि वे जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित करते हैं. इतना ही नहीं, कन्या छात्रावास में शाम 5 बजे के बाद पुरुषों का प्रवेश वर्जित है, इसके बावजूद वे सुबह और रात छात्राओं के कमरों में जाकर अनुचित बातें करते हैं.

अवैध वसूली और दबाव के गंभीर आरोप

महिला अधीक्षकों का कहना है कि बीते एक माह में मनोज पटेल ने 10 बार जांच की और हर महीने 1 लाख रुपये की मांग की. अधीक्षकों ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में मऊगंज कलेक्ट्रेट कार्यालय की भूमिका भी संदिग्ध लगती है.

मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप
मऊगंज छात्रावास घोटाला: मंडल संयोजक पर अभद्रता और अवैध वसूली के आरोप

मनोज पटेल की नियुक्ति पर सवाल

मनोज पटेल की नियुक्ति पहले संविदा शिक्षक के रूप में हुई थी. बाद में वे प्राथमिक शिक्षक बने और धीरे-धीरे तीन छात्रावासों की जिम्मेदारी भी संभाली. 18 जुलाई को उन्हें अचानक मंडल संयोजक का प्रभार दे दिया गया. जबकि नियमों के अनुसार यह पद सहायक या उच्च श्रेणी शिक्षक को दिया जाना चाहिए था. आरोप है कि राजनीतिक संरक्षण के चलते मनोज पटेल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई.

ऑडियो वायरल और रिश्वत का खुलासा

अधीक्षकों ने आरोप लगाया कि जांच के नाम पर दबाव बनाया जाता है और हर महीने पैसे मांगे जाते हैं. एक ऑडियो क्लिप भी सामने आई है जिसमें कथित रूप से अवैध मांग की पुष्टि होती है. महिला अधीक्षकों का कहना है कि दबाव में आकर उन्होंने पैसे भी दिए, लेकिन अब उन्हें हटाने की कोशिश की जा रही है.

रीवा कमिश्नर से न्याय की गुहार

परेशान होकर संतोष कुमारी कोल, पूनम कोल, इंदिरा मिश्रा, सुकबरिया कोल और रागिनी चतुर्वेदी ने रीवा कमिश्नर को शिकायती पत्र देकर न्याय की मांग की है. उनका कहना है कि अब उनके पास दो ही विकल्प हैं — या तो छात्रावास में बच्चों का पेट भरें या फिर मनोज पटेल को जबरन वसूली के पैसे दें.

मऊगंज में छात्रावास अधीक्षकों द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर सवाल खड़े करते हैं. क्या यह मामला केवल भ्रष्टाचार तक सीमित है या फिर यह सिस्टम की मिलीभगत का हिस्सा है? अब देखना होगा कि प्रशासन निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा.

लोकेशन: मऊगंज | रिपोर्ट — लवकेश सिंह

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