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अन्नपूर्णा मेडिकल के संचालक ने कबूला “हम खुद नकली दवा बेच रहे हैं”

अन्नपूर्णा मेडिकल के संचालक ने कबूला “हम खुद नकली दवा बेच रहे हैं”

अन्नपूर्णा मेडिकल के संचालक ने कबूला “हम खुद नकली दवा बेच रहे हैं”

रीवा: रीवा से सौगंध धरा की एक्सक्लूसिव खोजी रिपोर्ट — जब मरीजों को दी जाने वाली दवाएँ जान बचाने की जगह मौत का कारण बन गईं. संजय गांधी हॉस्पिटल और अन्नपूर्णा मेडिकल स्टोर के बीच का रिश्ता अब पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा कर रहा है. पढ़िए — वो सच्चाई जिसने पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र को हिला दिया है.

रीवा मेडिकल माफिया: जब दवा ही ज़हर बन गई

क्या आपने कभी सोचा है… जब दवा खुद ज़हर बन जाए, तो मरीज किस पर भरोसा करे?
मध्य प्रदेश का रीवा शहर — जिसे शिक्षा, संस्कृति और सेवा की नगरी कहा जाता है, आज एक ऐसे काले सच से रूबरू है जिसने पूरे स्वास्थ्य तंत्र की नींव हिला दी है.

सौगंध धरा की खोजी टीम ने जब हॉस्पिटल चौराहा स्थित अन्नपूर्णा मेडिकल स्टोर पर मरीज बनकर सच्चाई जाननी चाही, तो जो सामने आया उसने पूरे जिले को झकझोर दिया.
कैमरे में कैद हुआ वो बयान — जो शायद कोई भी मेडिकल संचालक खुलेआम कहने की हिम्मत नहीं करता.
और यही बयान अब सिस्टम की सच्चाई बयां कर रहा है.

संजय गांधी हॉस्पिटल का काला नेटवर्क

रीवा का संजय गांधी हॉस्पिटल — जहाँ हर दिन सैकड़ों गरीब मरीज इलाज की उम्मीद में आते हैं.
लेकिन क्या उन्हें पता है कि जो दवाएँ उनकी जान बचाने के लिए दी जा रही हैं, वही किसी मुनाफाखोर सौदे का हिस्सा हैं?

अन्नपूर्णा मेडिकल स्टोर कई वर्षों से इस अस्पताल को दवाओं की सप्लाई करता रहा है.
अब जब उसी स्टोर के मालिक ने खुद स्वीकार किया कि “वो नकली और घटिया दवाइयाँ बेचता है,” तो यह साफ है कि रीवा का मेडिकल सिस्टम अंदर तक सड़ चुका है.

डॉक्टर और मेडिकल के बीच ‘सेटिंग’ का खेल

टीम ने जब और गहराई से जांच की, तो सामने आया कि कुछ डॉक्टर जानबूझकर ऐसी दवाइयाँ लिखते हैं जो सिर्फ़ चुनिंदा मेडिकल स्टोर्स पर मिलती हैं.
क्यों? क्योंकि वहाँ पहले से ‘सेटिंग’ होती है — यानी कमीशन और मुनाफा बँटवारा.

इन डॉक्टरों को हर महीने गिफ्ट, कैश या ट्रिप्स के रूप में इनाम दिया जाता है.
हर महीने टारगेट सेट होता है और लाखों–करोड़ों का ये खेल मरीजों की जान पर चलता है.
जो डॉक्टर शपथ लेते हैं कि वे मरीज की सेवा करेंगे, वही अब “सेवा” की जगह “सेटिंग” में बदल गए हैं.

छिंदवाड़ा से रीवा तक फैला जहर

कुछ महीने पहले छिंदवाड़ा में नकली कफ सिरप से नवजात बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था.
लोगों ने सोचा कि शायद अब प्रशासन सख्त कदम उठाएगा… लेकिन आज रीवा का यह खुलासा दिखाता है कि यह नेटवर्क सिर्फ एक शहर नहीं — पूरे प्रदेश में फैला हुआ है.

हर दिन कोई न कोई मरीज नकली या एक्सपायर्ड दवा की शिकायत लेकर आता है, लेकिन विभाग का मौन रहना अपराध से कम नहीं.
प्रशासन की चुप्पी अब खुद एक सवाल बन चुकी है.

नकली दवाओं की फैक्टरियों से लेकर अस्पताल तक

जांच में पता चला कि नकली दवाओं की फैक्टरियाँ राज्य के कई हिस्सों में चल रही हैं.
जहाँ असली कंपनियों के नाम पर घटिया केमिकल से गोलियाँ बनाई जाती हैं.
इनकी कीमत बाजार से आधी होती है, इसलिए मेडिकल स्टोर्स इन्हें धड़ल्ले से खरीदते हैं और असली दवा के नाम पर बेचते हैं.

हर महीने लाखों की बिक्री — और हर बार हजारों मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़.
अब सवाल यह है — क्या स्वास्थ्य विभाग अंधा बना हुआ है, या फिर सब जानते हुए भी फायदा उठा रहा है?

सिस्टम की सड़ांध और जनता की पुकार

रीवा में यह खेल वर्षों से चल रहा था — दवा की सप्लाई, टेंडर, सैंपलिंग — सबकुछ सेटिंग के हिसाब से.
हर स्तर पर हिस्सा तय था — डॉक्टर से लेकर मेडिकल और वहाँ से विभागीय अधिकारियों तक.

जब जिम्मेदार अफसर आँखें मूँद लें और डॉक्टर लालच में आ जाएं —
तो यह सिर्फ स्वास्थ्य संकट नहीं, इंसानियत का पतन है.

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सौगंध धरा की माँगें

रीवा की जनता अब सवाल पूछ रही है —
क्या मरीजों की जान का मोल सिर्फ़ पैसों में तौला जाएगा?

सौगंध धरा की टीम ने प्रशासन से चार प्रमुख माँगें की हैं:

: अन्नपूर्णा मेडिकल स्टोर की तत्काल जांच हो.
: संजय गांधी हॉस्पिटल की दवा सप्लाई चेन की फॉरेंसिक जांच कराई जाए.
: डॉक्टर–मेडिकल गठजोड़ पर STF या CBI स्तर की जांच शुरू की जाए.
: स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की जवाबदेही तय हो.

जब तक “सिस्टम की सफाई” नहीं होगी, तब तक ये बीमारी सिर्फ मरीजों को नहीं, पूरे समाज को निगल जाएगी.

अब वक्त है आवाज़ उठाने का

हर दिन कोई न कोई मरीज अस्पताल की चारदीवारी में दम तोड़ता है —
और हम बस कागज़ों में जांच और खबरों में हेडलाइन पढ़ते रह जाते हैं.
अब वक्त है रीवा से लेकर भोपाल तक उस सिस्टम को हिलाने का, जिसने सेहत को कारोबार बना दिया है.

अगर आज आवाज़ नहीं उठी — तो कल हर मेडिकल स्टोर मौत का ठिकाना बन जाएगा.
याद रखिए —
जब दवा ज़हर बन जाए, तो ख़ामोशी भी गुनाह बन जाती है.

रीवा से सौगंध धरा की एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट

यह सिर्फ़ एक रिपोर्ट नहीं —
यह सौगंध धरा की जनता की जान और सिस्टम की सच्चाई के लिए पुकार है.
क्योंकि सवाल सिर्फ़ रीवा का नहीं,
यह पूरे मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र का आईना है.

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