ANI का कॉपीराइट दांव: यूट्यूबर्स की आजीविका पर संकट
ANI का कॉपीराइट दांव: भारत में यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर्स और न्यूज़ एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) के बीच कॉपीराइट क्लेम्स को लेकर विवाद छिड़ा है. ANI, जो न्यूज़ वीडियोज़ और तस्वीरें बनाती है, ने कई यूट्यूबर्स पर उनके वीडियोज़ में ANI की क्लिप्स इस्तेमाल करने के लिए कॉपीराइट स्ट्राइक लगाए हैं. YouTube की पॉलिसी के तहत, तीन स्ट्राइक्स मिलने पर चैनल डिलीट हो सकता है, जिससे क्रिएटर्स की आजीविका खतरे में है.
उदाहरण के लिए, एक यूट्यूबर, जो पॉलिटिकल कमेंट्री बनाते हैं, को ANI ने स्ट्राइक दिया. ANI ने स्ट्राइक हटाने और एक साल के लाइसेंस के लिए 15-18 लाख रुपये मांगे. ऐसे कई क्रिएटर्स ने बताया कि ANI ने 15 से 25 लाख तक की मांग की. ANI का कहना है कि वो अपने कॉपीराइट की रक्षा कर रही है, क्योंकि न्यूज़ कंटेंट बनाने में भारी निवेश होता है. लेकिन यूट्यूबर्स का आरोप है कि ANI YouTube की सख्त कॉपीराइट पॉलिसी का फायदा उठाकर उनसे मोटी रकम वसूल रही है, खासकर उनसे जो बीजेपी की आलोचना करते हैं.
भारत में कॉपीराइट एक्ट 1957 के तहत “फेयर डीलिंग” का प्रावधान है, जो न्यूज़, क्रिटिसिज़्म या सटायर के लिए सीमित इस्तेमाल की इजाज़त देता है. लेकिन फेयर यूज़ के नियम अस्पष्ट हैं, और कोर्ट में केस लड़ना महंगा है. YouTube भी क्लेम मिलते ही वीडियो हटा देता है, जिससे क्रिएटर्स दबाव में आ जाते हैं.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि YouTube को क्रिएटर्स की बेहतर सुरक्षा करनी चाहिए. मशहूर पत्रकार रविश कुमार ने कहा कि तीन स्ट्राइक पर चैनल डिलीट करना ठीक नहीं. कॉपीराइट वकील निखिल नरेंद्रन के मुताबिक, भारत में फ्री स्पीच को अमेरिका जितना संरक्षण नहीं मिलता.
ANI की आक्रामक रणनीति ने सवाल उठाए हैं: क्या सरकारी वीडियोज़ के कॉपीराइट ANI के पास हैं? फेयर यूज़ के नियम क्यों अस्पष्ट हैं? और क्या ANI छोटे क्रिएटर्स को निशाना बना रही है? ये विवाद भारत में ऑनलाइन न्यूज़ इंडस्ट्री के भविष्य को प्रभावित कर सकता है.