सोशल मीडिया (Social Media) के इस्तेमाल को लेकर ऑस्ट्रेलिया (Australia) की संसद ने हाल ही में एक बिल को बहुमत से पास किया है. इसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन (Australia social media ban) कर दिया गया है. नए कानून के मुताबिक, अगर एक्स, टिकटॉक, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों के अकाउंट रोकने में नाकाम रहते हैं, तो उन पर 275 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. ऑस्ट्रेलिया में यह बिल 16 साल से कम के बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए बनाया गया है. वहीं मेटा के सीईओ Mark Zuckerberg ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी में यह कदम उठाया है.
बता दें कि 27 नवंबर 2024 को ऑस्ट्रेलिया के संसद में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन करने के लिए बिल लाया गया. इसके अगले दिन 28 नवंबर को इस बिल को संसद के ऊपरी सदन में पेश किया गया. जहां पक्ष और विपक्ष के समर्थन से बिल को मंजूरी मिल जाती जाती है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज सोशल मीडिया को टेंशन बढ़ाने वाला, ठगों और ऑनलाइन अपराधियों का हथियार बताते हैं. वह कहते हैं की ऑस्ट्रेलियाई युवा फोन छोड़कर फुटबॉल, क्रिकेट और टेनिस खेलें.
सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध
इस बिल के तहत ऑस्ट्रेलिया में 16 से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे TikTok, Facebook, Instagram, Snapchat आदि बैन कर दिया गया है. अब 16 साल से कम के युवा, अपने माता-पिता की अनुमति होने पर भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. ऐसे बच्चे जो पहले से सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, उनके खातों पर भी यह प्रतिबंध लागू होगा. वहीं अब सोशल मीडिया कंपनियों को उम्र सत्यापित करने के लिए बायोमेट्रिक, गवर्नमेंट आइडी या फिर उनके एजुकेशनल डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके साथ ही यदि कंपनियां इस कानून का पालन करने में विफल रहती हैं, तो उन पर $33 मिलियन तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. हालांकि कानून को पूरी तरह लागू करने के लिए कंपनियों को एक साल का समय दिया जाएगा.
चुनाव को ध्यान में रखकर बना ये कानून
ऑस्ट्रेलिया में मई 2025 में चुनाव होने हैं. ऐसे में आलोचकों का तर्क है कि सरकार मई में होने वाले आम चुनावों से पहले माता-पिता को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि वह उनके बच्चों की सुरक्षा कर रही है. कुछ लोगों का तर्क है कि यह कानून रोकथाम के बजाय अधिक नुकसान पहुंचा सकता है. विधेयक के विरोधियों का यह भी तर्क है कि यह प्रतिबंध बच्चों को अलग-थलग कर देगा. इसके साथ ही बच्चों को सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं से वंचित कर देगा और उन्हें डार्क वेब की ओर ले जाएगा. बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई संसद ने 15,000 सबमिशन पर विचार करने के बाद सोशल मीडिया पर 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंध को मंजूरी दी. हालांकि, सभी राजनेताओं ने इसका समर्थन नहीं किया था.
मेटा ने जताया विरोध
ऑस्ट्रेलिया के इस कानून का विरोध करते हुए मेटा के प्रवक्ता ने कहा कि वे इस प्रक्रिया से चिंतित हैं. कानून को पारित करने में जल्दबाजी की गई है. साक्ष्यों और युवाओं की आवाज पर ठीक से विचार नहीं किया गया है. बिल से जुड़े सभी नियमों पर चर्चा की जरूरत थी ताकि तकनीकी रूप से प्रभावी परिणाम मिल सकें. यह सुनिश्चित करना होगा कि किशोरों के लिए सभी सोशल ऐप्स पर नियमों को सही तरीके से लागू किया जाए. एक स्वतंत्र सांसद ने इसे पुराने जमाने का समाधान कहा है. वहीं मानवाधिकार और मानसिक स्वास्थ्य समूहों ने भी चेतावनी दी कि यह युवाओं को हाशिए पर डाल सकता है. खास बात यह है कि अधिकांश सोशल मीडिया कंपनियां इससे सहमत हैं, लेकिन इसे लागू करने को लेकर चिंतित हैं.
एलन मस्क भी कर चुके हैं आलोचना
बता दें की एलन मस्क पहले ही ऑस्ट्रेलिया के इस बिल की आलोचना कर चुके हैं. उन्होंने इसे ऑस्ट्रेलियाई लोगों का इंटरनेट पर नियंत्रण पाने का एक तरीका बताया है. जबकि ऑस्ट्रेलियाई मंत्री मरे वाट ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को यह समझना चाहिए कि उन्हें अपनी प्रतिष्ठा और सामाजिक जिम्मेदारी को बनाए रखना है. अगर इस नियम का कोई कंपनी पालन नहीं करती है, तो उसे 5 करोड़ डॉलर (लगभग 422 करोड़ रुपये) तक जुर्माना देना पड़ सकता है.
ब्रिटेन में भी लागू होगा यह नियम
ऑस्ट्रेलिया के नक्शे कदम पर चलते हुए, ब्रिटिश सरकार भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन पर विचार कर रही है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के टेक्नोलॉजी सेक्रेटरी पीटर काइल का कहना है कि वह ऑनलाइन सुरक्षा तय करने के लिए “जो भी करना होगा, करेंगे” खासतौर पर बच्चों के लिए.
भारत में सोशल मीडिया का इस्तेमाल
रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन पर नजरें गड़ाए रहते हैं. इसमें से अधिकतर समय वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं. जबकि, अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटा और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया ऐप्स भी इंडियन यूजर्स ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. आंकडों की बात करें तो अमेरिका और ब्रिटेन में एक व्यक्ति के औसतन 7 सोशल मीडिया अकाउंट्स हैं, जबकि एक भारतीय कम से कम 11 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.
ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया बैन की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।