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Toggleमध्य प्रदेश की बदहाल सड़कें: वादे और हकीकत
मध्य प्रदेश की बदहाल सड़कें: मध्य प्रदेश, जिसे भारत के “दिल” के रूप में जाना जाता है, अपनी समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. लेकिन जब बात बुनियादी ढांचे की आती है, खासकर सड़कों की, तो स्थिति चिंताजनक है. कागजों पर तो विकास की चमकदार तस्वीरें दिखाई जाती हैं, लेकिन जमीन पर हालात बिल्कुल अलग हैं. हाल ही में प्रदेश की सड़कों की खराब स्थिति राष्ट्रीय सुर्खियों में रही है. ग्वालियर की महल सड़क महज 16 दिनों में 8 बार धंस चुकी है, जबकि इंदौर जैसी स्मार्ट सिटी की मेन रोड बड़े गड्ढों में तब्दील हो गई है. यह एक्सप्लेनर मध्य प्रदेश की सड़कों की बदहाली, उससे जुड़े हादसों और सरकारी वादों की जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश करता है.
सड़कों की वर्तमान स्थिति
मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में सड़कों की हालत इतनी खराब है कि उन्हें सड़क कहना भी मुश्किल लगता है. यहां गड्ढों में सड़कें हैं, न कि सड़कों में गड्ढे. बरसात के मौसम में ये सड़कें जानलेवा हो जाती हैं. प्रदेश के कुछ सबसे प्रभावित जिलों में शहडोल, उमरिया, रीवा, सतना, छतरपुर, पन्ना और ग्वालियर शामिल हैं. यहां तक कि इंदौर जैसी स्मार्ट सिटी भी इस समस्या से अछूती नहीं है.
राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा
कई राष्ट्रीय राजमार्ग अभी भी अधूरे और बदहाल स्थिति में हैं. NH-43 इसका बड़ा उदाहरण है, जो पिछले 9 साल से निर्माणाधीन है. जनता बार-बार शिकायत करती रही है, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

आम जनता को हो रही दिक्कतें
खराब सड़कों ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लोगों का जीवन मुश्किल बना दिया है.
- यातायात में बाधा: जहां कुछ मिनटों का सफर होना चाहिए, वहां घंटों लग जाते हैं.
- आपातकालीन सेवाएं प्रभावित: एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवाएं भी देरी से पहुंचती हैं.
- दुर्घटनाओं में वृद्धि: बरसात के मौसम में हादसों की संख्या और बढ़ जाती है.
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, मध्य प्रदेश में हर साल औसतन 11,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 6,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. इनमें से अधिकांश हादसों का कारण गड्ढे और खराब सड़कें हैं.
सरकारी योजनाएं और जमीनी हकीकत
सरकार समय-समय पर सड़कों के विकास के लिए योजनाएं बनाती है, लेकिन अक्सर ये कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं.
प्रमुख योजनाएं
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY): ग्रामीण क्षेत्रों को हर मौसम में चलने वाली सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य.
- भारतमाला परियोजना: देशभर में आधुनिक हाईवे नेटवर्क का निर्माण.
- राज्य सड़क विकास परियोजना: राज्य के भीतर सड़कों को मजबूत बनाने की योजना.
लेकिन इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहा है.
खराब सड़कों के कारण
- घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल.
- निगरानी की कमी.
- अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत.
- समय सीमा का पालन न होना.
समाधान के उपाय
- सड़क निर्माण में पारदर्शिता लाई जाए.
- गुणवत्ता की सख्त निगरानी की जाए.
- दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो.
- स्थानीय लोगों को परियोजना निगरानी में शामिल किया जाए.
मध्य प्रदेश की सड़कें सिर्फ कंक्रीट और डामर का ढांचा नहीं हैं, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी से जुड़ी हैं. जब तक सरकार, ठेकेदार और प्रशासन जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तब तक विकास के दावे अधूरे रहेंगे. यह वक्त सवाल उठाने और जवाब मांगने का है, ताकि बदलाव लाया जा सके.