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भारतनेट योजना: ग्रामीण भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी का भविष्य

भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी की स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें से भारतनेट योजना एक महत्वपूर्ण पहल है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत में इंटरनेट से जुड़ी सेवाओं को बढ़ावा देना था, ताकि डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, सरकारी योजनाओं का लाभ और अन्य आवश्यक सेवाएं हर गांव तक पहुंच सकें। लेकिन इस योजना के कार्यान्वयन में कई चुनौतियां रही हैं, और अभी भी इसके लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल करना बाकी है.

भारतनेट योजना की शुरुआत
भारतनेट योजना की शुरुआत 2011 में “नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क” (NOFN) के तहत हुई थी. इसके अंतर्गत, प्रत्येक ग्राम पंचायत तक फाइबर कनेक्टिविटी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया था. इसके लिए भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) का गठन 2012 में किया गया था. 2009 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इस योजना को लोकसभा में पेश किया था. इस योजना को 2015 में “भारतनेट” के नाम से नया रूप दिया गया. इसके तहत, 2017 तक सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने का लक्ष्य था. हालांकि, यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है.

भारतनेट योजना के चरण
भारतनेट योजना का तीसरा चरण 2025 तक 6.5 लाख गांवों को जोड़ने का उद्देश्य रखता है, लेकिन अब तक केवल 1.99 लाख ग्राम पंचायतें ही इससे जुड़ी हैं, यानी 30.4% ग्राम पंचायतें. पहले चरण में, 2014 में 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य था, लेकिन मार्च 2014 तक केवल 58 ग्राम पंचायतें ही इससे जुड़ पाई थीं. दूसरे चरण में, 2015 में 1.5 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, जो 86.75% ग्राम पंचायतों तक पहुंच सका.

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लास्ट मील कनेक्टिविटी की समस्या
तीसरे चरण में, 6.5 लाख गांवों को जोड़ने की चुनौती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्य समय पर पूरा करना मुश्किल होगा क्योंकि योजना के क्रियान्वयन में पहले ही कई बार देरी हो चुकी है. भारतनेट योजना के तहत एक महत्वपूर्ण समस्या “लास्ट मील कनेक्टिविटी” रही है. इसका मतलब है कि गांवों में घर-घर इंटरनेट कनेक्शन पहुंचाना। शुरू में यह उम्मीद की गई थी कि टेलीकॉम कंपनियां जैसे BSNL इस काम को करेंगी, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इन कंपनियों का नेटवर्क बहुत कमजोर था. इसके बाद, सरकार ने नई रणनीति अपनाई जिसमें रिंग टॉपोलॉजी का इस्तेमाल किया गया, ताकि एक गांव को कई रास्तों से कनेक्ट किया जा सके. इसके बावजूद, केवल 2% ग्रामीण घरों तक ही फाइबर-टू-होम कनेक्शन पहुंच पाए हैं. इसका मतलब है कि 97% ग्रामीण घरों में इंटरनेट की कोई सुविधा नहीं है.

नेटवर्क का कम उपयोग
भारतनेट का नेटवर्क तैयार होने के बावजूद, इसका इस्तेमाल बहुत कम हो रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतनेट द्वारा उपलब्ध कराए गए बैंडविड्थ का केवल 1.19% ही उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में लगाए गए वाई-फाई हॉटस्पॉट्स में से केवल 6% ही सक्रिय हैं. इसका कारण यह है कि ग्रामीण इलाकों में लोग डिजिटल साक्षरता की कमी और उपकरणों की अपर्याप्तता के कारण इंटरनेट का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.

वित्तीय समस्याएं और अनियमितताएं
भारतनेट योजना में वित्तीय समस्याएं और अनियमितताएं भी एक बड़ी बाधा रही हैं. सरकार ने इस योजना के लिए ₹171,588.7 करोड़ का बजट निर्धारित किया था, लेकिन अब तक इसका केवल 49.6% ही खर्च किया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना में वित्तीय संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाया है. इसके अलावा, राज्य सरकारों की कार्यान्वयन क्षमता की कमी और बाहरी एजेंसियों जैसे BSNL का अनावश्यक हस्तक्षेप भी प्रमुख कारण हैं. इसके अलावा, योजना के तहत बार-बार बदलाव और सरकारी मॉडल से निजी साझेदारी (PPP) मॉडल में बदलाव ने भी कार्यों में देरी की.

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उत्तर-पूर्वी राज्यों में समस्याएं
भारतनेट योजना का असर विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों में कम देखने को मिला है. रिपोर्टों के अनुसार, उत्तर-पूर्वी राज्यों में नेटवर्क की गति और कनेक्टिविटी की समस्या रही है, जिनकी वजह से योजना का प्रभाव वहां बहुत सीमित रहा है. 2023 के अंत तक उत्तर-पूर्वी राज्यों में केवल 60% ग्राम पंचायतें ही सेवा-तैयार हो पाई थीं, जबकि राष्ट्रीय औसत 79% था.

भारतनेट योजना में सुधार के प्रयास
हालांकि, सरकार अब इस योजना में सुधार करने के लिए कई कदम उठा रही है. 2024 में “अमेडेड भारतनेट प्रोग्राम” को मंजूरी दी गई है, जिसमें नेटवर्क ऑपरेशन और रख-रखाव के लिए 10 साल की योजना बनाई गई है. इसके अलावा, ₹20,000 करोड़ का बजट भी आवंटित किया गया है ताकि योजना को बढ़ाया जा सके. इसके साथ ही, सेवा गुणवत्ता समझौतों (SLA) के तहत भुगतान को सुनिश्चित करने का भी प्रयास किया गया है, ताकि परियोजना का कार्यान्वयन गुणवत्ता के साथ हो.

भारतनेट योजना का लक्ष्य ग्रामीण भारत को इंटरनेट से जोड़ना है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसका कार्यान्वयन कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. अगर सही दिशा में सुधार किए जाएं और डिजिटल साक्षरता बढ़ाई जाए, तो यह योजना ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की खाई को भर सकती है और ग्रामीण लोगों को डिजिटल दुनिया से जोड़ सकती है.