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C.P. राधाकृष्णन: साधारण व्यापारी परिवार से उपराष्ट्रपति तक का सफर

C.P. राधाकृष्णन: साधारण व्यापारी परिवार से उपराष्ट्रपति तक का सफर

C.P. राधाकृष्णन: साधारण व्यापारी परिवार से उपराष्ट्रपति तक का सफर

C.P. राधाकृष्णन: 9 सितंबर 2025 को भारत को नया उपराष्ट्रपति मिला.C.P. राधाकृष्णन  NDA के उम्मीदवार राधाकृष्णन ने विपक्ष के प्रत्याशी और पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराया. यह जीत न सिर्फ भाजपा की रणनीतिक सफलता है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में दक्षिण भारत की बढ़ती अहमियत का भी संकेत है.

 शुरुआती जीवन और शिक्षा

  • जन्म: 20 अक्टूबर 1957, तिरुप्पुर (तमिलनाडु).

  • परिवार: साधारण व्यापारी परिवार.

  • शिक्षा: V.O. चिदंबरम कॉलेज, तूतीकोरिन से BBA डिग्री.

कॉलेज में वे टेबल टेनिस चैंपियन रहे और साथ ही सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय हुए. यहीं से उनके नेतृत्व और संगठनात्मक क्षमता की झलक दिखने लगी.

 RSS और जनसंघ से जुड़ाव

सिर्फ 17 साल की उम्र में उन्होंने RSS से जुड़ाव किया.
1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने. इतनी कम उम्र में राजनीति के केंद्र में आना उनकी सक्रियता और वैचारिक मजबूती को दिखाता है.

 भाजपा और संसदीय सफर

1980 में भाजपा बनी तो राधाकृष्णन ने इसमें पूरी तरह जुड़कर राजनीति का विस्तार किया.

  • 1998 लोकसभा चुनाव: कोयंबटूर से भारी मतों से जीत हासिल की.

  • 1999 में लगातार दूसरी बार सांसद बने.

संसद में योगदान

  • वित्त समिति, PSU समिति में सक्रिय भूमिका निभाई.

  • 2003 में UN General Assembly में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

इससे उनकी छवि क्षेत्रीय नेता से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक पहुँची.

 

संगठनात्मक नेतृत्व

2004 में चुनाव हारने के बाद उन्होंने संगठन पर ध्यान दिया.

  • 2004-2006: तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष बने.

  • 93 दिनों की रथयात्रा निकाली, जिसमें तीन बड़े संदेश थे—

    1. नदियों का आपस में जोड़ना

    2. आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता

    3. अस्पृश्यता और भेदभाव खत्म करने की अपील

यह यात्रा तमिलनाडु के हर विधानसभा क्षेत्र तक पहुँची और जनता से गहरा जुड़ाव बनाया.

 प्रशासनिक अनुभव

2016 में उन्हें Coir Board of India का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. यहाँ उन्होंने MSME सेक्टर और कोयर उद्योग को नई दिशा दी.
इसके बाद 2023 में झारखंड के राज्यपाल और 2024 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने. उन्होंने तेलंगाना और पुदुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला.
राज्यपाल रहते हुए वे हमेशा केंद्र और राज्यों के बीच सहयोगात्मक संघवाद पर जोर देते रहे.

 उपराष्ट्रपति चुनाव 2025

  • 17 अगस्त 2025: NDA ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया.

  • विपक्ष ने बी. सुदर्शन रेड्डी को उतारा.

  • 9 सितंबर 2025: मतदान हुआ और नतीजे में—

    • C.P. राधाकृष्णन: 452 वोट

    • बी. सुदर्शन रेड्डी: 300 वोट

    • जीत का अंतर: 152 वोट

    • मतदान प्रतिशत: 98% से अधिक

जीत के बाद उन्होंने कहा:
“यह जीत राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत है और मैं भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करूंगा.”

 राजनीतिक और लोकतांत्रिक मायने

  1. दक्षिण भारत में भाजपा की रणनीति – तमिलनाडु से उपराष्ट्रपति बनाना पार्टी के विस्तार का संकेत.

  2. अनुभव और सादगी – सांसद, संगठनकर्ता, राज्यपाल और नीति-निर्माता, हर पद पर संतुलित और साफ छवि.

  3. राज्यसभा का नेतृत्व – उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। उनसे उम्मीद है कि वे सत्ता और विपक्ष दोनों को बराबरी से मौका देंगे.

C.P. राधाकृष्णन का सफर भारतीय लोकतंत्र की असली ताकत को दिखाता है.

  • तिरुप्पुर के साधारण परिवार से शुरुआत,

  • RSS और जनसंघ से जुड़ाव,

  • दो बार सांसद,

  • राज्यपाल की जिम्मेदारी,

  • और अब उपराष्ट्रपति का पदख,

उनकी जीत यह बताती है कि संघर्ष और ईमानदारी से राजनीति करने वाला व्यक्ति देश के सर्वोच्च पदों तक पहुँच सकता है. अब देश को उनसे सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि वे राज्यसभा की गरिमा बनाए रखते हुए भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभाएँगे.

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