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भारत की जनगणना: इतिहास, प्रक्रिया, महत्व और अगली जनगणना की पूरी जानकारी

आपके घर में कितने लोग रहते हैं? इसका जवाब तो आप उंगलियों पर गिन सकते हैं, लेकिन अगर यही सवाल आपके मोहल्ले, शहर या देश के लिए पूछा जाए तो जवाब देना इतना आसान नहीं होगा। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए होती है जनगणना, एक व्यवस्थित प्रक्रिया जिसके माध्यम से हर 10 वर्षों में देश की जनसंख्या और उससे जुड़ी तमाम जानकारियां एकत्र की जाती हैं.

जनगणना क्या है?
जनगणना (Census)
एक राष्ट्रीय जनसंख्या सर्वेक्षण है जिसमें हर व्यक्ति की बुनियादी जानकारी जैसे नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, धर्म, भाषा, व्यवसाय, निवास इत्यादि दर्ज की जाती है. यह डेटा देश की योजना, नीति, प्रशासन और संसाधनों के वितरण के लिए अत्यंत आवश्यक होता है.

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जनगणना का इतिहास
भारत में पहली बार जनगणना 17 फरवरी 1881 को हुई थी. इसे ब्रिटिश अधिकारी डब्ल्यू. सी. प्लोडेन द्वारा कराया गया था. इसके बाद से हर 10 साल में नियमित रूप से जनगणना होती रही है.1881 की जनगणना में अधिकांश ब्रिटिश भारत को शामिल किया गया, लेकिन फ्रांसीसी और पुर्तगाली क्षेत्रों को बाहर रखा गया था.

जनगणना की प्रक्रिया और चरण
भारत में जनगणना एक द्वि-चरणीय प्रक्रिया के तहत कराई जाती है, ताकि प्रत्येक नागरिक और आवासीय इकाई की पूरी जानकारी मिल सके। पहले चरण को हाउस लिस्टिंग और हाउस सेंसस कहा जाता है, जिसमें मकानों की संख्या, उनकी प्रकृति (कच्चा, पक्का), सुविधाएं (जल, बिजली, शौचालय आदि) और उनमें रहने वाले परिवारों की प्राथमिक जानकारी दर्ज की जाती है. दूसरा चरण होता है जनसंख्या गणना, जिसमें व्यक्तिगत विवरण जैसे नाम, उम्र, लिंग, जन्म स्थान, शिक्षा, व्यवसाय, धर्म, जाति और भाषा जैसी सूचनाएं एकत्र की जाती हैं. यह प्रक्रिया प्रशिक्षित गणनाकारों द्वारा घर-घर जाकर की जाती है और संपूर्ण डेटा गोपनीयता के साथ एकत्र किया जाता है.

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जनगणना का संवैधानिक और कानूनी आधार
भारत में जनगणना कराने का कानूनी आधार जनगणना अधिनियम, 1948 है, जिसे भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा प्रस्तुत किया गया था. यह अधिनियम जनगणना के संचालन, आंकड़ों के संग्रहण और उसकी गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के अंतर्गत जनगणना को संघ सूची का विषय माना गया है और इसे संविधान की सातवीं अनुसूची के क्रमांक 69 में सूचीबद्ध किया गया है. इसका मतलब है कि जनगणना केवल केंद्र सरकार द्वारा ही कराई जा सकती है और इसमें राज्यों की भूमिका केवल सहयोग की होती है.

जनगणना के मुख्य उद्देश्य और महत्व
जनगणना किसी भी देश के लिए एक नीतिगत और प्रशासनिक आधारशिला होती है. इसके माध्यम से सरकार को देश की जनसंख्या, उसकी संरचना, वितरण और विविधताओं की पूरी जानकारी मिलती है. यह आंकड़े सरकार को योजनाएं बनाने, विकास परियोजनाओं का निर्धारण, संसाधनों का आवंटन, और नीति निर्माण में मदद करते हैं. इसके अलावा, जनगणना के आंकड़ों का उपयोग चुनाव क्षेत्रों के सीमांकन, वित्त आयोग द्वारा राज्यों को अनुदान देने, और शोध व विश्लेषण में भी किया जाता है. व्यापारिक संस्थाएं भी इन आंकड़ों की मदद से अपने लक्षित बाजार की पहचान कर पाती हैं. 


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