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China $1 trillion trade surplus: अमेरिका को पछाड़ चीन बना नंबर 1, इंडियन करेंसी में 10 खरब के बराबर सरप्लस

दुनिया भर के लोगों में चीनी सामानों का ट्रेंड बढ़ रहा है. चीन की मैन्युफैक्चरिंग फील्ड भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश कर रही है.

चीन (China) के व्यापार (trade) का नेटवर्क दुनिया भर में फैला हुआ है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) चीन है. चीन की जीडीपी 18 ट्रिलियन डॉलर से भी ज़्यादा है. चीन विश्व व्यापार में एक प्रमुख खिलाड़ी है. यह कई देशों के साथ व्यापार करता है. चीन का व्यापार सरप्लस (Trade Surplus) एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. यह इंडियन करेंसी के 10 खरब के बराबर है. इसी के साथ अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ चीन व्यापार के मामले में सबसे आगे निकल गया है. ये दावा किया जा रहा है कि चीन ने दुनिया भर में जितना निर्यात किया है उतना दूसरे विश्वयुद्ध के बाद किसी भी देश ने निर्यात नहीं किया है. इस तरह चीन ने 2024 में निर्यात के मामले में रिकॉर्ड बना लिया है.

कई सालों से अमेरिका के साथ भी सरप्लस की स्थिति थी लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद से चीन ने निर्यात में काफी बढ़ोतरी की है. जिसके बाद मैन्यूफैक्चरिंग में चीन के एकाधिकार को देखते हुए अब अलग-अलग देशों में आवाज उठने लगी है और वह चीन के सामान पर शुल्क लगाने लगे हैं. साल 2024 के सरप्लस को छोड़ दिया जाए तो चीन का ट्रेड सरप्लस 2023 में 990 अरब डॉलर था वहीं साल 2022 में 838 अरब डॉलर था. यह आंकड़ा जर्मनी, जापान और अमेरिका जैसी निर्यात महाशक्तियों से भी ज्यादा है. यह आंकड़ा पिछली शताब्दी में दुनिया के किसी भी देश के ट्रेड सरप्लस से अधिक था. इसका मतलब यह है कि चीन ने दुनिया को ज्यादा सामान बेचा है और काफी कम खरीदा है. साथ ही दिसंबर 2024 में, चीन के निर्यात में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो चीन की मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत है.

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व्यापार में सरप्लस क्या होता है
जब किसी देश या कंपनी का निर्यात उसके आयात से ज्यादा होता है तो उसे सरप्लस कहते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जहां देश या कंपनी ज्यादा माल या सेवाएं बाहरी देशों को बेचती हैं और आयत कम करती हैं. सरप्लस की स्थिति में देश को अपने निर्यात से ज्यादा आय प्राप्त होती है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. बता दें कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और चीन के बीच करीब 118.4 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. भारत अभी भी कई चीजों के लिए चीन पर निर्भर है.

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चीन से डरी दुनिया
चीन के बढ़ते मैन्युफैक्चरिंग हस्तक्षेप को लेकर दुनिया के सभी देश डरे हुए हैं. इसमें अमेरिका भी शामिल है. चीन के बढ़ते सरप्लस को देखते हुए अमेरिका ने चीन के कई सामानों पर आयात कर यानी इम्पोर्ट टैक्स बढ़ा दिया है. अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार शुल्क लगाने की चेतावनी के बाद भी चीन के कारखानों ने ऑर्डरों को पूरा करने में तेजी दिखाई है. इससे देश के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अर्थशास्त्रियों ने दिसंबर 2024 में करीब सात प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था. लेकिन चीन ने 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सभी देशों को चौंका दिया है. पिछले महीने दिसंबर के दौरान चीन का ट्रेड सरप्लस सबसे ज्यादा 104.80 अरब डॉलर रहा.

ट्रंप ने लगाया 10 प्रतिशत का टैक्स
राष्ट्रपति डोलाल्ड ट्रंप ने चीन की उन वस्तुओं पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का संकल्प किया है, जिनका उपयोग निर्यातक देश वर्तमान में, अमेरिका में अपने उत्पादों को सस्ते दामों पर बेचने के लिए करते हैं. जिसके बाद विश्लेषकों का ये अनुमान था कि इससे पिछले साल की तुलना में आयात में करीब 1.5 प्रतिशत की कमी आएगी. हालांकि स्थिति ठीक इसके उलटे देखने को मिली और चीन का सरप्लस गिरने के बजाय बढ़ा है. दुनिया भर के लोगों में चीनी सामानों का ट्रेंड बढ़ रहा है.

सबसे बड़ा कार निर्यातक देश
मैन्यूफैक्चरिंग में चीन के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह कारों के आयात से आगे बढ़कर जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा कार निर्यातक देश बन गया है. 2023 में चीन ने कुल वैश्विक कार उत्पादन का लगभग 30% हिस्सा अपने नाम किया था. इसी के साथ चीन न केवल सबसे बड़ा कार उत्पादक है, बल्कि सबसे बड़ा कार निर्यातक भी बन चुका है. चीन की उत्पादन क्षमता उसकी घरेलू मांग से कहीं अधिक है. इसके अलावा, चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में भी बड़ा निवेश किया है और यह इंडस्ट्री में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. अमेरिका, जापान दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. चीन की मैन्युफैक्चरिंग फील्ड भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश कर रही है.

चीन के Trade Surplus के बारे में पूरी जानकारी के लिए देखिए ये वीडियो।।

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