Vindhya First

India Fertility Rate: सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश की प्रजनन दर में गिरावट, कितने गंभीर होंगे परिणाम?

भारत की तरह दुनिया के 204 में से 110 देशों में प्रजनन दर में कमी हुई है. इससे इन देशों में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है.

दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश भारत है. भारत (INDIA) में पिछले कुछ दशकों से प्रजनन दर (Fertility Rate) में गिरावट आई है. इससे यहां पर बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है. अनुमान है की 2025 तक भारत की प्रजनन दर 2.0 के नीचे आ सकती है. इसके अलावा इस सदी के अंत तक कुल प्रजनन दर घटकर 1.04 तक पहुंच सकती है. ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि किसी देश की प्रजनन दर में गिरावट के कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

बता दें कि प्रजनन दर किसी देश या किसी विशेष क्षेत्र की जनसंख्या में वृद्धि या फिर गिरावट की दर को मापती है. इसे आमतौर पर कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) के रूप में मापा जाता है. जो एक महिला के जीवनकाल में औसतन बच्चों की संख्या को दर्शाता है. TFR को आमतौर पर प्रति महिला बच्चों की संख्या के रूप में व्यक्त किया जाता है. आसान भाषा में समझिए की किसी देश की प्रजनन दर 2.5 है, इसका मतलब ये हुआ की उस देश की महिला अपने जीवनकाल में औसत 2.5 बच्चों को जन्म देती है.

ये भी पढ़ें – रामनाथ गोयनका विजेता गीताश्री की कहानी, लेखनी से कमाया दुनिया भर में नाम

दुनिया के 110 देशों में गिरावट
वैश्विक प्रजनन क्षमता के एक व्यापक जनसांख्यिकीय विश्लेषण में साल 1950 से 2021 के बीच दुनिया के 204 देशों और क्षेत्रों में प्रजनन क्षमता पर आंकड़े जुटाए गए. इनमें से 110 देशों में प्रजनन दर 2.1 से भी कम रह गई है. इसमें भारत भी शामिल है. दरअसल, भारत की प्रजनन दर पिछले कुछ वर्षों में लगातार गिर रही है. मौजूदा समय में भारत में प्रति महिला प्रजनन दर 2 से नीचे आ चुकी है. जबकि 1950 में यह आंकड़ा प्रति महिला 6.2 बच्चे के बराबर था. अगर ऐसा ही रहा तो 2050 तक प्रजनन दर 1.3 तक आ सकती है. प्रजनन स्तर में भारी गिरावट से देश में राजनीतिक और सामाजिक चिंता बढ़ रही हैं, खासकर देश के आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. बता दें कि देश में फर्टिलिटी रेट 2.1 है, जबकि आंध्र प्रदेश में 1.6 है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2047 तक आंध्र में बुजुर्गों की आबादी बहुत होगी.

ये भी पढ़ें – स्वामित्व योजना दे रहा जमीन का अधिकार, आसानी से मिलेगा बैंक लोन, जानिए क्या है पीएम मोदी की खास योजना 

भारत सरकार की फैमिली प्लानिंग
बता दें कि भारत सरकार ने 70 के दशक में फैमिली प्लानिंग पर जोर दिया गया था. दक्षिणी राज्यों ने फैमिली प्लानिंग को अपनाया और आबादी काबू में की. मगर, उत्तर भारत के राज्यों में ऐसा नहीं हुआ और आबादी तेजी से बढ़ी. यही वजह है कि दक्षिण भारत के राज्यों में बाकि राज्यों की तुलना में जनसख्या कम है. ऐसे में दक्षिणी राज्यों में प्रजनन दर में गिरावट की वजह से चुनाव में सीटों के नुकसान का डर है.

110 देशों की प्रजनन दर में गिरावट
रिपोर्ट की मानें तो भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जहां TFR में गिरावट आने से आबादी पर असर पड़ेगा. भारत की तरह ही दुनिया के आधे से अधिक यानी 204 में से 110 देशों में प्रजनन दर 2.1 से भी कम रह गई है. आशंका है कि यदि यह सिलसिला आगे भी जारी रहता है तो इस सदी के अंत तक 97 फीसदी देश घटती TFR से प्रभावित होंगे.

देश में घटती प्रजनन दर की वजह
पहले की तुलना में लोग ज्यादा शिक्षित और जागरूक हो गए हैं. जिसकी वजह से अब महिलाएं फैमिली प्लानिंग पर ज्यादा जोर दे रही हैं. इसके साथ ही बढ़ती महंगाई को देखते हुए लोग अब कम बच्चे चाहते हैं. जिससे बच्चों पर वो ज्यादा ध्यान दे पाएं. शहरीकरण की वजह से भी लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव आ रहा है जिससे परिवार के आकार में कमी आ रही है. खास बात यह है कि महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों में वृद्धि के कारण वे अपने परिवार के आकार को नियंत्रित करने के लिए अधिक सक्षम हो रही हैं. इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आ रही है, जिससे लोग अपने परिवार के आकार को नियंत्रित करने के लिए जागरूक हो रहे हैं.

प्रजनन दर में कमी से क्या समस्या होगी?
प्रजनन दर में कमी से देश की जनसंख्या नियंत्रित होगी. देश की आबादी में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रजनन दर का प्रतिस्थापन स्तर बना रहना जरूरी है. प्रतिस्थापन स्तर एक औसत दर है जो एक देश या किसी क्षेत्र की जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए प्रजनन दर को दर्शाता है. वर्तमान में यह दर 2.1 है. यानी अगर किसी देश की प्रजनन दर 2.1 है तो उस देश की आबादी संतुलित है. आबादी के बीच संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रतिस्थापन स्तर बेहद जरुरी है. क्योंकी अगर किसी देश में प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे होती है तो उस देश में धीरे-धीरे जवानों की जगह बुजुर्गों की आबादी ज्यादा बढ़ सकती है. अगर ऐसा ही रहा तो जल्द ही देश में युवाओं की जनसंख्या कम हो जाएगी और बुजुर्गों की आबादी अधिक होगी. इससे देश को आने वाले समय में श्रमिकों की कमी से जूझना पड़ सकता है. फिलहाल आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में प्रजनन दर में कमी के कारण बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है.

अधिक समय तक जीवित रहती हैं महिलाएं
रिसर्च में एक खास बात निकलकर सामने आयी है कि कम बच्चे पैदा करने वाली महिलाएं अधिक समय तक जीवित रहती हैं. इसके साथ ही बच्चों के जन्म के वैश्विक पैटर्न में भारी बदलाव आया है. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि आने वाले दशकों में, लगभग 77 फीसदी बच्चे दुनिया के सीमित संसाधन वाले अफ्रीका जैसे देशों में जन्म लेंगे. बता दें कि अफ्रीका जैसे देश अनगिनत सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं से जूझ रहे हैं. इनमें जलवायु परिवर्तन, गरीबी, आहार की कमी, कुपोषण, स्वास्थ्य, साफ पानी, स्वच्छता जैसी समस्याएं शामिल हैं. ऐसे में यदि इन देशों में आबादी बढ़ती है, तो इन समस्याओं का सामना करने के लिए पहले से कहीं अधिक तैयार रहने की जरूरत होगी.

भारत में गिरती प्रजनन दर का कारण और निदान जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो।।।

Population, Fertility Rate, Fertility Rate India, Fertility Rate Declining, vindhya first,