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India China Border Conflict पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान, जानिए क्या हैं मायने?

विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) ने पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद पर कहा है कि चीन के साथ भारत का लगभग 75% समस्याओं का समाधान हो गया है. सीमा पर बढ़ते विवाद को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच में बातचीत चल रही है. हालांकि सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण अभी भी एक बड़ा मुद्दा है.

भारत (India) और चीन (China) के बीच लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है. दोनों देशों के बीच कई बार सीमा विवाद (India China Border Conflict) होता है जिसका असर इन देशों के संबंधों पर पड़ता है. हाल ही में थिंक टैंक के एक सत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) ने पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत का लगभग 75% समस्याओं का समाधान हो गया है. सीमा पर बढ़ते विवाद को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच में बातचीत चल रही है. हालांकि सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण अभी भी एक बड़ा मुद्दा है. ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि भारत और चीन का सीमा विवाद क्या है और इसका समाधान क्यों नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि भारत और चीन की सीमा को तीन हिस्से में बांटा गया है. पहला ईस्टर्न सेक्टर इसमें अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सीमा चीन से लगती है, इसकी लंबाई 1,346 किमी है. दूसरा मिडिल सेक्टर है जिसमें हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का 545 किमी लंबा एरिया आता है. तीसरा वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख का एरिया आता है जहां 1,597 किमी लंबी सीमा भारत और चीन एक दूसरे के साथ साझा करते हैं. भारत और चीन को अलग करने वाली रेखा को एलओसी यानी line of actual control कहते हैं. यही वो क्षेत्र है जिसे लेकर भारत और चीन के बीच अक्सर विवाद की स्थिति बनती है. वर्तमान में लद्दाख (ladakh) की 38 हज़ार वर्ग किलोमीटर जमीन पर चीन का कब्ज़ा है. इसे अक्साई चीन के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा चीन, अरुणाचल प्रदेश के 90 हज़ार वर्ग किलोमीटर पर भी अपना दावा करता है. 

भारत और चीन के बीच विवाद की असली वजह
भारत की आजादी के पहले अंग्रेजों ने अक्साई चीन और चीन को अलग करने के लिए एक लाइन बनाई थी. इसे जॉनसन लाइन नाम दिया गया था. हालांकि चाइना इस लाइन को नहीं मानता था. उस समय अंग्रेजों के सामने चीन को खुश रखने की बड़ी चुनौती थी. ऐसा नहीं होने पर चीन, रूस का साथी बन सकता था. ऐसे में अंग्रेजों ने अक्साई चीन में जॉनसन लाइन से थोडा सा और आगे एक और लाइन बनायी जिसे मैकार्टनी-मैकडोनल्ड लाइन नाम दिया गया. इससे अक्साई चीन का काफी सारा हिस्सा चीन के पास चला गया. लेकिन जब भारत आजाद हुआ तो उसने जॉनसन लाइन को ही एलएसी माना जिसकी वजह से चीन फिर से नाराज हो गया हालांकि उसने भारत से कोई विरोध नहीं किया.

भारत और चीन के सीमा विवाद की पूरी कहानी जानने के लिए देखिए ये वीडियो।।