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Gold Loan: कर्ज के जाल में फंस रहा भारत, बड़े आर्थिक संकट की आहट!

NPA एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई उधारकर्ता बैंक से लिए गए लोन को समय पर चुकाने में असमर्थ होता है. जून 2024 तक गोल्ड लोन एनपीए में 62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी, जो मार्च 2024 में 1,513 करोड़ रुपये से बढ़कर जून में 2,445 करोड़ रुपये हो गई.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने द इंडियन एक्सप्रेस को एक RTI के जवाब में बताया की जो लोग बैंक में सोना गिरवी (Gold Loan) रख कर कर्ज ले रहे हैं वो कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं. ऐसे में बैंक उन कर्जों को NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स में डाल रहे हैं. दरअसल, देश में सोना गिरवी रख कर कर्ज न चुकाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है. वहीं लोगों की आमदनी में लगातार गिरावट भी दर्ज की जा रही है. ऐसे में आज के आर्टिकल में हम बताएंगे कि सोना गिरवी रखकर लोन लेने वाले लोग इसे चुका क्यों नहीं पा रहे हैं.

बता दें कि अप्रैल-जून की तिमाही में गोल्ड लोन के एनपीए में 30% की बढ़ोतरी देखी गयी थी. वहीं कामर्शियल बैंक में जून 2024 तक गोल्ड लोन एनपीए में 62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है. ऐसे में मार्च 2024 में 1,513 करोड़ रुपये से बढ़कर यह जून में 2,445 करोड़ रुपये हो गया.

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नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स क्या हैं
NPA यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई उधारकर्ता बैंक से लिए गए लोन को समय पर चुकाने में असमर्थ होता है. या फिर लोन की शर्तों का पालन नहीं करता है. दरअसल, कोई भी बैंक किसी को एक निश्चित अवधि के लिए लोन देती है. उस समय सीमा तक अगर लोन नहीं चुकाया जाता तो बैंक उसे NPA में डाल देती है और सम्पत्ति को नीलाम कर देती है.

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों यानी एनबीएफ़सी के गोल्ड लोन NPA जून 2024 तक 30 प्रतिशत बढ़कर 6,696 करोड़ रुपये हो गए. यह तीन महीने पहले 5,149 करोड़ रुपये थे. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 2022-23 में गोल्ड लोन की वृद्धि केवल 14.6 प्रतिशत थी. आरबीआई का कहना है की कॉमर्शियल बैंक ने जून 2024 तक गोल्ड लोन एनपीए में 62 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि दर्ज की है, जो मार्च 2024 में 1,513 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,445 करोड़ रुपये हो गई है. एनबीएफ़सी के मामले में यह वृद्धि 24% कम है, जो मार्च 2024 में 3,636 करोड़ रुपये से जून 2024 में 4,251 करोड़ रुपये हो गई है.

गोल्ड लोन में वृद्धि
चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में बैंकों ने सोने के ऋण में 50.4 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की है. लोगों ने अस्पताल के खर्चों को पूरा करने के लिए अपना सोना गिरवी रख दिया. हालांकि, इनमें से कई लोग लोन चुकाने में चूक गए. दरअसल, उन्हें पता चला कि कर्ज की राशि खरीद मूल्य से ज्यादा है और वे इस बात से अनजान थे कि डिफ़ॉल्ट के बाद उनका क्रेडिट स्कोर कम हो जाएगा. बैंकों का गोल्ड लोन बकाया अक्टूबर 2024 तक बढ़कर 1,54,282 करोड़ रुपये हो गया है, जो मार्च 2024 में 1,02,562 करोड़ रुपये था. बता दें की बैंकों और NBFC की गोल्ड लोन फ्यूचर में 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. वहीं वित्त वर्ष 2020-2024 की अवधि में संगठित गोल्ड लोन में 25% की वृद्धि दर्ज की गई. इस वृद्धि में बैंकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने अपने गोल्ड लोन को 26% की उच्च दर से बढ़ाया. जबकि इसी अवधि में NBFC ने 18% की दर से अपना विस्तार किया.

द हिंदू की रिपोर्ट
हाल ही में द हिंदू की एक रिपोर्ट ने बताया कि अक्टूबर 2024 में स्वस्थ भोजन की लागत पिछले साल की तुलना में 52% बढ़ गई है. इसके विपरीत, औसत वेतन और मजदूरी में केवल 9 से 10% की वृद्धि हुई है. यह स्थिति सभी लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों और कम वेतन पाने वालों के लिए यह विशेष रूप से कठिन है. रिपोर्ट के मुताबिक वेतन की असमानता में वृद्धि हुई है. वहीं महंगे उत्पादों की बिक्री में तेजी देखी गयी है, जबकि सस्ते उत्पादों की बिक्री में गिरावट आई है. उदाहरण के लिए, 30,000 रुपये से अधिक के फोन की बिक्री बढ़ी है, जबकि इससे कम कीमत वाले फोन की बिक्री घटी है. इसी तरह, महंगी कारें और प्रीमियम मकान ज्यादा बिक रहे हैं. यह स्थिति शहरों में अधिक प्रचलित है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका प्रभाव दिखाई दे रहा है.

आर्थिक असमानता
आर्थिक असमानता पर दुनिया के सबसे बड़े विशेषज्ञों में से एक थॉमस पिकेटी ने इसी साल कहा था कि भारत में विकास का अधिकांश लाभ सबसे अमीर 1% लोग हड़प रहे हैं. पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब द्वारा प्रकाशित एक वर्किंग पेपर के अनुसार, भारत में कुल आय और संपत्ति में शीर्ष 1% भारतीयों की हिस्सेदारी 2022-23 में सर्वाधिक है. इस पेपर के सह-लेखकों में थॉमस पिकेटी भी शामिल हैं, जिन्हें आर्थिक असमानता पर सबसे आधिकारिक आवाज़ों में से एक माना जाता है. पिकेटी का मानना है कि यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत के सबसे अमीर लोग देश के अधिकांश विकास के लाभ को हड़प रहे हैं. यही कारण है की लोगों में गोल्ड लेने का प्रचलन बढ़ रहा है. मुथूट फिनकॉर्प के सीईओ शाजी वर्गीस के अनुसार, गोल्ड लोन पिछले कुछ तिमाहियों से लगातार बढ़ रहा है, उन्होंने कहा, “आज यह ग्राहकों के बीच विशेष रूप से शॉर्ट टर्म जरूरतों के लिए व्यापक रूप से स्वीकृत और लोकप्रिय विकल्प है.

गोल्ड लेन के पूरे खेल को समझने के लिए देखिए ये वीडियो।।

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