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ग्रीन एनर्जी: भारत का बढ़ता वर्चस्व

ग्रीन एनर्जी: भारत का बढ़ता वर्चस्व

भारत ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में पूरे विश्व में एक अनूठा उदाहरण बनकर सामने आया है. हाल ही में भारत ने तय समय से पांच साल पहले क्लीन एनर्जी उत्पादन का 50 फीसदी लक्ष्य पूरा कर लिया है.

भारत ने अपने नेशनल क्लाइमेट एक्शन प्लान के तहत 2030 तक कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 50 फीसदी नॉन फॉसिल फ्यूल सोर्स से हासिल करने के लक्ष्य को हासिल किया है.

ग्रीन एनर्जी 

ग्रीन एनर्जी आज के जलवायु परिवर्तन के समय में,एक आशा की किरण के तौर पर उभर के सामने आई है.ग्रीन एंड क्लीन एनर्जी ऐसे रास्ते है जो ऊर्जा उत्पादन के स्वच्छ विकल्पों को हमारे सामने लाते है.इन विकल्पों में हम सोलर एनर्जी,विंड एनर्जी और हाइड्रोइलेक्ट्रिक एनर्जी का नाम सुनते आ रहे है.हमारे देश में सोलर एनर्जी से 60%,विंड एनर्जी से 30% और बाकी क्षेत्र से 10% एनर्जी प्रोडक्शन हो रहा है.

ग्रीन एनर्जी की जरूरत 

सबसे पहले तो ऊर्जा सुरक्षा और आयात पर निर्भरता कम होगी.अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ये बताती है कि 2023 में भारत विश्व का दूसरा कच्चे तेल का आयातक रहा है,वैश्विक तौर पर चल रहे युद्ध इस आयात में बाधा डाल सकते है.जैव ईंधन पर बढती निर्भरता देश को आर्थिक संकट की ओर धकेल सकती है.साथ ही जलवायु परिवर्तन जिससे पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है यह भी एक वजह है क्लीन एनर्जी को चुनने का.बेमौसम बारिश,भूस्खलन,भूकंप और प्रचंड गर्मी ये वही चीजे है जो क्लाइमेट चेंज को बखूबी दर्शा रही है.

वैश्विक स्थिति 

हालिया रिपोर्टो से पता चला है कि 2023 में वैशिव्क तापमान साल 1850-1900 के औसत से 1.29 डिग्री सेल्सिअस अधिक था.वैशिव्क औसत समुद्र का स्तर भी बढ़ गया है.1979 और 2021 के बीच आर्कटिक समुद्री बर्फ हर साल औसतन 31100 वर्ग मील कम हो गयी है.ये सभी चीजे दर्शाती है कि परिवर्तन की जरुरत है.

वैशिव्क सहयोग

आज कई ऐसे मंच बने है जो क्लीन एनर्जी को प्रमोट करते है.इन मंचो में से एक है वैशिव्क जैव ईधन गठबंधन.जी 20 शिखर सम्मेलन में यह बना और इसका नेतृत्व भारत द्वारा किया जा रहा है.इस मंच के जरिये अमेरिका,ब्राज़ील और भारत जैसे प्रमुख जैव ईधन उत्पादक और उपभोक्ता देशो को साथ लाया जाता है.

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इंटरनेशनल सोलर अलायन्स

इंटरनेशनल सोलर अलायन्स का.2015 में भारत और फ्रांस ने साथ आकर ये अलायन्स बनाया.2020 में यू एन के सभी देश इसके पात्र बने.इसका मुख्य उद्देश्य सोलर ऊर्जा से जुडी तकनीकी ज्ञान को सभी देशो तक पहुचाना था.

भारत ने क्या कदम उठाये?

पी एम सूर्य घर योजना नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा फरवरी 2024 में शुरू की गई थी.इसमें वित्तीय सब्सिडी और इनस्टॉलेशन में सुविधा देकर सोलर रूफटॉप सिस्टम को अपनाने को बढ़ावा दिया जाता है.इसका लक्ष्य भारत में एक करोड़ परिवारों को मुफ्त विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराना है, जो रूफटॉप सोलर पैनल वाली बिजली इकाइयाँ स्थापित करना चाहते हैं.

2 किलोवाट क्षमता तक के सोलर सिस्टम के लिये 60% सब्सिडी और 2 किलोवाट से 3 किलोवाट क्षमता के बीच सोलर सिस्टम के लिये 40% सब्सिडी दी जाती है.सरकार का लक्ष्य 2025-26 में 2.65 लाख प्लांट लगाना है साथ ही मार्च 2027 तक कुल 8 लाख सोलर रूफटॉप प्लांट लगाने का लक्ष्य है.इस प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिये 2,500 से अधिक विक्रेताओं को सूचीबद्ध किया गया है और लगभग 1,800 विक्रेताओं को प्रशिक्षित किया गया है.

पीएम-कुसुम योजना भारत सरकार द्वारा 2019 में शुरू की गई,जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा बढ़ावा देकर कृषि क्षेत्र में बदलाव लाना है.साथ साथ कृषि क्षेत्र का डी-डीजलीकरण हो या फिर किसानों के लिए जल एवं ऊर्जा सुरक्षा यह योजना हर तरह से क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने का काम कर रही है.

बदलते दौर में भारत एक विकासशील देश होते हुए भी क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में एक मिसाल की तरह सबके सामने आया है,अब देखना ये है कि बाकी देश इस पहल को कितना आगे ले जाते है

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