Vindhya First

भारत का बीफ निर्यात: भैंस के मांस की वैश्विक मांग और सामाजिक वास्तविकताएं

भारत एक ऐसा देश है जहां गाय को पूजनीय माना जाता है और शाकाहार को जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. फिर भी, यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बीफ निर्यातक है.यह विरोधाभास तब स्पष्ट होता है जब हम समझते हैं कि भारत से जो “बीफ” निर्यात होता है, वह वास्तव में भैंस का मांस होता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “बीफ” की श्रेणी में रखा जाता है.

आखिर बीफ है क्या ?
भारत में “बीफ” शब्द अक्सर गलतफहमी का कारण बनता है. भारत से होने वाला अधिकांश बीफ निर्यात दरअसल भैंस के मांस का होता है, जिसे ‘कैरेबीफ’ कहा जाता है. भैंस का वध भारत में वैध है और इसके निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है.वहीं दूसरी ओर, गाय का वध भारत के अधिकांश राज्यों में प्रतिबंधित है और इसका निर्यात नहीं किया जाता. इसलिए भारत के बीफ निर्यात का मतलब वास्तव में भैंस के मांस से है, न कि गाय के मांस से.

यह भी देखें-बेल्हान टोला की सिसकती ज़िंदगी: शहडोल का एक गांव जहां सड़क अब भी सपना है

 वैश्विक बाज़ार में स्थिति
भारत ने वैश्विक बीफ व्यापार में एक मजबूत स्थान बना लिया है.खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और OECD के अनुसार, भारत 2016 में 15.6 लाख टन बीफ निर्यात करता था और 2026 तक इसके 19.3 लाख टन तक पहंचने की संभावना है. 2024 में भारत ने लगभग 10.58 लाख टन भैंस का मांस निर्यात किया, जो 2025 में बढ़कर 10.6 लाख टन तक पहुंच सकता है. इसका मूल्य लगभग 3.2 बिलियन डॉलर आंका गया है.भारत के प्रमुख खरीदारों में वियतनाम, मलेशिया, इराक, सऊदी अरब, यूएई, इंडोनेशिया, फिलीपींस, जॉर्डन और ओमान शामिल हैं.अकेले वियतनाम ने 1.06 लाख टन मांस खरीदा जिसकी कीमत 364.7 मिलियन डॉलर थी.

 बीफ निर्यातक कंपनी
भारत के बीफ निर्यात उद्योग में कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जिनमें से कुछ के मालिक हिंदू समुदाय से हैं.प्रमुख कंपनियों में Al-Kabir Exports, Arabian Exports, MKR Frozen Foods, PML Industries और Al Noor Exports जैसे नाम शामिल हैं.भारत में कुल 74 वैध बूचड़खाने हैं, जिनमें से 9 हिंदू स्वामित्व में हैं. उत्तर प्रदेश इस उद्योग का सबसे बड़ा केंद्र है, जहाँ 38 बूचड़खाने स्थित हैं.

ग्लोबल डिमांड
दक्षिण -पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों में भैंस के मांस की मांग अधिक है क्योंकि यह सस्ता, पौष्टिक और हलाल प्रमाणित होता है.सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और ओमान जैसे देश भारत के मांस की गुणवत्ता और कीमत की सराहना करते हैं. भारतीय मांस अन्य निर्यातकों की तुलना में किफायती है, इसीलिए अफ्रीकी देशों में भी इसकी मांग बढ़ रही है.

यह भी देखें : जी 7 शिखर सम्मेलन: वैश्विक मंचो पर बढ़ता भारत का वर्चस्व

बीफ निर्यात से जुड़े मुद्दे
बीफ निर्यात भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक संसाधन बन चुका है.यह न केवल कृषि निर्यात में योगदान करता है बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है.इस उद्योग में 50% से अधिक कार्यबल हिंदू समुदाय से आता है, जो यह दिखाता है कि यह केवल धार्मिक मुद्दा न होकर एक व्यावसायिक वास्तविकता भी है.

हालांकि, बीफ निर्यात भारत में एक संवेदनशील सामाजिक और धार्मिक मुद्दा भी है. गाय को हिंदू धर्म में पूजनीय माना जाता है, इसलिए कई बार भैंस के मांस को भी गाय के मांस से जोड़कर देखा जाता है.राजनीतिक दल इस विषय को लेकर अक्सर आरोप-प्रत्यारोप करते हैं.मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी इसी संदेह के कारण बढ़ी हैं. इसके अलावा, मांस उत्पादन का पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे मीथेन और CO₂ उत्सर्जन, अत्यधिक जल उपयोग, और चरागाह भूमि की आवश्यकता.

सरकार के क़दम
सरकार ने एक ओर जहां गोवंश संरक्षण के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसे कार्यक्रमों में 500 करोड़ रुपये निवेश किए हैं, वहीं दूसरी ओर वैध बूचड़खानों को बढ़ावा देने के लिए मशीनरी पर आयात शुल्क 10% से घटाकर 4% कर दिया गया है.उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में अवैध कत्लखानों पर कार्रवाई हुई है, लेकिन वैध उद्योग को चालू रहने की अनुमति है.

भविष्य में भारत का बीफ उत्पादन 2025 तक 4.64 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. इस मांग को देखते हुए भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के अलावा अन्य संभावित बाजारों में भी अपने निर्यात का विस्तार करना चाहिए.


https://www.youtube.com/watch?v=TzxUdm7R_n8